राजशाही, बुधवार 21 फरवरी 2018 (एशियान्यूज) : स्नेहनीर या 'करुणा का घर' एक ऐसी सुविधा की व्यवस्था है जहां विकलांगों को आराम और पुनर्वास मिलता है, और यहाँ मेहमान भी पारस्परिक सहायता की भावना में कड़ी मेहनत करते हैं।
उत्तरी बांग्लादेश के राजशाही में स्थित, यह केंद्र एक स्थानीय समुदाय ‘शांति की रानी’ धर्मबहनों और विदेशी मिशनों के लिए पोंटीफिकल संस्थान (पीआईएमई) के पुरोहितों द्वारा चलाए जा रहा है।
यह घर मानसिक और शारीरिक विकलांग बच्चों और युवाओं को, बधिरों, अंधों और एड्स से ग्रस्त छोटी लड़कियों को स्वीकार करता है। इसके अलावा यह घर अनाथों और बहुत गरीब परिवारों के बच्चों की भी देखभाल करता है जिन्हें परिवारों में पूरी तरह से देखभाल नहीं मिलती है।
मिशनरी फादर फ्रांको 6 सालों से इस केंद्र के उप-निदेशक हैं। उन्होंने एशियान्यूज को बताया "इस घर का लक्ष्य एक दूसरे की देखभाल और पारस्परिक मदद करना, भविष्य के निर्माण के लिए सर्वोत्तम देने की प्रतिबद्धता और जितना संभव हो सके उन्हें स्वतंत्र और आत्मनिर्भर बनाना।"
फादर ने बताया कि इस व्यवस्था की शुरुआत 25 साल पहले रोहनपूर में सिस्टर गेटरुड, फादर जोन अंतोनियो और फादर मरियानो द्वारा शुरु की गई जब एक पिता ने 4 महीने के बच्चे रोबी को माँ के मर जाने पर अपनी मजबूरी में पल्ली में उसको पालने के लिए लाया था।
"उस समय बच्चों को रखने की कोई व्यवस्था नहीं थी फिर भी उन तीनों ने बच्चे को रखने का निर्णय लिया। उन्होंने बच्चे के लिए महिला को ढूढ़ा जिसने उसे गोद ले लिया। पर 9 महिने में रोबी को पोलियो हो गया और वह लकवाग्रस्त हो गया। सिस्टर गेटरुड और धर्म माँ ने उसकी बहुत देखभाल की। फिजियोथेरेपी और प्यार की देखभाल के कारण आज रोबी, अपने ही व्हीलचेयर में जा सकते हैं। उन्होंने बी ए की पढ़ाई की है और क्रिकेट भी खेल सकते हैं।
आज केन्द्र में 43 बच्चे हैं सबसे छोटा 5 साल का है और सबसे बड़ा 26 साल का रोबी है। उनकी देखभाल के लिए 10 लोग केंद्र में काम करते हैं। परंतु यहाँ परिवार का माहौल है सभी अपनी शक्ति अनुसार एक दूसरे की मदद करते हैं। बड़े बच्चे छोटों की देखभाल करते हैं।
All the contents on this site are copyrighted ©. |