2018-05-12 14:41:00

स्कूल अच्छी माताओं, विशेषज्ञों एवं शोधकर्ता को उत्पन्न करता है, कार्डिनल रंजित


कोलोम्बो, शनिवार, 12 मई 2018 (एशियान्यूज)˸ कोलोम्बो के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल मालकोम रंजित ने विद्यार्थियों से कहा कि वे अच्छे समाज के निर्माण हेतु अपने को तैयार करें।

उन्होंने कोलोम्बो के तुदेल्ला स्थित काथलिक स्कूल, निर्मला मरिया बालिका महाविद्यालय की स्थापना की 75वीं वर्षगाँठ पर, वहाँ के विद्यार्थियों एवं शिक्षकों को सम्बोधित किया।

कार्डिनल ने विद्यार्थियों को संत बनने में मदद देने के लिए शिक्षकों को धन्यवाद दिया तथा विद्यार्थियों से कहा कि वे स्कूल से संत बनना सीखते हैं।  

निर्मला मरिया बालिका महाविद्यालय की स्थापना 1943 में पवित्र परिवार संगठन की धर्मबहनों द्वारा की गयी थी जो आज भी उन्हीं के द्वारा संचालित है।

संगठन की प्रांतीय अधिकारिणी सिस्टर जेसमिन फेर्नांडिस ने एशियान्यूज़ से कहा, "धर्मबहनों के मार्गदर्शन एवं नेतृत्व के लिए धन्यवाद, जिनके द्वारा हम एक बृहद योजना बनाने में कामयाब हुए हैं जो समाज को महिलाओं की शिक्षा, उन्हें अच्छी माता एवं जिम्मेदार नागरिक प्रदान करती है।"

आज की चुनौती न केवल शैक्षणिक परिणाम प्राप्त करना है बल्कि समाज में विभिन्न जिम्मेदारियों को निभाना भी है जहाँ मूल्यों का कद्र नहीं है।

निर्मला मरिया विद्यालय से शिक्षा प्राप्त विद्यार्थियों में से 16 पवित्र परिवार की धर्मबहनें हैं, एक लोकधर्मी समर्पित महिला है, 13 दूसरे धर्मसमाज की धर्मबहनें हैं, साथ ही कई विशेषज्ञ, शोधकर्ता, डॉक्टर, इंजिनियर, सूचनाविभाग, मैनेजर एवं उच्च न्यायालय में न्यायधीश जैसे पदों पर समाज में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती हैं।  

कार्डिनल ने अपने संदेश में कहा कि "हर व्यक्ति विशिष्ठ है सभी एक-दूसरे से अलग हैं। इस विविधता में ही सुन्दरता है। हर व्यक्ति धन्य है वह ईश्वर द्वारा सृष्ट एवं एक महान बुलाहट के लिए बुलाया गया है।"

उन्होंने कहा, "पवित्र बाईबिल इस बुलाहट का वर्णन प्रेम एवं हर व्यक्ति की सेवा, ईश्वर की इच्छा के अनुसार जीने के रूप में करता है जो हमें आनन्द प्रदान करता तथा ईश्वर को महिमान्वित करता है। यही हमारी जिम्मेदारी है जिसकी शिक्षा बाईबिल हमें देती है।"

विद्यार्थियों को सम्बोधित कर कार्डिनल ने कहा कि वे प्रत्येक व्यक्ति महत्वपूर्ण हैं। सभी बहुमूल्य है एवं ईश्वर से विभिन्न प्रकार की क्षमताएं प्राप्त किये हैं। वे उसे पहचानें, उसका विकास करें तथा अच्छे समाज के निर्माण में उनका प्रयोग करें और हमारे ईश्वर को महिमा प्रदान करें। 








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