2018-05-01 16:10:00

दिविनो आमोरे में संत पापा की तीर्थयात्रा


रोम, मंगलवार, 1 मई 2018 (वाटिकन न्यूज़)˸ काथलिक कलीसिया 1 मई को मजदूर संत जोसेफ का त्योहार मनाती है जबकि पूरा मई महीना माता मरियम के लिए समर्पित है। इसी के उपलक्ष्य में संत पापा फ्राँसिस आज संध्या 5.00 बजे रोम स्थित मरियम तीर्थ दिव्य प्रेम (दिविनो आमोरे) की तीर्थयात्रा कर वहाँ रोजरी माला प्रार्थना अर्पित करेंगे।

संत पापा ने रविवार को स्वर्ग की रानी प्रार्थना के दौरान विश्वासियों से कहा था कि वे सीरिया एवं पूरे विश्व में शांति हेतु रोजरी माला विन्ती अर्पित करेंगे।

कातानिया स्थित संत लूका के प्रोफेसर अंतोनियो ग्रासो ने मई महीने में तथा दिविनो अमोरे तीर्थ पर माता मरियम की भक्ति पर प्रकाश डालते हुए कहा, "परम्परा के अनुसार सन् 1740 के बसंत ऋतु में जब एक तीर्थयात्री रोम जा रहा था तब वह कस्तेल दी लेवा के ग्रामीण इलाके में खो गया एवं पागल कुत्तों के एक झुँड ने उसे घेर लिया। इस विकट स्थिति में जब उसने ऊपर देखा तो उसे निकट के एक गढ़ के मीनार में लगे माता मरियम एवं उनकी गोद में बालक येसु की तस्वीर दिखाई दी। उसने माता मरियम से प्रार्थना की कि वह ईश्वर से प्रार्थना कर उसे उन कुत्तों से रक्षा करे, जिसके बाद अचानक सारे कुत्ते गायब हो गये। यह खबर फैल गयी और उसी दिन से उस मीनार की यह तस्वीर तीर्थयात्रा का केंद्र बन गयी। पाँच साल बाद 9 अप्रैल 1745 को उस तस्वीर को एक नये गिरजाघर में स्थापित किया गया।  

उन्होंने बतलाया कि दिविनो अमोरे की माता मरियम की इस तस्वीर को 24 जनवरी 1944 में रोम लाया गया तथा लुचिना के संत लोरेंत्सो गिरजाघर में स्थापित किया गया। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 4 जून को मन्नत मानी गयी थी कि यदि वे रोम को विनाश से बचायेंगी तो उनके सम्मान में एक नये तीर्थ की स्थापना की जायेगी। 11 जून को जब स्वतंत्रता मिल गयी तो संत पापा पीयुस 12वें ने संत इग्नासियुस गिरजाघर में धन्यवादी मिस्सा अर्पित किया जिसमें उन्होंने दिविनो अमोरे की माता मरियम को ‘शहर की रक्षिका’ घोषित किया। युद्ध के बाद ईश सेवक फादर य़ूम्बेरतो तेरेंत्सी के द्वारा कास्तेल दी लेवा में पुनः तीर्थस्थल का निर्माण किया गया। कई उतार चढ़ाव के बाद 8 जनवरी 1996 को प्रतिज्ञा के अनुसार नये तीर्थस्थल के निर्माण हेतु नींव डाला गया, जिसका उद्घाटन 2000 ख्रीस्त जयन्ती वर्ष में किया गया। यह तीर्थ स्थल सभी रोम वासियों के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थल है जहाँ हर साल पास्का के बाद पहले शनिवार से अक्टूबर के अंतिम शनिवार तक तीर्थयात्रा की जाती है। इसकी शुरूआत मध्यरात्रि को रोम के चिरकूस माक्सिमुस के निकट पोरता कपेना के प्राँगण से की जाती है तथा 14 किलो मीटर की पैदल यात्राकर लोग तीर्थस्थल पहुँचते हैं और ख्रीस्तयाग में भाग लेते हैं।








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