2018-02-28 11:29:00

कार्डिनल पारोलीन ने पैलेटिव केयर सम्मेलन के प्रतिभागियों को लिखा पत्र


वाटिकन सिटी, बुधवार, 28 फरवरी 2018 (रेई, वाटिकन रेडियो): वाटिकन में "पैलेटिव केयर" पर आयोजित सम्मेलन के प्रतिभागियों को वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पियेत्रो पारोलीन ने बुधवार को सन्त पापा फ्राँसिस की ओर से पत्र लिखकर शुभकामनाएँ अर्पित की। 

वाटिकन स्थित जीवन सम्बन्धी परमधर्मपीठीय अकादमी के तत्वाधान में "पैलेटिव केयर" यानि प्रशामक देखभाल पर सम्मेलन का आयोजन किया गया है। परमधर्मपीठीय अकादमी के महासचिव महाधर्माध्यक्ष विन्चेनसो पालिया के नाम लिखे पत्र में कार्डिनल पारोलीन ने आशा व्यक्त की कि किसी भी प्रकार के चिकित्सीय उपचार में मानव प्रतिष्ठा का ध्यान रखा जाये।

कार्डिनल महोदय ने इस बात के प्रति ध्यान आकर्षित कराया कि प्रशामक देखभाल व्यक्ति के जीवन के अन्तिम चरण में दी जानेवाली देखभाल है जो रोगी की स्वतंत्रता को सीमित करती तथा व्यथा एवं पीड़ा का कारण बनती है। उन्होंने कहा, "यह इतनी संवेदनशील अवधि है कि आज का समाज इसका सामना करने से डरता है जबकि ऐसा करने से हम अपने आपको जीवन की नियत्ता एवं उसके परिपक्व क्षणों से वंचित कर लेते हैं।"

कार्डिनल महोदय ने कहा कि जीवन के अन्तिम चरण में दी जानेवाली प्रशामक चिकित्सा अत्यधिक महत्वपूर्ण है इसलिये कि यह चिकित्सा विज्ञान के नये आयामों की पुनर्खोज करती है। उन्होंने कहा, "चिकित्सा विज्ञान का परम कार्य उपचार प्रदान करना एवं रोगी को चंगा करना होना चाहिये। यह कार्य, अथक परिश्रम के साथस नित्य नया ज्ञान प्राप्त कर तथा नये रोगों का उपचार ढूँढ़ कर  किया जा सकता है।"

कार्डिनल पारोलीन ने कहा, "प्रशामक चिकित्सा का अर्थ है कि रोगी की सीमाओं को देखते हुए उसका परित्याग नहीं किया जाये बल्कि जीवन की कठिन और अन्तिम घड़ी में उसके समीप रहा जाये क्योंकि सिर्फ ऐसा कर ही रोगी का अलगाव एवं अकेलापन, मिलन और सहभागिता में परिणत हो सकता है।" 

उन्होंने कहा, "देखभाल की तर्कणा हमें परस्पर प्रेम के आयामों का स्मरण दिलाती है जो बीमारी एवं जीवन की अन्तिम घड़ियों में, विशेष रूप से, उभरते हैं तथा मानव सम्बन्धों के महत्व को समझाते हैं।" इस सन्दर्भ में रोमियों को प्रेषित पत्र में सन्त पौल लिखते हैं, "भ्रातृत्व प्रेम का ऋण छोड़कर और किसी बात में किसी के ऋणी न बनें। जो दूसरों को प्यार करता है, उसने संहिता के सभी नियमों का पालन किया है।" 








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