2018-04-01 11:38:00

पास्का महापर्व पर रोम शहर एवं विश्व के नाम जारी सन्त पापा फ्राँसिस का सन्देश


वाटिकन सिटी, रविवार, 01 अप्रैल 2018 (रेई, वाटिकन रेडियो): आज ईस्टर, पास्का यानि येसु मसीह के पुनःरुत्थान का महापर्व। येसु ख्रीस्त के मुर्दों में से पुनः जी उठने के स्मरणार्थ मनाये जानेवाले पास्का महापर्व के शुभ अवसर पर हम आप सबके प्रति शुभकामनाएँ अर्पित करते हैं। पुनर्जीवित प्रभु ख्रीस्त आप सबको अपनी कृपा, ज्योति एवं शांति से परिपूर्ण कर दें!

रविवार, पहली अप्रैल को काथलिक कलीसिया के परमधर्मगुरु, सन्त पापा फ्राँसिस ने, रोम स्थित सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में, उपस्थित तीर्थयात्रियों के समक्ष, ईस्टर महापर्व के उपलक्ष्य में  सम्पूर्ण विश्व एवं रोम शहर के नाम अपना विशिष्ट पास्का सन्देश जारी किया....

"अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, पास्का मुबारक हो! "इन शब्दों से अपना पास्का सन्देश आरम्भ कर सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा, "येसु मुर्दों में से जी उठे हैं। आल्लेलूया गीत सहित यह घोषणा सम्पूर्ण विश्व के गिरजाघरों में गूँज रही हैः येसु ही प्रभु हैं, पिता ईश्वर ने उन्हें पुनर्जीवित किया है तथा वे हमारे बीच सदा-सर्वदा के लिये जीवित हैं।

गेहूँ के दाने की छवि में स्वयं येसु ने अपनी मृत्यु एवं पुनःरुत्थान के विषय में पूर्वघोषित किया था। उन्होंने कहा था, "जब तक गेहूँ का दाना मिट्टी में गिरकर नहीं मर जाता, तब तक वह अकेला ही रहता है, परन्तु यदि वह मर जाता है, तो बहुत फल देता है।" वास्तव में यही हुआः धरती के भीतर पिता ईश्वर द्वारा बोया गया गेहूँ का दाना, विश्व के पाप के कारण मर गया, दो दिन वह कब्र में रहा; किन्तु उसकी मृत्यु में ईश्वर के प्रेम की सारी शक्ति निहित थी, जो तीसरे दिन प्रकट होकर विस्तृत हुई और जिसका हम आज महापर्व मना रहे हैं: प्रभु येसु ख्रीस्त का पास्का।"    

सन्त पापा ने कहा, "हम ख्रीस्तीय धर्मानुयायी जानते हैं कि ख्रीस्त का पुनःरुत्थान ही विश्व की यथार्थ आशा है जो कभी धोखा नहीं देती। यह गेहूँ के दाने की शक्ति है, प्रेम की शक्ति है जो स्वतः को खाली कर देती, अन्त तक अपने आप को अर्पित कर देती है तथा सचमुच में विश्व को नवीकृत करती है। यह शक्ति आज भी फलप्रद है और आज भी, अन्याय और हिंसा से चिन्हित हमारे इतिहास में भी फल उत्पन्न कर रही है। यह वहाँ आशा और गरिमा के फल उत्पन्न करती है, जहाँ निर्धनता और बहिष्कार है, जहाँ भूख और रोज़गार का अभाव है, प्रायः बाहर फेंक देनेवाली समसामयिक संस्कृति द्वारा भगा दिये जानेवाले शरणार्थियों एवं आप्रवासियों के बीच, अवैध मादक पदार्थों एवं मानव तस्करी के शिकार लोगों के बीच तथा हमारे समय की दास प्रथा के शिकार लोगों के बीच।

उन्होंने आगे कहा, "और आज हम सम्पूर्ण विश्व के लिये शांति के फलों का निवेदन करते हैं, हमारे प्रिय और प्रताडित सिरिया से हम आरम्भ करें जिसकी जनता ऐसे युद्ध के चंगुल में फँसी है जिसका अन्त नहीं दिख रहा है। इस पास्का के अवसर पर मेरी मंगलयाचना है कि पुनर्जीवित प्रभु ख्रीस्त का प्रकाश समस्त ज़िम्मेदार राजनीतिज्ञों एवं सैन्य बलों के अन्तःकरणों को आलोकित करे ताकि वहां जारी नरसंहार को तुरन्त समाप्त किया जा सके। साथ ही, मानवतावादी एवं लोकोपकारी अधिकारों का सम्मान करते हुए तत्काल हमारे उन भाइयों एवं बहनों को मदद पहुँचाई जा सके जिन्हें इनकी सख्त ज़रूरत है तथा विस्थापितों की घर वापसी के लिये उपयुक्त परिस्थितियों को सुनिश्चित्त किया जा सके।"

पवित्रभूमि में शांति हेतु प्रार्थना करते हुए सन्त पापा ने कहा, "पवित्रभूमि के लिये हम पुनर्मिलन के फलों की याचना करें, जो इन दिनों भी खुले संघर्षों के घावों से घायल है, जो रक्षाहीन लोगों को भी नहीं छोड़ते हैं, यमन और सम्पूर्ण मध्यपूर्व के लोगों के लिये हम विनती करें जिससे वहाँ विभाजन एवं हिंसा के बजाय संवाद और आपसी सम्मान प्रबल रहे। प्रायः दुर्व्यवहार और उत्पीड़न का सामना करनेवाले ख्रीस्त में हमारे भाई बहन पुनर्जीवित ख्रीस्त तथा बुराई पर भलाई की विजय के प्रकाशमान साक्षी बन सकें।"

अफ्रीका का स्मरण करते हुए सन्त पापा ने कहा, "इस दिन हम उन लोगों के लिये याचना करें जो मर्यादापूर्ण जीवन के लिये तरसते हैं, विशेष रूप से, अफ्रीकी महाद्वीप के उन हिस्सों लिये जहाँ लोग भुखमरी, स्थानीय संघर्षों एवं आतंकवाद से पीड़ित हैं। पुनर्जीवित प्रभु दक्षिणी सूडान के घावों को भर दें तथा सम्वाद एवं परस्पर समझदारी हेतु हृदयों के द्वारों को खोल दें। उस संघर्ष के शिकार लोगों को हम न भूलें, विशेष रूप से, बच्चों को। उन लोगों के प्रति एकात्मता कभी कम न हो जो अपनी भूमि का पलायन करने के लिये बाध्य हैं तथा जीवन की न्यूनतम आवश्यकताओं से भी वंचित हैं।"

उन्होंने कहा, "कोरियाई प्रयद्वीप में सम्वाद के फलों की हम आर्त याचना करें, ताकि जारी वार्ताएं उस क्षेत्र में मैत्री और शांति को बढ़ावा दें। जिन लोगों की ज़िम्मेदारी है वे, कोरियाई जनता के कल्याण तथा अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के साथ भरोसेमन्द सम्बन्धों के निर्माण हेतु विवेक और प्रज्ञा से काम लें। इसी तरह यूक्रेन में शांति हेतु हम प्रार्थना करें, ताकि सद्भाव के पक्ष में कदम मजबूत हो सकें और जनता की जरूरतों के मुताबिक लोकोपकारी पहलें शुरु की जा सकें।"

सन्त पापा ने आगे कहा, "वेनेज़ुएला के लोगों के लिये हम सान्तवना के फलों का निवेदन करें जो, जैसा कि उनके पुरोहितों ने लिखा है, अपने ही देश में एक प्रकार से "विदेशी धरती" पर जी रहे हैं। प्रभु येसु के पुनःरुत्थान की शक्ति से इस देश पर छाये राजनैतिक एवं मानवतावादी संकट से निकलने का मानवीय, न्यायिक और शांतिपूर्ण मार्ग ढूँढ़ा जा सके। साथ ही, इस राष्ट्र की उन सन्तानों के लिये स्वागत-सत्कार एवं सहायता की कभी कमी न हो जो अपने देश का पलायन के करने के लिये मजबूर हैं।

पुनर्जीवित ख्रीस्त नवजीवन के फलों को उन बच्चों तक पहुंचायें जो युद्ध एवं क्षुधा के फलस्वरूप शिक्षा और स्वास्थ्य के बिना, आशाविहीन जीवन यापन कर रहे हैं; उन वयोवृद्धों तक भी ये फल पहुँचे जो अहंकारी संस्कृति द्वारा बाहर कर दिये गये हैं क्योंकि ऐसी संस्कृति उन लोगों को बाहर फेंक देती है जो "उत्पादक" नहीं होते।

उन सब लोगों के लिये हम विवेक के फलों का निवेदन करें जिन लोगों पर समस्त विश्व में राजनैतिक ज़िम्मेदारियाँ हैं ताकि वे सदैव मानव प्रतिष्ठा का सम्मान करें, जनकल्याण हेतु समर्पण के साथ अपने दायित्वों का निर्वाह करें तथा अपने नागरिकों के लिये विकास एवं सुरक्षा को सुनिश्चित्त करें।"

अन्त में सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा, "अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, कब्र पर पहुँची महिलाओं के सदृश ही हमें भी ये शब्द सम्बोधित हैं, "जो जीवित है उसे आप मृतकों में क्यों खोजती हैं?  वे यहाँ नहीं हैं, वे जी उठे हैं" (लूक. 24, 5-6)। मृत्यु, अकेलापन तथा भय अब अन्तिम शब्द नहीं रह गये हैं। एक ऐसा शब्द है जो सबके परे है और जिसका उच्चार केवल ईश्वर कर सकते हैं: यह पुनःरुत्थान का शब्द है (दे. सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय, पवित्र क्रूस मार्ग की विनती, 18 अप्रैल 2003)। ईश्वर के प्रेम की शक्ति यह है कि वह "बुराई को पराजित करता, पापों को धोता, पापियों को पुनः निर्दोष बनाता, पीड़ितों को आनन्द प्रदान करता, घृणा को दूर करता, सत्ताधारियों की कठोरता को नर्म करता तथा सामन्जस्य एवं शांति को प्रोत्साहन देता है। आप सभी को पास्का पर्व मुबारक!   

इन शब्दों से रोम शहर एवं विश्व के नाम अपना पास्का संदेश समाप्त कर संत पापा फ्राँसिस ने सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।








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