बैंगलोर, सोमवार 5 जनवरी 2018 (मैटर्स इंडिया ) : "गरीबी सबसे बड़ा आतंकवाद और बुराई है जिसके विरुद्ध कलीसिया को लड़ने की आवश्यकता है।" उक्त बात म्यांमार, यांगून के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल चार्ल्स बो ने कही।
2 फरवरी को बैंगलोर में संत जॉन मेडिकल कॉलेज की सभागार में शुरू हुए भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन (सीबीसीआई) की 33वीं आम सभा के उद्घाटन सत्र में सभा को संबोधित करते हुए सल्सियन कार्डिनल बो ने कहा कि "गरीबी आधुनिक समय का सबसे बड़ा पाप है।"
कार्डिनल ने कहा,"हमारे लिए युखारिस्त एक बहुत बड़ी चुनौती है।" हम अन्याय की दुनिया पर रोटी तोड़ते हैं, हमें तीसरे और अंतिम युद्ध की आवश्यकता है - गरीबी और अन्याय के खिलाफ एक विश्व युद्ध।"
सीबीसीआई 33वीं आम सभा की विषय वस्तु है ‘भारत की विविधता में एकता को ध्यान में रखते हुए भारतीय कलीसिया के मिशन को परिभाषित करना’। 2 फरवरी को नेपाल और भारत के प्रेरितिक राजदूत महाधर्माध्यक्ष जामबपतिस्ता दिक्वात्रो ने पवित्र युखारिस्त समारोह के साथ सम्मेलन का उद्धाटन किया।
प्रेरितिक राजदूत महाधर्माध्यक्ष दिक्वात्रो ने आम सभा का उद्घाटन करते हुए, हृदय खोलने और विस्तृत दृष्टिकोण का आह्वान किया। उन्होंने कहा, "एक बड़ा हृदय अन्य लोगों के जीवन में उलझा हुआ नहीं रहता है, यह निंदा नहीं करता है, लेकिन माफ करता और भूल जाता है।"
महाधर्माध्यक्ष दिक्वात्रो ने कहा, "यह सच है कि विविधता बहुत मूल्यवान है, बहुत सुंदर है। लेकिन, वही पवित्र आत्मा एकता को स्थापित करता है और इस तरह कलीसिया में भी विविधता में एकता है।"
कार्डिनल बो के अनुसार, जब हमारे चारों ओर चुनौतियां होती हैं, तो एकता एक सुख का साधन नहीं बल्कि एक आवश्यकता बन जाती है
यहुदियों के मनपरिवत्तन के साथ शुरू हुई कलीसिया को कई संस्कृतियों का सामना करना पड़ा। पेत्रुस और पौलुस के समय भी एकता एक चुनौती थी। उन्होंने कहा कि भारतीय कलीसिया के इतिहास में दो असाधारण महिलाएँ संत मदर तेरेसा और धन्य सिस्टर रानी मारिया हैं उन्होंने कलीसिया को दया का अर्थ सिखाया।
दीप प्रज्वलन से उद्घाटन सत्र शुरु हुआ। सीबीसीआई के अध्यक्ष कार्डिनल बासेलिओस क्लेमीस ने कहा कि भारत में काथलिक कलीसिया देश में "खोए हुओं और कमजोरों" की सेवा करने के लिए सबसे आगे रहेगा।
बैंगलोर के महाधर्माध्यक्ष बर्नार्ड मोरास ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि ख्रीस्तीयों को संकीर्ण और अंतरमुखी नहीं होना चाहिए, बल्कि असहिष्णुता का सामना कर देश में अपनी पकड़ मजबूत रखनी चाहिए।
सीबीसीआई के महासचिव धर्माध्यक्ष थियोदोर मस्केरनहास ने दो साल की रिपोर्ट पेश की। उन्होंने आशा व्यक्त की कि निकट भविष्य में भारत में संत पापा फ्राँसिस की यात्रा की संभावना है।
सीबीसीआई के दूसरे उपाध्यक्ष महाधर्माध्यक्ष फिलिप नेरी फेर्राओ ने भारत के राष्ट्रपति और वाटिकन के विभिन्न परमधर्मपीठीय विभागों के अध्यक्षों के संदेशों को पढ़ा।
All the contents on this site are copyrighted ©. |