2018-05-22 17:15:00

काथलिक करितास द्वारा भूकम्प पीड़ितों की मदद


भारत, मंगलवार, 22 मई 2018 (ऊकान)˸ बीना बेन 2000 के दशक के शुरू में भारत में सबसे विनाशकारी भूकंपों से बचने वालों में एक है जो अपने बच्चों को पकड़कर और अपने पारंपरिक मिट्टी के घर के ढाहने के कुछ ही सेकेंड पहले भागकर जान बचाने में सफल रही थी।  

उनका जीवन बच गया किन्तु विनाशकारी भूकम्प ने उसके परिवार को आवासहीन छोड़ दिया था। यह 17 साल पहले की घटना है। अब दूसरों के समान गुजरात के बारूज में उसके पास भी आश्रय के लिए घर है जिसका निर्माण उन्होंने कलीसिया के उदार संगठन करीतास इंडिया की मदद से किया है।

बारूज में 26 जनवरी 2001 को 7.7 तीव्रता से दो मिनट तक आये भूकम्प में करीब 21,000 लोगों की मौत हो गयी थी एवं 1,67,000 लोग घायल हो गये थे। इसने उस क्षेत्र के करीब 949 गाँवों के लगभग 400,000 घरों को ध्वस्त कर दिया था और उन्हें सरकार एवं विभिन्न उदार संगठनों की मदद के भरोसे छोड़ दिया था।

बीना ने कहा कि उनके गाँव में 400 अन्य लोग हैं जिन्हें कोई जन हानि नहीं हुई है किन्तु उनमें से अधिकतर असहाय हैं। पूरा गाँव ही ध्वस्त हो गया था।

उन्होंने कहा, "हमारे घर मिट्टी के ढेर में तबदील हो चुके थे। हमारे पास सोने के लिए स्थान नहीं थे, खाने के लिए कुछ नहीं थे जिसे हमारे बच्चों को खिला सकें। हम गरीबों से भी गरीब बन गये थे।"

अब मिट्टी के ढेर के स्थान पर कुछ सीमेंट के घर बन चुके हैं तथा मोटर साईकिल एवं कार भी दिखाई देते हैं जो पुनः समृद्धि प्राप्त करने का चिन्ह है।  

सभी नये संसाधनों में करीतास इंडिया का प्रतीक लगा हुआ है जो दर्शाता है कि संगठन ने बिना भेदभाव के बड़ी उदारता से उन सभी असहाय लोगों की मदद की जहाँ एक भी ख्रीस्तीय नहीं है।

बेन ने अपने एक शयन कक्ष, खाना कमरा एवं रसोईघर को दिखलाते हुए कहा, "अब हमारे पास एक सुन्दर घर है जहाँ हम आराम से रह सकते हैं।

गाँव की प्रधान देवजी बाई ने कहा कि कलीसिया के सहयोग एवं कठिन परिश्रम की सराहना सभी करते हैं।

55 वर्षीय एक व्यक्ति ने कहा, "भूकम्प ने हमारे जीवन को कुछ समय के लिए बिखेर दिया था किन्तु करीतास की मदद से हमने न केवल पुनः घर बना लिया बल्कि अधिक अच्छा घर बना लिया है।"

उन्होंने कहा कि काथलिक स्वयंसेवक जिसमें पुरोहित एवं धर्मबहनें हैं उन्होंने गाँव का सर्वे किया और उसके बाद 250 घरों के निर्माण हेतु मदद दी गयी। हमें अपने भाग्य पर विश्वास नहीं हो रहा था। शुरू में हम में से कुछ लोग संदेह भी कर रहे थे किन्तु जब हमने पाया कि वे सच्ची उदारता एवं भलाई की भावना से ऐसा कर रहे हैं तब हमने खुशी से उन्हें पूर्ण समर्थन दिया।

जोस्टिन बेन जो एक शिक्षिका हैं उन्होंने बतलाया कि शिविर में कलीसिया द्वारा भेजे गये लोगों ने उन्हें भोजन, टेट, कम्बल, चादर एवं अन्य मौलिक आवश्यकताएँ प्रदान कीं।

फादर जोर्ज जो अब भी उस गाँव का दौरा करते हैं, ऊका समाचार से कहा कि वहाँ कोई भी ख्रीस्तीय नहीं है किन्तु उनमें ख्रीस्तीयों के प्रति बड़ी कृतज्ञता की भावना है। जब उन्हें सलाह की आवश्यकता होती है तो वे अब भी उनसे मिलने आते हैं।








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