2018-01-26 11:07:00

मारे गये ख्रीस्तीयों को मिलती है शहादत, सन्त पापा फ्राँसिस


वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 26 जनवरी 2018 (रेई, वाटिकन रेडियो): सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा है कि जो ख्रीस्तानुयायी विश्वास के ख़ातिर अपने प्राणों का जोखिम उठाते हैं उन्हें शहादत प्राप्त होती है।

ख्रीस्तीयों के बीच एकता सम्बन्धी प्रार्थना सप्ताह के समापन पर सन्त पापा फ्राँसिस ने गुरुवार को रोम में सान्ध्य वन्दना के अवसर पर प्रवचन किया। बाईबिल धर्मग्रन्थ के प्राचीन व्यवस्थान के निर्गमन ग्रन्थ के पाठ को उद्धृत कर सन्त पापा ने कहा कि नबी मूसा सहित प्राचीन युग के नबियों ने इस बात को भली प्रकार समझ लिया था कि बपतिस्मा के जल में हमारे पाप क्षमा हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि पाप की दासता, मिस्र की दासता से, कहीं अधिक भयावह है किन्तु ईश्वर का प्रेम हम मनुष्यों को क्षमा प्रदान करता तथा मुक्ति के पथ पर अग्रसर करता है।

सन्त पापा ने कहा, "हम सब ख्रीस्तीयों ने बपतिस्मा ग्रहण किया है जिससे हमारे पाप धुल गये हैं तथा ईश्वरीय कृपा हमें मिली है इसीलिये हम सब ख्रीस्त में भाई और बहन हैं। हम सब ईश्वर की कृपा तथा हमारी मुक्ति हेतु ईश्वर की शक्तिशाली दया का मूलभूत अनुभव प्राप्त करते हैं। एफेसियों को लिखे पत्र के दूसरे अध्याय के 19 वें पद में सन्त पौल लिखते हैं, "आप लोगों को उनके प्रेम का ज्ञान प्राप्त होगा, यद्यपि वह ज्ञान से परे है। इस प्रकार आप लोग, ईश्वर की पूर्णता तक पहुँच कर, स्वयं परिपूर्ण हो जायेंगे।" 

सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा, "विगत कुछेक शताब्दियों में विभिन्न सम्प्रदायों के ख्रीस्तानुयायियों ने इस तथ्य को बुद्धिगम्य किया कि हम सब लाल सागर के तट पर एक साथ हैं। बपतिस्मा में हमारा उद्धार किया गया है और इसीलिये हम मिलकर ईश्वर के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करते तथा उनके आदर में गीत गाते हैं।"

उन्होंने कहा कि जब हम यह कहते है कि हम अन्य परम्पराओं के ख्रीस्तानुयायियों द्वारा ग्रहण किये गये बपतिस्मा संस्कार को मान्यता देते हैं तब हम यह स्वीकार करते हैं कि उन्होंने ने भी ईश्वर की कृपा को प्राप्त किया है तथा वे भी ईश्वर की क्षमा और दया के सहभागी हैं।

सन्त पापा ने इस बात की ओर ध्यान आकर्षित कराया कि आज भी ख्रीस्तानुयायियों को बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है और कभी-कभी जीवन को भी ख़तरे में डालना पड़ता है। उन्होंने कहा, "येसु के नाम पर कितने ही ख्रीस्तीयों को अत्याचारों का सामना करना पड़ता है और जब उनका रक्त बहता है तब वे भी, हालांकि वे अन्य ख्रीस्तीय सम्प्रदायों के ही क्यों न हो, शहादत को प्राप्त करते हैं।" 








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