2018-02-02 12:23:00

भारत की विविधता पर केन्द्रित भारतीय धर्माध्यक्षों की आम सभा शुरु


नई दिल्ली, शुक्रवार, 2 फरवरी 2018 (ऊका समाचर): बैंगलोर में, 2 फरवरी से 09 फरवरी तक जारी रहनेवाली, भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन की 33 वीं द्विवार्षिक आम सभा शुक्रवार को शुरु हुई।

बैंगलोर स्थित स्वास्थ्य विज्ञान सम्बन्धी सेन्ट जॉन्स अकादमी में आयोजित सम्मेलन का उद्देश्य भारत की विविधता में एकता को दृष्टिगत रखते हुए काथलिक कलीसिया के मिशन को परिभाषित करना है। सम्मेलन की अध्यक्षता म्यानमार के कार्डिनल चार्ल्स बो कर रहे हैं तथा सम्मेलन का उदघाटन भारत में परमधर्मपीठ के प्रेरितिक राजदूत जियामबतिस्ता दिक्वात्रो ख्रीस्तयाग अर्पण से करेंगे। बैंगलोर के महाधर्माध्यक्ष बर्नार्ड मोरस धर्माध्यक्षों का स्वागत करेंगे। 

भारतीय धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष कार्डिनल बासेलियुस क्लेमिस तथा महासचिव महाधर्माध्यक्ष थेयोदोर मैसकारेनुस सम्मेलन के सत्रों की अध्यक्षता करेंगे तथा विगत दो वर्षों की रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे।    

भारत के 174 काथलिक धर्मप्रान्तों में कार्यरत 204 काथलिक धर्माध्यक्षों तथा 64 सेवानिवृत्त धर्माध्यक्षों के साथ भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन विश्व का चौथा सर्वाधिक विशाल सम्मेलन है।     

02 से 09 फरवरी तक जारी सम्मेलन का विषय सन्त मत्ती रचित सुसमाचार के वाक्य: "समय के अन्त तक भी मैं सदैव तुम्हारे साथ हूँ" से प्रेरित है।"

महासचिव महाधर्माध्यक्ष मैसकारेनुस ने धर्माध्यक्षीय आम सभा से पूर्व प्रकाशित एक विज्ञप्ति में कहा, "यह सम्मेलन उस समय हो रहा है जब भारत की काथलिक कलीसिया महान चुनौतियों का सामना कर रही है।"

उन्होंने कहा, "भारत के 29 राज्यों में से 19 राज्य भारतीय जनता पार्टी की सरकार द्वारा संचालित हैं और इस पृष्ठभूमि में उन दलों एवं संगठनों को बल मिला है जो सांस्कृतिक एवं धार्मिक राष्ट्रीयवाद को प्रश्रय दे रहे हैं।" 

ख्रीस्तीय नेताओं का आरोप है कि विगत दो वर्षों में हिन्दू अतिवादी संगठनों ने भारत के अल्पसंख्यकों के विरुद्ध अपनी कार्यवाही को सघन कर दिया है।

ग़ौरतलब है कि इस समय  ख्रीस्तीय बहुल मेघालय एवं नागालैण्ड सहित भारत के आठ राज्यों में चुनाव होने वाले हैं तथा 2019 में राष्ट्रीय तौर पर चुनाव होने वाले हैं।

हाल के माहों में भारत में असम्मत पत्रकारों की हत्या तथा धर्म के नाम पर स्कूलों एवं संस्थाओं पर हमले देके गये हैं। महाधर्माध्यक्ष ने कहा, "ये सचमुच में हमारे पारम्परिक धर्मवनिरपेक्ष तथा शांतिपूर्ण समाज के लिये व्याकुल करनेवाले संकेत हैं।"

उन्होंने कहा कि उक्त सम्मेलन में इस बात पर विचार विमर्श किया जायेगा कि काथलिक धर्माध्यक्ष भारत की धर्मनिर्पेक्ष प्रकृति एवं उसके संवैधानिक मूल्यों की रक्षा हेतु क्या योगदान दे सकते हैं। उन्होंने कहा, "भारत के लोगों की विविधता में एकता की स्थापना हेतु काथलिक कलीसिया आटे में ख़मीर का काम कर सकती है।" 








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