2018-05-21 15:50:00

पवित्र आत्मा हृदय परिवर्तन करता है, संत पापा


वाटिकन सिटी, सोमवार, 21 मई 2018 (रेई)˸ वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर में रविवार 20 मई को, पेंतेकोस्त महापर्व के अवसर पर संत पापा फ्राँसिस ने समारोही ख्रीस्तयाग अर्पित किया।

उन्होंने प्रवचन में कहा, "आज की धर्मविधि के पहले पाठ में, पेंतेकोस्त के दिन पवित्र आत्मा के आगमन की तुलना "आँधी" से की गयी है।" (प्रे.च. 2: 2) यह प्रतीक हमें क्या बतलाता है? यह हमें उस शक्ति की कल्पना करने हेतु प्रेरित करता है जो अपने आप में समाप्त नहीं होती किन्तु इसका प्रभाव बदलता है। आँधी वास्तव में परिवर्तन लाती है, जब मौसम ठंढ़ा है तो यह गर्मी लाती है अथवा जब गर्मी है तो ठंढ़ा, और जब धरती सूखी है तो वर्षा कराती है। पवित्र आत्मा अलग-अलग स्तर पर एक ही काम करता है। वह एक दिव्य शक्ति है जो दुनिया को बदल देती है। आत्मा हमें स्मरण दिलाता है कि वह सक्रिय है, आराम देता तथा शोक से सांत्वना प्रदान करता है अतः हम उनसे प्रार्थना करें कि वह हमारे घावों को चंगा कर दे, हमारी शक्ति को नवीकृत कर दे, हमारे सूखेपन में नमी कर दे और हमारे पापों के दाग को धो दे। आत्मा हमारी परिस्थितियों में प्रवेश करता है तथा उन्हें बदल देता है। वह हृदयों और परिस्थिति में परिवर्तन लाता है।

पवित्र आत्मा हृदयों को बदल देता है। येसु ने अपने शिष्यों से कहा था "पवित्र आत्मा तुम लोगों पर उतरेगा और तुम्हें सामर्थ्य प्रदान करेगा और तुम लोग येरुसालेम, सारी यहूदिया और सामरिया में तथा पृथ्वी के अन्तिम छोर तक मेरे साक्षी होंगे।'' (प्रे.च. 1: 8) और ठीक ऐसा ही हुआ। सुसमाचार में हम सुनते हैं कि शिष्य किस तरह बदल गये, उन्होंने येसु का साक्ष्य दिया। अब वे डरपोक नहीं रहे किन्तु साहसी बन गये। जब येसु उनके साथ थे तब वे कायरों की तरह थे किन्तु जब वे चले गये तो वे साहसी बन गये, क्योंकि पवित्र आत्मा ने उनके हृदयों को बदल दिया।  

आत्मा भय से बंधे हृदय को मुक्त करता है। वह हर प्रकार की बाधाओं को दूर कर देता है। वह पूरे हृदय से उदार बनने हेतु प्रेरित करता है। वह उन हृदयों को खोल देता है जो बंद हैं। वह आराम की जिंदगी जीने वालों को बाहर जाकर सेवा करने हेतु मजबूर करता है। आत्म संतुष्ट लोगों को नयी दिशा की ओर ले जाता है। कुनकुने लोगों में नई आशा जागाता है। यह हृदयों को बदल देता है। कई लोगों की प्रतिज्ञाएँ बदल जाते हैं, नई शुरूआत होती है और असाधारण रूप से नवीनीकरण होता है किन्तु अनुभव हमें सिखलाता है कि दुनिया की कोई भी वस्तु हमारे हृदय को संतुष्ट नहीं कर सकती। आत्मा हममें परिवर्तन लाता है। यह हमारे जीवन में क्रांति नहीं लाता किन्तु हमारे हृदय को परिवर्तित करता है। यह हमें समस्याओं के भार से मुक्त नहीं करता किन्तु अंदर से स्वतंत्र कर देता है ताकि हम उसका सामना कर सकें। यह हमें एक ही बार में सब कुछ प्रदान नहीं करता किन्तु जीवन की परेशानियों पर अधिक चिंता नहीं करने की शक्ति देता है। पवित्र आत्मा हमारे हृदयों को युवा बनाये रखता है। युवा बने रहने के सभी उपाय जल्दी अथवा देरी से समाप्त हो जाते हैं किन्तु आत्मा हमें उस बूढ़ापा से बचाये रखता है जो अस्वस्थ है तथा हमें अंदर से बूढ़ा कर देता है।

वे किस प्रकार ऐसा करते हैं? वे हमें क्षमा प्रदान करने और हमारे हृदयों को नवीकृत करने के द्वारा जवान बना देता है। यहीं पर महान परिवर्तन होता है हम पापी से धर्मी बन जाते और सब कुछ बदल जाता है। पाप की दासता से हम मुक्त हो जाते हैं। दास से हम प्यारे पुत्र बन जाते तथा मोह-माया से मुक्त होकर आशा से भर जाते हैं। पवित्र आत्मा के कार्य करने के द्वारा, हमारे हृदय में आनन्द का पुनर्जन्म होता तथा शांति प्रस्फूटित होती है।   

संत पापा ने कहा कि आज हम सिखें कि जब हममें सच्चे परिवर्तन की आवश्यकता हो तो हमें क्या करना चाहिए। हम में से कौन परिवर्तन नहीं चाहता, खासकर, जब हम जीवन के बोझ से उदास एवं परेशान होते, अपनी ही कमजोरियों से दबे होते, ऐसे समय में, जब आगे बढ़ना मुश्किल हो एवं प्रेम करना असंभव जान पड़े। उन अवसरों पर हमें ईश्वर की शक्ति, पवित्र आत्मा के झटके की आवश्यकता है। प्रेरितों के धर्मसार में हम उन्हें जीवन दाता घोषित करते हैं। यह कितना अच्छा होता कि हम हर दिन उनके झटके को महसूस करते। हर प्रातः जब हम उठें तो प्रार्थना करें, "हे पवित्र आत्मा मेरे हृदय में आ, मेरे दिन को पवित्र कर।"

पवित्र आत्मा न केवल हृदयों को परिवर्तित करता किन्तु वह परिस्थितियों को भी बदल देता है। आँधी की तरह जो चारों तरफ बहता और कल्पना के परे की स्थितियों में भी प्रवेश करता है। हम प्रेरित चरित के उस अंश को पढ़ें जिसके मुख्य पात्र पवित्र आत्मा हैं। हमें इसमें कई घटनाएँ प्रभावित करेंगी। जब शिष्यों को नहीं स्वीकारा गया तो पवित्र आत्मा ने उन्हें गैरयहूदियों के बीच भेजा। उन्होंने नया रास्ता खोल दिया जैसा कि उपयाजक फिलीप के साथ हम पाते हैं। आत्मा फिलीप को येरूसालेम से गाजा जाने वाले मार्ग पर निर्जन प्रदेश ले गया। रास्ते पर फिलीप ने एक इथोपियाई खोजा को उपदेश एवं बपतिस्मा दिया। तब आत्मा उसे आजोतस ले गया उसके बाद कैसरिया, इन नयी परिस्थितों में ईश्वर का समुसाचार सुनाने हेतु उन्हें लगातार नवीनता प्रदान करता रहा। संत पौलुस भी आत्मा द्वारा प्रेरित किये गये जिन्हें अनजान स्थानों में दूर-दूर तक यात्रा कर लोगों को सुसमाचार सुनाना पड़ा। जब पवित्र आत्मा उपस्थित होते हैं तो कुछ न कुछ परिवर्तन अवश्य होता है वह जिधर बहता है, उधर चीजें कभी शांत नहीं रह सकतीं।

हमारे समुदाय के जीवन में जब हम उदासी महसूस करते हैं जब हम शांति चाहते और ईश्वर से नयेपन की कामना करते हैं जो एक बुरा चिन्ह है इसका अर्थ है कि हम आत्मा की आँधी से बचना चाहते हैं। जब हम आत्म सुरक्षा से जीना चाहते हैं, अपने घर के नजदीक रहना चाहते हैं जो स्वार्थी चिन्ह है। पवित्र आत्मा सभी ओर प्रवाहित होता है किन्तु हम अपने को उससे दूर रखना चाहते हैं, इसके बावजूद हमने कई बार उन्हें अनोखा कार्य करते देखा है।

कई बार जीवन के अत्यन्त फीके समय में भी पवित्र आत्मा ने पवित्रता को ऊपर उठाया है क्योंकि वह कलीसिया की आत्मा है जो उसे नवीकृत आशा प्रदान कर, उसे लगातार सजीव बनाता है, उसे आनन्द से भर देता एवं फलप्रद बनाता है। वह उसे खिलने और नया जीवन को विकसित होने देता है। परिवार में जब एक नये शिशु का जन्म  होता है यह समय तालिका में परिवर्तन लाता है। यह उनकी नींद उड़ा देता है किन्तु उन्हें आनन्द प्रदान करता है जो उनके जीवन को नया बना देता और ऊपर उठाता तथा प्रेम में बढ़ाता है। इस प्रकार आत्मा ही कलीसिया के प्रति हमारे बचपन के उत्साह को पुनः लाता है। हमारे पहले प्यार को पुनः जागृत करता है। पवित्र आत्मा कलीसिया को स्मरण दिलाता है कि अपने इतिहास में हर शताब्दी में, वह हमेशा युवा दुल्हन रही है जिससे प्रभु अत्यधिक प्यार करते हैं। संत पापा ने कहा कि हम पवित्र आत्मा का स्वागत करने से कभी न थकें और जो कुछ भी करते हैं उससे पहले पवित्र आत्मा का आह्वान करें।

संत पापा ने प्रार्थना की कि पवित्र आत्मा, ईश्वर की आँधी, हमारे हृदयों में बहे और हमें पिता की कोमलता का एहसास कराये। कलीसिया के ऊपर बहे तथा उसे दुनिया के कोने-कोने तक भेजे ताकि लोग उन्हें सभी ओर लेकर जाये। दुनिया में भेजे ताकि वहाँ शांति एवं आशा की ताजगी प्रवाहित हो।

हे पवित्र आ, हमारे अंदर एवं समस्त पृथ्वी को परिवर्तित कर दे।








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