2018-04-26 16:29:00

प्रेम एवं सेवा के बिना कलीसिया आगे नहीं जा सकती, संत पापा


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 26 अप्रैल 2018 (रेई)˸ वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में बृहस्पतिवार 26 अप्रैल को ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए संत पापा ने प्रवचन में येसु की पिछली व्यारी की याद की जहाँ उन्होंने यूखरिस्त की स्थापना की थी तथा चेलों के पैर धोने के द्वारा सेवा करना सिखलाया था और बतलाया था कि सेवक अपने स्वामी से बड़ा नहीं होता।

संत पापा ने कहा, येसु, यूखरिस्त के द्वारा प्रेम करने तथा पैर धोने के द्वारा सेवा करने की शिक्षा देते हैं। वे बतलाते है कि सेवक अपने स्वामी से बड़ा नहीं होता और न भेजा हुआ उससे, जिसने उसे भेजा। उन्होंने कहा कि ये तीन चीजें कलीसिया के आधार हैं।

प्रवचन में संत पापा संत योहन रचित सुसमाचार से लिए गये पाठ पर चिंतन किया जहाँ अंतिम व्यारी की घटना का जिक्र है। येसु एक लम्बे एवं सुन्दर भाषण तथा दो चिन्हों के साथ अपने शिष्यों से विदा लेते हैं। संत पापा ने कहा, "शिष्यों एवं भावी कलीसिया के लिए दो चिन्ह जिसे कलीसिया की स्थापना हुई, येसु अपने शरीर एवं लोहू से खिलाते और पिलाते हैं और यूखरिस्त की स्थापना करते तथा वे पैर धोते एवं सेवा का उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। इन्हीं दो चिन्हों से दो आज्ञाओं का जन्म हुआ है जिनसे कलीसिया बढ़ती है यदि हम उनके प्रति निष्ठावान रहते हैं।   

प्रेम की आज्ञा ˸ एक पड़ोसी को हम जैसा चाहते वैसा नहीं किन्तु ख्रीस्त के समान प्रेम करना है। एक ऐसा प्यार जिसकी कोई सीमा नहीं है। संत पापा ने कहा कि इसके बिना कलीसिया आगे नहीं जा सकती, वह सांस नहीं ले सकती और एक खाली बरतन के समान हो जाती है जो केवल ऊपर से दिखाई पड़ती और सबकुछ व्यर्थ हो जाता है। येसु हमें बतलाते हैं कि हम किस तरह अंत तक प्रेम करें।  

दूसरी नई आज्ञा है, एक दूसरे की सेवा करो। येसु इस बात को स्पष्ट करते हैं कि एक सेवक अपने स्वामी से बड़ा नहीं हो सकता और न भेजा हुआ उस से, जिसने उसे भेजा। संत पापा ने कहा कि यह सरलता एवं सच्ची दीनता है।

इस बात के प्रति सचेत रहते हुए कि येसु हम सभी से महान हैं और हम उनके सेवक हैं हम येसु से बड़े नहीं हो सकते, हम उनका प्रयोग नहीं कर सकते हैं। मालिक वे हैं हम नहीं। वे ईश्वर के व्यवस्थान हैं वे हमें भोजन एवं जल प्रदान करते तथा आज्ञा देते हैं कि हम उनके समान एक-दूसरे को प्यार करें। वे हमारे पैर धोते तथा हमें बतलाते हैं कि हम भी ऐसा ही करें किन्तु वे हमें सचेत करते हैं कि हम एक सेवक हैं और हम उनसे बड़े नहीं हो सकते जिन्होंने हमें भेजा है। यदि हम इन चीजों पर ध्यान देते हुए आगे बढ़ेंगे तो कभी असफल नहीं होंगे।

संत पापा ने कहा कि संतों एवं शहीदों ने सेवक होने की मनोभावना से इनका पालन किया। येसु आगे कहते हैं मैंने जिन्हें चुना है और मैं जानता हूँ कि तुम में से एक मेरे साथ विश्वास घात करेगा।

संत पापा ने सलाह दी कि हम मौन रहकर अपने आप को प्रभु को देखने दें। हम इसके द्वारा बहुत तरह का अनुभव कर सकते हैं किन्तु येसु को देखने दें उसी नजर से जिस नजर से उन्होंने अंतिम व्यारी के समय अपने शिष्यों को देखा था।








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