2018-02-26 17:23:00

येसु ख्रीस्त का रूपांतरण


वाटिकन सिटी, सोमवार 26 नम्बर  2018 (रेई) संत पापा फ्राँसिस ने 25 फरवरी को संत पेत्रुस महागिरजा घर के प्रांगण में देवदूत प्रार्थना हेतु जमा हुए हज़ारों विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को  संबोधित करते हुए कहा, प्रिय भाई और बहनो, सुप्रभात

चालीसा के द्वितीय रविवार का सुसमाचार हमें येसु ख्रीस्त के रूपांतरण पर चिंता करने हेतु निमंत्रण देता है। यह घटना छः दिन बाद घटी जहाँ येसु ने अपने शिष्यों के सामने प्रकट रुप से इस बात की चर्चा करते हुए कहा था कि उन्हें येरुसलेम जाना होना और नेताओं, महायाजकों और शास्त्रियों द्वारा ठुकराया जाना, मार डाला जाना और तीन दिन के बार जी उठना होगा। (मरकुस 8.31) येसु की यह बात चेलों को विचलित करती है और पेत्रुस इसका विरोध करता है। वास्तव में येसु के चेले एक शक्तिशाली राजा और मुक्तिदाता की प्रतीक्षा कर रहे थे लेकिन येसु एक नम्र और विनीत ईश्वर के सेवक स्वरूप प्रकट होते हैं जो दुःखों की राह में चलते हुए मृत्यु को प्राप्त करते और इस भांति अपने पिता को बलि अर्पित करते हैं। कोई अपने स्वामी और मुक्तिदाता का अनुसरण कैसे कर सकता है जिसने अपने दुनियावी जीवन में इस प्रकार के मार्ग का चुनाव कर लिया होॽ अतः चेलों को यह बात रुचिकर नहीं लगती है और वे इस बात को लेकर चिंतित होते हैं। उनकी इस चिंता का उत्तर येसु के रूपांतरण में उन्हें मिलता है। संत पापा ने कहा कि येसु के रूपांतरण का क्या अर्थ हैॽ यह हमें उनके पुनरुत्थान का पूर्वाभास देता है।

येसु अपने तीन शिष्यों पेत्रुस, याकूब और योहन को लेकर पहाड़ के ऊपर जाते हैं। (मरकुस 9.2) वहाँ वे उन्हें अपने, एक क्षण के लिए ईश्वर के पुत्र का महिमान्वित होने की घटना को प्रत्यक्ष रुप में दिखलाते हैं। शिष्यों का अपने गुरु के रूपांतरित रुप को देखना उन्हें अपने स्वामी के दुःखभोग को सकारात्मक रुप में लेने हेतु मदद करता है। संत पापा ने कहा, “चेले इस बात को देखते हैं कि दुःखभोग उपरान्त ईश पुत्र महिमान्वित होंगे। इस भांति येसु उन्हें एक तरह से तैयार करते हैं।” येसु का रूपांतरण चेलों को और हमें मुक्तिदाता येसु के दुःखभोग और क्रूस मरण के रहस्य को समझने हेतु मदद करता है जो हमारे लिए प्रेम के उपहार को प्रदर्शित करते हैं, येसु हमारे लिए अपने अनंत प्रेम को दिखलाते हैं। पर्वत में येसु का रूपांतरण हमें उनके पुनरुत्थान को और अधिक गहराई से समझने हेतु मदद करता है। क्रूस के रहस्य को समझने हेतु हमारे लिए यह आवश्यक है कि हम येसु के पुनरुत्थान का पूर्वाभास करें जो न केवल मनुष्य हैं वरन पिता के द्वारा हमारे लिए भेजे गये ईश्वर के पुत्र भी हैं। वे मरण तक अपने पिता के प्रति आज्ञाकारी बने रहते और हमें मुक्ति दिलाते हैं। इस भांति पिता का पुत्र को भेजने की प्रतिज्ञा जिसकी घोषणा उन्होंने यर्दन नदी के तट पर येसु के बपतिस्मा के समय, मानव जाति हेतु कि थी पूरी करते हैं। “उसकी सुनो।” (मरकुस 7) संत पापा ने कहा कि चेले विश्वास, भरोसा और आशा में अपने स्वामी का अनुसरण करने हेतु बुलाये जाते हैं। क्रूस काठ में अपनी मृत्यु के द्वारा येसु अपनी ईश्वरीय दिव्यता को हमारे लिए व्यक्त करते हैं। सुसमाचार रचयिता संत मरकुस इसे अपने सुसमाचार में शत्तपति के विश्वास पूर्ण घोषणा द्वारा व्यक्त करते हैं, “निश्चय ही, यह ईश्वर का पुत्र था।” (मरकुस. 15.39)

हम माता मरियम से निवेदन करें जिन्होंने ईश्वर की कृपा को अपने में मानव शरीर के रुप में ग्रहण किया, वे हमें अपनी मातृत्व द्वारा चालीसा के इस समय में विश्वासी और उदार बने रहने हेतु मदद करें।

इतना कहने के बाद संत पापा ने विश्वासी समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया और सभों को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।   

देवदूत प्रार्थना के उपरान्त संत पापा फ्रांसिस ने विश्व के विभिन्न देशों से आये हुए विश्वासियों और तीर्थयात्रियों से अपील करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनों। इन दिनों मैं सीरिया के लोगों की विशेष याद करता हूँ जहाँ युद्ध की स्थिति और भी बदतर हो गई है विशेष कर पूर्वी घौटा के प्रान्त में। संत पापा ने सीरिया के लोगों के प्रति अपनी हृदय विदारक संवेदना को जाहिर करते हुए कहा कि फरवरी के इस महीने में युद्ध की स्थिति पिछले सात सालों से भी अधिक हिंसक हो गई है। इस हिंसक युद्ध का शिकार बच्चे, महिलाएं, बुजुर्गों और हजारों की संख्या में आम जनता को होना पड़ रहा है। कई अस्पताल ध्वस्त हो गये हैं। उन्होंने कहा कि लोगों के लिए जीविका की सामग्री नहीं मिल रही है जो अमानवीय स्थिति को बायाँ करती है। हम हिंसा से हिंसा का दमन नहीं कर सकते हैं। युद्ध अपने में बुराई है। संत पापा ने सीरिया में अतिशीघ्र युद्ध विराम हेतु अपील की जिससे प्रभावित लोगों को मानवीय सहायता, घायलों और बीमार से पीड़ितों हेतु भोजन और चिकित्सा उपलब्ध कराई जा सकें। उन्होंने सभी विश्वासी भक्तों के साथ मिल कर सीरिया में युद्ध विराम हेतु मौन प्रार्थना के उपरान्त दूत संवाद प्रार्थना की अगुवाई की।

इतना कहने के बाद संत पापा ने रोम, इटली, सिपस्स, स्लोवाकिया और विश्व के विभिन्न देशों से आये हुए तीर्थयात्रियों का अभिवादन किया।

उन्होंने पात्रों धर्मप्रान्तीय दूरदर्शन केन्द्र के प्रतिनिधियों और उनके धर्माध्यक्षों, अप्पिदो मामेरतीना के गायक दल और जेनेवा के स्काऊट दल का अभिवादन किया। उन्होंने सिरेवाले स्क्रवाई, वर्डेलिनो, ज़िंगोनिया, लोदी, रेनाट और वर्डेगियो विश्वासी दलों के साथ “दुर्लभ बीमारी से ग्रसित” लोगों की सेवा में संलग्न संगठन का अभिवादन किया और अंत अपने लिए प्रार्थना की याचना करते हुए सबों को रविवारीय मंगल कामनाएं अर्पित की।








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