2018-05-09 16:30:00

भारत के प्रत्यावर्तन योजना की सहायता के लिए उठाये कदम से रोहिंग्या भयभीत


श्रीनगर, बुधवार 9 मई 2018 (उकान) : रोहिंग्या मुस्लिम शरणार्थी अपनी सुरक्षा के लिए परेशान हैं क्योंकि भारत उन्हें म्यांमार में वापस लाने के लिए अपने कदम को तेज करता है, बौद्ध बहुमत वाले राष्ट्र ने पिछले अगस्त से व्यापक हिंसा शुरू कर दी थी।

भारत बांग्लादेश से शरणार्थियों की वापसी की सुविधा प्रदान करने में अपनी सहायता को बढ़ाने की उम्मीद कर रहा है इसलिए भारत के विदेश मामलों की मंत्री सुषमा स्वराज 10 और 11 मई को म्यांमार का दौरा करेंगी।

यू.एन. सुरक्षा परिषद के एक प्रतिनिधिमंडल ने 1 मई को मंत्री सुषमा स्वराज से म्यांमार की यात्रा करने का आग्रह किया जिससे वे म्यांमार सरकार से हजारों शरणार्थियों की वापसी के लिए सुरक्षा की स्थिति में सुधार करने का आग्रह कर सके, जो सैन्य नेतृत्व वाली हिंसा के बाद उत्तरी राखीन राज्य से भाग कर बांग्लादेश में शरण लिये हुए हैं।

यू.एन. काउंसिल चाहती है कि म्यांमार और बांग्लादेश रोहिंग्यों के वापस लौटने की प्रक्रिया को तेज करे जिसे दोनों देश जनवरी में शुरू करने के लिए सहमत हुए थे।

लेकिन योजनाओं में देरी हुई क्योंकि म्यांमार ने पाया कि शरणार्थियों द्वारा दायर दस्तावेज दोनों देशों द्वारा की गई सहमति से मेल नहीं खाते थे।

हालांकि, भारत में रोहिंग्यों का कहना है कि वे भारत और बांग्लादेश में कुछ हिंदू समूहों द्वारा उनके निर्वासन की मांग को देखते हुए भयभीत हैं।

नई दिल्ली के मदनपुर के पास एक शरणार्थी शिविर में रहने वाले रोहिंग्या शाफीक-उर-रहमान ने कहा, "रोहिंग्यों को दुनिया की दी गई घोषणा और आश्वासन अर्थहीन है जब तक कि म्यांमार सरकार हमें अपने लोगों के रूप में नहीं मानती और समुदाय के खिलाफ आतंक को उजागर नहीं करती है।"

 म्यामांर के सैन्य दमन और हिंसा से अपने प्राण बचाने के लिए रखाईन प्रांत से करीब 7 लाख रोहिंग्या बांग्लादेश की शरण लिये हुए हैं। म्यांमार सरकार उन्हें बांग्लादेश से आये प्रवासी मानती है, जहां उन्हें भेदभाव का भी सामना करना पड़ता है।








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