2018-03-26 15:06:00

खजूर रविवार को संत पापा का प्रवचन


वाटिकन सिटी, सोमवार, 26 मार्च 2018 (रेई)˸ वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 25 मार्च, खजूर पर्व के दिन संत पापा फ्राँसिस ने समारोही ख्रीस्तयाग अर्पित किया।

उन्होंने प्रवचन में कहा, ̎येसु येरूसालेम में प्रवेश करते हैं। धर्मविधि हमें उन लोगों के आनन्द एवं उत्सव में भाग लेने का निमंत्रण देता है जिनमें अपने प्रभु का जय-जयकार करने की योग्यता थी। एक ऐसा आनन्द जो अभी के दुःखभोग वृतांत के अंत में हमारे कड़वे एवं दुखद अनुभव को कम करता है। यह उत्सव आनन्द एवं दुःख, गलतियों एवं सफलताओं को एक साथ मिलाते हुए प्रतीत होता है जो शिष्यों की तरह हमारे दैनिक जीवन के हिस्से हैं। फिर भी, यह विरोधात्मक अनुभव को व्यक्त करता है जिसको हम आज के स्त्री एवं पुरूष अनुभव करते हैं, बहुत अधिक प्यार करने की क्षमता...किन्तु बहुत अधिक घृणा करने की भी। साहसपूर्वक आत्मत्याग करने का सामर्थ्य किन्तु सही समय पर अपने हाथों को धो देने की भी, निष्ठा की योग्यता किन्तु धोखा देने एवं छोड़ने का साहस।   

हम पूरे सुसमाचार में भी देखते हैं कि जो आनन्द येसु उत्पन्न करते हैं कुछ लोगों के लिए, क्रोध और जलन का कारण बन जाता है।

येसु अपने लोगों की भीड़ के साथ शहर में प्रवेश करते हैं जो उनका जय-जयकार कर रहे थे एवं नारे लगा रहे थे।

संत पापा ने कहा कि हम एक साथ चिल्लाने की आवाज को सुनने की कल्पना करें। क्षमा किये गये पुत्र, चंगा किया गया कोढ़ी अथवा खोये हुए भेड़ की मिमियाहट की आवाज को सुनें। चुंगी वाले एवं अशुद्ध व्यक्ति तथा शहर के बाहरी इलाकों में रहने वाले लोगों के गाने की आवाज सुनें। उन लोगों के जय-जयकार को जिन्होंने येसु का अनुसरण किया था क्योंकि उन्हें अपने दुःखों एवं पीड़ाओं में उनकी सहानुभूति का अनुभव हुआ था। यही पीछे छोड़ दिये गये एवं अनदेखा कर दिये गये लोगों का संगीत एवं सतत् आनन्द था जो येसु द्वारा प्रभावित थे जो इस समय ऊँचे स्वर से पुकार रहे थे। ̎धन्य हैं वे जो प्रभु के नाम पर आते हैं।” वे किस तरह उनकी प्रशंसा नहीं करते जिन्होंने उनकी आशा एवं प्रतिष्ठा को बचाया था। आनन्द उन्हीं लोगों का था जो क्षमा किये गये थे और जो फिर से आशा एवं भरोसा कर सकते थे। वे जय-जयकार कर रहे थे, वे खुशी मना रहे थे, यही आनन्द है।   

इस तरह के आनन्द एवं प्रंशसा उन लोगों के लिए असहजता, कठोरता एवं परेशानी का कारण बना जो अपने आपको धर्मी और नियमों एवं धार्मिक अनुष्ठानों के प्रति निष्ठावान मानते थे। यह आनन्द उन लोगों के लिए असह्य हो गया था जो दुःख, पीड़ा एवं मुसीबतों की ओर से कठोर हो चुके थे जो उन्हें असभ्य मान रहे थे। यह आनन्द उनके लिए सहन के परे था जिन्होंने उन अवसरों को खो दिया था जिन्हें उन्हें दिया गया था। आराम की जिंदगी जीने वालों एवं अपने आप को धर्मी समझने वालों के लिए ईश्वर की दया के इस आनन्द एवं उत्सव को समझना अत्यन्त कठिन था। यह उन लोगों के लिए कितना कठिन है जो अपने आप पर भरोसा रखते तथा इस आनन्द में भाग लेने के लिए दूसरों को निम्न समझते हैं।   

इस प्रकार, यहाँ एक अन्य प्रकार की आवाज सुनाई पड़ती है, क्रूरता की आवाज जो चिल्लाते हैं, ̎उन्हें क्रूस दीजिए।̎ यह स्वतः नहीं थी किन्तु बुराई, तिरस्कार एवं झूठी निंदा के हथियार को धारण कर चुकी थी। यह एक ऐसी आवाज थी जो एक वास्तविकता से दूसरी वास्तविकता की ओर बढ़ने से उत्पन्न होती है। यह इस कहानी से आती है। यह उन लोगों की आवाज है जो सच्चाई को मोढ़ देते तथा दूसरों के अच्छे नाम की चिंता किये बिना अपने फायदों के लिए कहानियाँ गढ़ते हैं। यह गलत है। यह उन लोगों की आवाज है जिन्हें सत्ता की खोज करने तथा विभिन्न तरह की आवाजों को शांत करने में कोई तकलीफ नहीं होती। आवाज जो घुमने वाली सच्चाई से आती है तथा उसे उस तरह रंग देती है कि वे येसु के चेहरे को विरूपित कर देते हैं और उन्हें अपराधी घोषित करते हैं। यह उन लोगों की आवाज है जो अपने गौरवपूर्ण स्थित की रक्षा करना चाहते हैं, खासकर, असुरक्षित लोगों को बदनाम करते हैं। यह एक ऐसी आवाज है जो आत्म निर्भरता, घमंड एवं उदण्डता दिखाने से उत्पन्न होता है जो यह चिल्लाने में कोई तकलीफ महसूस नहीं करते, ̎उन्हें क्रूस दीजिए, उन्हें क्रूस दीजिए।̎

इस तरह दम घुटने के अनुभव के साथ लोगों के उत्सव का अंत होता है। आशा को नष्ट कर दिया जाता है, कल्पना को मार दिया जाता है, आनन्द को दबा दिया जाता, हृदय को बंद कर दिया जाता एवं उदारता ठंढी पड़ जाती है। यह अपने ̎आपको बचाओ ̎ की आवाज है जो हमारी एकात्मकता की भावना को कमजोर कर सकती है, उत्साह को निस्र्त्साहित कर सकती है तथा हमारी दृष्टि में त्रुटि ला सकती है जो सहानुभूति को मिटाना चाहती है जो कि ईश्वर की कमजोरी है।

संत पापा ने कहा कि ऐसे लोगों का सामना करने के लिए सबसे उत्तम उपाय है कि ख्रीस्त के क्रूस को देखना तथा अपने आपको उनके अंतिम आवाज से चुनौती दिया जाना। वे हम प्रत्येक के लिए पुकारते हुए मर गये, अपने तथा हमारे समय के युवा एवं वृद्ध तथा धर्मियों एवं पापियों के लिए। उनके क्रूस द्वारा हम बचाये गये हैं अतः सुसमाचार के आनन्द पर दबाव कोई नहीं डाल सकता। कोई भी, किसी भी परिस्थिति में पिता की करुणामय दृष्टि से वंचित नहीं रह सकता।

क्रूस की ओर देखने का अर्थ है हमारी प्राथमिकताओं, चुनावों एवं कार्यों को चुनौती दिया जाना। इसका मतलब है कठिनाई में पड़े लोगों के प्रति अपने मनोभाव पर सवाल करना। उन्होंने कहा, ̎ भाइयो एवं बहनो, हमारे हृदय का केंद्र कहां है? क्या येसु ख्रीस्त ही मेरे हृदय में आनन्द एवं स्तुति के स्रोत हैं अथवा क्या हम पापियों, निम्न एवं भुला दिये गये लोगों की ओर देखने में लज्जा महसूस करते हैं?   

संत पापा ने युवाओं को सम्बोधित कर कहा, ̎ प्रिय युवाओ, आनन्द जिसको येसु आपमें उत्पन्न करते हैं वह कुछ लोगों के लिए गुस्सा एवं जलन का कारण बन सकता है चूँकि एक प्रसन्नचित युवा के साथ हेरफेर करना आसान नहीं होता किन्तु आज एक तीसरे प्रकार की आवाज सम्भव है, ̎भीड़ में कुछ फरीसियों ने कहा, ̎ गुरूवर, अपने शिष्यों को डांटिये। परन्तु ईसा ने उत्तर दिया, मैं तुमसे कहता हूँ यदि वे चुप रहे तो पत्थर भी बोल उठेंगे। (लूक. 19: 39-40)

युवाओं को शांत करने का प्रलोभन हमेशा से रहा है। स्वयं फरीसियों ने येसु को फटकारा एवं उन्हें चुप करने का प्रयास किया।

ये कई तरह के रास्ते हैं जिनसे युवाओं को चुप किया जाता है एवं उन्हें अदृश्य बना दिया जाता है। कई रास्ते हैं जिनके द्वारा उन्हें अचेत कर दिया जाता है ताकि उन्हें चुप रखा जा सके, ताकि वे कुछ न मांगे एवं किसी प्रकार का सवाल न करें।

उन्हें शांत करने एवं शामिल होने से रोकने तथा नीरस, उदास, तुच्छ एवं शोकाकुल महसूस करने के कई तरीके अपनाये जाते हैं।

संत पापा ने कहा कि इस खजूर रविवार को जब हम विश्व युवा दिवस मना रहे हैं, हमारे लिए यह अच्छा होगा कि हम फरीसियों को दिये येसु के उत्तर को सुनें, यदि वे चुप रहें तो पत्थर भी बोल उठेंगे।” (लुक. 19:40)

संत पापा ने युवाओं से कहा कि वे यह उनपर निर्भर करता है कि वे बोलें। यह उन पर निर्भर करता है कि वे रविवार के ̎ होसन्ना ̎ को अपनाएँ ताकि शुक्रवार को उन्हें क्रूस दीजिए की आवाज में न पड़ना पड़े। यह उन पर निर्भर करता है कि वे चुप न रहें। यदि दूसरे चुप रहें, यदि बुजूर्ग एवं नेता भ्रष्ट हों, यदि सारी दुनिया चुप रहे तो वे अपना आनन्द खो देंगे? उन्होंने युवाओं से प्रश्न किया, क्या वे बोलना चाहते हैं? उन्होंने कहा कि आप पत्थर के बोलने से पहले बोलने का निर्णय लें।

समारोही ख्रीस्तयाग के अंत में संत पापा ने सभी विश्वासियों के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया। 








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