2018-05-28 16:09:00

पवित्र त्रियेक ईश्वर के महापर्व के अवसर पर संत पापा का संदेश


वाटिकन सिटी, सोमवार, 28 मई 2018 (रेई)˸ वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 27 मई को, पवित्र त्रियेक ईश्वर के महापर्व के अवसर पर संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा।

अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

आज, पेंतेकोस्त के बाद के रविवार को हम पवित्र तृत्वमय ईश्वर का पर्व मनाते हैं, यह एक ऐसा पर्व है जो हमें येसु ख्रीस्त ईश्वर के रहस्यों पर चिंतन करने तथा उनकी प्रशंसा करने का मौका देता है जो पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा के एक जन हैं ताकि हम ईश्वर के प्रेम जिन्होंने हमें अपना जीवन मुफ्त में अर्पित किया और जिसे पूरे दुनिया में फैलाने का आदेश दिया, हम उसे नये विस्मय के साथ मना सकें।

आज के बाईबिल पाठ हमें यह समझने में मदद देते हैं कि ईश्वर अपने अस्तित्व को बहुत अधिक प्रकट करना नहीं चाहते बल्कि वे प्रकट करते हैं कि वे हमारे साथ हैं, हमारे करीब हैं, जो हमसे प्रेम करते, हमारे साथ चलते, हमारे व्यक्तिगत जीवन पर रूचि रखते और हम सभी का ख्याल करते हैं वे छोटों तथा जरूरतमंद लोगों से आरम्भ करते हैं। "ऊपर आकाश में तथा नीचे पृथ्वी पर प्रभु ही ईश्वर है; उसके सिवा कोई और ईश्वर नहीं है।"(विधि. 4,39) इसीलिए हम एक ऐसे ईश्वर पर विश्वास नहीं करते हैं जो दूर और उदासीन है किन्तु इसके ठीक विपरीत जिन्होंने प्रेम से विश्व की सृष्टि की है एवं एक प्रजा बनाया है, जी हाँ, उन्होंने शरीरधारण किया, हमारे लिए मर गये तथा जी उठे एवं पवित्र आत्मा में सब कुछ बदल देते और पूर्णता की ओर ले चलते हैं।

संत पौलुस पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने प्रेमी ईश्वर के इस बदलाव को अनुभव किया जो "पिता" कहलाना, बल्कि "अब्बा" पुकारा जाना चाहते हैं। ईश्वर हमारे पिता है। वे चाहते हैं कि हम अपने को उसी बच्चे की तरह पूर्ण आत्मविश्वास से समर्पित करें जो अपने को उन लोगों के हाथों छोड़ देता है जिन्होंने उसे जीवन दिया है। संत पौलुस पुनः याद करते हैं कि पवित्र आत्मा हमारे अंदर कार्य करता है जिसके कारण हम येसु ख्रीस्त को एक ऐसे व्यक्ति के रूप में नहीं देखते जिनसे हमारी मुलाकात पहले कभी हुई थी बल्कि हम उनकी करीबी महसूस करते तथा हम ईश्वर द्वारा प्रेम किये गये संतान के आनन्द का अनुभव करते हैं। अंत में, सुसमाचार में पुनर्जीवित ख्रीस्त सदा हमारे साथ रहने की प्रतिज्ञा करते हैं।  

संत पापा ने कहा कि उनकी उपस्थिति एवं उनकी आत्मा के सामर्थ्य के द्वारा ही हम उनके मिशन को शांतिमय ढंग से पूरा कर सकते हैं। उन्होंने कहा, "उनका मिशन क्या है?" संत पापा ने उत्तर देते हुए कहा, "सभी लोगों के बीच उनके सुसमाचार की घोषणा करना और उसका साक्ष्य देना और इस तरह उनके साथ संबंध बढ़ाना एवं उसके द्वारा मिलने वाले आनन्द को महसूस करना। हमारे साथ चलने के द्वारा ईश्वर हमें आनन्द से भर देते हैं इस तरह आनन्द ख्रीस्तीयों की पहली भाषाशैली बन जाती है।

इसलिये, पवित्र तृत्व का महापर्व हमें उस ईश्वर पर चिंतन करने हेतु प्रेरित करता है जो निरंतर रचना करते, मुक्ति देते तथा पवित्र बनाते हैं जो उनका स्वागत करते, हमेशा प्रेम से और हर प्राणी के लिए, वे अपनी सुन्दरता, अच्छाई एवं सच्चाई की एक किरण को प्रतिबिम्बित करते हैं। उन्होंने मानव के साथ हमेशा चलने का निश्चय किया है और एक प्रजा का निर्माण किया है जो सभी राष्ट्रों एवं सभी लोगों के लिए आशीर्वाद बनेगा, इससे कोई भी बहिष्कृत नहीं होगा। संत पापा ने कहा कि ख्रीस्तीय पृथक नहीं है किन्तु एक ऐसी जनता है जिसको ईश्वर ने चुना है। उन्होंने कहा कि इस संबंध एवं एकता के बिना कोई भी व्यक्ति ख्रीस्तीय नहीं बन सकता। हम एक प्रजा हैं, ईश्वर की प्रजा।

संत पापा ने प्रार्थना की कि धन्य कुँवारी मरियम हमें दुनिया को साक्ष्य देने के मिशन को आनन्द से पूरा करने में सहायता दें जो प्रेम की प्यासी है। जीवन का अर्थ है असीम प्रेम, पिता का, पुत्र का एवं पवित्र आत्मा का ठोस प्रेम।   

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

देवदूत प्रार्थना के उपरांत संत पापा ने कुछ महत्वपूर्ण सूचनाएं जारी करते हुए कहा, "कल पियाचेंत्सा में लेओनेल्ला स्गोरबाती की धन्य घोषणा हुई जो कोनसोलाता की मिशनरी धर्मबहन थीं, जिन्हें विश्वास के कारण घृणा से मोगादिशो (सोमालिया) में 2006 में मार डाला गया। सुसमाचार एवं गरीबों की सेवा में उनका जीवन अर्पित हो गया, साथ ही साथ, उनकी शहादत अफ्रीका एवं पूरे विश्व के लिए एक आशा की प्रतिज्ञा का प्रतिनिधित्व करता है। संत पापा ने अफ्रीका के लिए प्रार्थना का आह्वान  करते हुए कहा, "हम एक साथ अफ्रीका के लिए प्रार्थना करें ताकि वहाँ शांति हो।" उसके बाद संत पापा ने विश्वासियों के साथ प्रणाम मरियम प्रार्थना अर्पित की। उन्होंने अफ्रीका की माता मरियम से समस्त अफ्रीका के लिए विशेष प्रार्थना की। तदुपरांत, उन्होंने विभिन्न देशों से आये तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों का अभिवादन करते हुए कहा, "मैं आप सभी रोम तथा विभिन्न जगहों से आये हैं, परिवारों, पल्ली दलों  एवं संगठनों का अभिवादन करता हूँ। खासकर, मैं पोर्तो संत एलपिदियो, नेपल्स, मिलान के ब्रुत्सानों, पादुवा, सापादा के गायक दल तथा अलबा के वेत्सा के युवा।" संत पापा ने गायक दल के सभी सदस्यों को उनके मधुर संगीत के लिए बधाई दी। उसके बाद उन्होंने पोलैंड के तीर्थ यात्रियों का अभिवादन किया एवं पीएकारी स्लास्कीए मरियम तीर्थ में भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों को आशीर्वाद दिया।

संत पापा ने "राहत दिवस" के अवसर पर जेमेली अस्पताल में एकत्रित सभी कर्मचारियों का अभिवादन किया तथा अपील की कि वे रोगियों की आध्यात्मिक आवश्यकताओं को पहचानें एवं कोमलता से उनका साथ दें।   

अंत में संत पापा ने सभी से प्रार्थना का आग्रह करते हुए शुभ रविवार की मंगल- कामनाएँ अर्पित की।








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