2018-02-02 12:16:00

धर्मों के बीच मैत्री हेतु शिक्षा की भूमिका अहं, कार्डिनल ग्रेशियस


मुम्बई, शुक्रवार, 2 फरवरी 2018 (एशियान्यूज़): एशियाई काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों के संघ (एफएबीसी) के अध्यक्ष तथा मुम्बई के महाधर्माध्यक्ष, कार्डिनल ऑस्वल्ड ग्रेशियस ने कहा है कि धर्मों के बीच मैत्री एवं धार्मिक सद्भाव को बढ़ावा देने में शिक्षा की भूमिका अहं है। 

मुम्बई के सेन्ट एन्ड्रूज़ कॉलेज में इस सप्ताह अन्तरधर्म सम्वाद एवं अन्तर-सांस्कृतिक आदान –प्रदान पर आयोजित विचार गोष्ठी में कार्डिनल महोदय ने कहा कि समाजशास्त्रीय और आर्थिक स्तर पर भारत विरोधाभासों से भरा देश है, एक ऐसा देश जहाँ विविधता के बावजूद एकता सम्भव है।"

शिक्षा के महत्व पर बल देते हुए कार्डिनल ग्रेशियस ने कहा, "शिक्षा के माध्यम से सांस्कृतिक और धार्मिक असहिष्णुता एवं पूर्वाग्रहों के अनावरण  का प्रयास किया जाना चाहिये।" हालांकि, उन्होंने कहा, "दुर्भाग्यवश, भारत के काथलिक स्कूलों पर हाल में हिन्दू चरमपंथियों ने हमले किये तथा स्कूल के कर्मचारियों एवं अधिकारियों को धमकियाँ दी।"  

कार्डिनल ग्रेशियस ने कहा कि इन हमलों एवं धमकियों के बावजूद हमारे शैक्षणिक संस्थानों में हर धर्म के अध्यापकों एवं छात्रों को मैत्री एवं शांति की दिशा में आगे बढ़ने हेतु प्रोत्साहित किया जाना चाहिये। उन्होंने कहा, "प्रत्येक में क्षमा करने की तत्परता होनी चाहिये तथा प्रत्येक को पुनर्मिलन के लिये तैयार रहना चाहिये तब ही हम मैत्री, शांति एवं न्याय पर आधारित समाज के निर्माण की आशा कर सकते हैं।"

कार्डिनल ग्रेशियस ने कहा, "विभिन्न धर्मों के अनुयायियों के बीच शांति के बिना विश्व में कभी भी शांति स्थापित नहीं हो सकती।"  








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