2018-02-22 16:19:00

33वें विश्व युवा दिवस हेतु संत पापा का संदेश


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 22 फरवरी 2018 (रेई): 33वें विश्व युवा दिवस 2018 के लिए संत पापा फ्राँसिस के संदेश को वाटिकन ने 22 फरवरी को प्रकाशित किया।

विश्व युवा दिवस की विषयवस्तु है, "मरियम, डरिये नहीं, आपको ईश्वर की कृपा प्राप्त है।" (लूक. 1:30)

संत पापा ने संदेश में लिखा, "प्रिय युवाओं, विश्व युवा दिवस 2018, पनामा में जनवरी 2019 में होने वाले विश्व युवा दिवस की तैयारी में एक-दूसरे पहल का प्रतिनिधित्व करता है। हमारे सौभाग्य का यह नया पहल, जो इस वर्ष धर्माध्यक्षों की धर्मसभा में पुष्ट किया जाएगा। यह एक सुखद संयोग है जिसमें कलीसिया की प्रार्थना एवं चिंतन का केंद्र बिन्दु युवा होंगे, इस चाह से कि आप जो ईश्वर, कलीसिया एवं विश्व के बहुमूल्य उपहार हैं उन्हें अपनाया जा सकें।"

संत पापा ने युवाओं को माता मरियम की मध्यस्थता द्वारा प्रार्थना की प्रेरणा देते हुए कहा कि वे सिनॉड में तथा पनामा में आयोजित विश्व युवा दिवस में हमारे साथ चलेंगी। विश्व दिवस की विषय वस्तु "मरियम, डरिये नहीं, आपको ईश्वर की कृपा प्राप्त है" ये शब्द मरियम के लिए ईश्वर के संदेशवाहक महादूत गाब्रिएल के हैं जो गलीलिया के छोटे गाँव की एक साधारण लड़की थी।

संत पापा ने "डरिये नहीं" की व्याख्या करते हुए लिखा कि महादूत के अचानक प्रकट होने एवं रहस्यात्मक प्रणाम के कारण मरियम का डरना स्वाभाविक था। धर्मग्रंथ के अन्य नबियों की तरह वह भी ईश्वर की बुलाहट पर डर गयीं जिन्होंने उनके सामने अपनी महान योजना को रखा और यह उन्हें नगण्य होने का एहसास दिया। ईश्वर हमारे हृदय के सबसे गहरे भाव को भी पढ़ सकते हैं। वे जानते हैं कि हमें जीवन में किन प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। ये क्षण हमारे लिए भी भय के कारण परेशान करने वाले होते हैं।

संत पापा ने युवाओं से प्रश्न किया, "और आप युवाओं के लिए किस चीज का भय है? आपको क्या सबसे अधिक परेशान करता है?" कई लोग प्यार नहीं किये जाने अथवा स्वीकार नहीं किये जाने से डरते हैं। आज कई युवा अपनी असलियत से भिन्न दिखाई देने की आवश्यकता महसूस करते हैं तथा कृत्रिम अथवा दुर्लभ चीजों को अपनाना चाहते हैं। अपनी तस्वीर की फोटो शॉप करते एवं अपने को मास्क एवं झूठी पहचान के पीछे छिपाना चाहते हैं। कई लोगों में अधिक से अधिक लाईक पाने का जुनून सवार हो जाता है। इस तरह उनमें कई तरह के भय उत्पन्न हो जाते हैं। कई लोग नौकरी की अनिश्चितता से भयभीत रहते हैं। संतोषजनक पेशा का पद नहीं प्राप्त करने एवं अपने स्वप्नों को साकार नहीं कर पाने का डर सताता है। न केवल वे जिन्होंने विश्वास को ग्रहण नहीं किया है तथा अपनी बुलाहट के प्रति गंभीर नहीं है, भय के शिकार हैं किन्तु अपनी बुलाहट के प्रति गंभीर रहने वाले युवा भी इसके प्रभाव से अछूते नहीं हैं। शायद कुछ लोगों को चिंता है कि ईश्वर उनसे बहुत अधिक मांगेंगे। वे उस रास्ते पर खुश नहीं रह पायेंगे अथवा वे ईश्वर की मांग पूरी नहीं कर पायेंगे और निराश हो जायेंगे।

संत पापा ने सलाह दी कि जब हमारे हृदय में संदेह एवं डर भर जाता है तब आत्मजाँच की आवश्यकता है। आत्मजाँच हमारे विचारों एवं भावनाओं की भ्रांति को दूर करता है ताकि हम विवेक से काम कर सकें। भय से बाहर आने का पहला कदम है डर को पहचानना। संत पापा ने युवाओं को निमंत्रण दिया कि वे आत्मजाँच करें तथा अपने अंदर के भय को "नाम" दें। अपने आपसे पूछें कि मुझमें किस बात का डर है? मैं महत्वपूर्ण चुनाव करने का क्यों साहस नहीं करता। धर्मग्रंथ भय एवं उसके कारणों को अनदेखा नहीं करता। अब्राहम, याकूब, मूसा, पेत्रुस और येसु के प्रेरित भी भयभीत हुए। स्वयं येसु ने भी भय एवं चिंता महसूस किया। 

येसु हमें यह समझने में मदद देते हैं कि भय किस तरह विश्वास के रास्ते पर बाधक है। जब हम आत्मजाँच करते हैं तो हमारे भय का कारण मालूम होता है जिसके कारण हम उनका सामना शांत होकर कर सकते हैं। एक ख्रीस्तीय के लिए भय अंतिम शब्द नहीं होना चाहिए बल्कि विश्वास एवं जीवन में बढ़ने का माध्यम बनना चाहिए, अर्थात् मौलिक अच्छाई के अस्तित्व पर विश्वास करना कि ईश्वर ने हमें अच्छाई प्रदान की है और वे हमें अंत में अच्छाई की ओर ले चलेंगे। इसके लिए  हमें प्रार्थनामय एकान्त की आवश्यकता है जहाँ हम ईश्वर की आवाज को सुन सकें। ईश्वर हमारे हृदय द्वार पर दस्तक देते हैं जैसा कि उन्होंने मरियम के साथ किया था। वे हमारे साथ प्रार्थना के माध्यम से संबंध स्थापित करना, पवित्र धर्मग्रंथ पाठ के द्वारा बात करना, मेल-मिलाप संस्कार द्वारा अपनी दया प्रदान करना एवं यूखरिस्त संस्कार द्वारा हमसे संयुक्त होना चाहते हैं।

संत पापा ने विश्वास में बढ़ने हेतु भाई बहनों से मुलाकात एवं वार्तालाप करने की सलाह दी जो उन्हें अच्छाई को देखने एवं विवेक पूर्ण चुनाव करने में मदद दे सकते हैं।

मरियम पर चिंतन करते हुए संत पापा ने कहा कि भयभीत नहीं होने का पहला कारण है कि ईश्वर ने हमें नाम लेकर पुकारा है। जब ईश्वर किसी को नाम लेकर बुलाते हैं तब वे उनकी बुलाहट को भी प्रकट करते हैं, पवित्रता एवं पूर्णता की अपनी योजना हेतु बुलाहट को उनके लिए प्रकट करते हैं। इसके द्वारा वह दूसरों के लिए वरदान बन जाता है। चूँकि ईश्वरीय बुलाहट अनोखा एवं व्यक्तिगत होता है अतः उसके योग्य बनाने के लिए उदारता के साहस की आवश्यकता होती है। ताकि हमारा जीवन कलीसिया एवं सभी लोगों के लिए सचमुच ईश्वर का एक सच्चा एवं स्थायी उपहार बन सके।

‘आपको ईश्वर की कृपा प्राप्त है’- मरियम को भयभीत नहीं होने का मूल कारण है कि उन्हें ईश्वर की कृपा प्राप्त है। ईश्वर की कृपा की निरंतर उपस्थिति हमें अपनी बुलाहट को दृढ़ता के साथ स्वीकार करने का प्रोत्साहन देता है। बुलाहट में एक समर्पण की आवश्यकता होती है जिसको हर दिन नवीकृत किया जाना पड़ता है। बुलाहट का यह पथ आसान नहीं होता किन्तु वह ईश्वर की कृपा से आगे बढ़ता है। 

संत पापा ने युवाओं का आह्वान करते हुए कहा कि प्रभु, कलीसिया एवं विश्व उनकी अनोखी बुलाहट के प्रत्युत्तर का इंतजार कर रहे हैं जिसको प्रत्येक ने अपने जीवन में प्राप्त किया है। संत पापा ने सभी युवाओं को पनामा में विश्व युवा दिवस की तैयारी आनन्द एवं उत्साह से करने का निमंत्रण दिया तथा कहा कि विश्व दिवस साहसी लोगों का है न कि उन युवाओं का जो आराम की खोज कर रहे हैं तथा कठिनाइयों में पीछे हट जाते हैं। 








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