वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 15 फऱवरी 2018 (रेई): सन्त पापा फ्राँसिस ने, बृहस्पतिवार, 15 फऱवरी को “मोतू प्रोप्रियो”अर्थात् स्वप्रेरणा से रचित पत्र "इस्तीफा देना सीखें" की घोषणा कर, कलीसियाई पदों से इस्तीफा देने की तैयारी हेतु सलाह प्रस्तुत की।
सन्त पापा फ्राँसिस के “मोतू प्रोप्रियो”में उन लोगों के आंतरिक मनोभाव हेतु चिंतन प्रस्तुत किया गया है "जिन्हें उम्र के कारण कलीसियाई पदों से इस्तीफा देना पड़ता है अथवा कई कारणों से उनके पदों को दीर्घकालीन किया जाता है।" संत पापा उन लोगों को निमंत्रण देते हैं जो नेतृत्व के पद से इस्तीफा देने की तैयारी कर रहे हैं कि वे प्रार्थना द्वारा आत्मजाँच करें और यह चिंतन करने का प्रयास करे कि आने वाले समय को वे किस तरह व्यतीत करेंगे। उसके लिए जीवन की एक नई परियोजना तैयार करें। उन लोगों के लिए जिनसे सेवा निवृत होने के उपरांत भी काम करने की मांग की जाती है संत पापा ने कहा कि यह परमधर्मपीठीय निर्णय स्वचालित नहीं है किन्तु यह शासन की क्रिया है और जिसके लिए विवेक की आवश्यकता है जो सही निर्णय लेने में मदद करेगा।
अपने इस "मोतू प्रोप्रियो" के माध्यम से संत पापा ने दो कानूनों पर परिवर्तन किया है। अपना इस्तीफा जमा करने के उपरांत व्यक्ति तब तक कार्यालय में रहेगा जब तक कि उसके इस्तीफे को स्वीकार नहीं किया जाता और उस निर्दिष्ट या अनिर्दिष्ट समय के लिए, व्यक्ति को सूचित नहीं कर दिया जाता। (अनुच्छेद 5) परमधर्माध्यक्षीय रोमी कार्यालय के विभिन्न परिषदों के अध्यक्ष जो कार्डिनल नहीं हैं तथा वे पुरोहित जो परमधर्मपीठीय कार्यालय में सेवारत हैं अथवा परमधर्मपीठ का प्रतिनिधित्व करते हैं उनका पद 75 साल पूरा होने पर स्वतः समाप्त नहीं होगा बल्कि, उन्हें सर्वोच्च अधिकारी के पास इस्तीफा पत्र जमा करना पड़ेगा, जो ठोस परिस्थितियों का मूल्यांकन करते हुए फैसला करेगा। (अनुच्छेद 2, 3)
संत पापा ने मोतू प्रोप्रियो में कहा है कि वे उम्र सीमा के आधार पर इस्तीफा देने के समय एवं प्रणाली के नियम में नवीनीकरण लाने की आवश्यकता के प्रति सचेत हैं।
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