2018-01-20 15:43:00

पेरू के लोगों को संत पापा का संदेश


पेरू, शनिवार, 20 जनवरी 2018 (रेई): पेरू में अपनी प्रेरितिक यात्रा के प्रथम दिन संत पापा फ्राँसिस ने पुएरतो मालदोनादो स्थित जोर्ज बासाद्रे प्रशिक्षण संस्थान में पेरू की जनता से मुलाकात की।

करीब 50 हजार लोगों को सम्बोधित कर संत पापा ने कहा, "मैं देख सकता हूँ कि आप न केवल पेरू के सुदूर अमेजन प्रांत से आये हैं किन्तु अंदेस और पड़ोसी देशों से भी। यह कलीसिया की क्या ही सुन्दर छवि है जिसमें कोई सीमा नहीं है और जहाँ सभी के लिए स्थान है। हमें ऐसे अवसरों की कितनी अधिक आवश्यकता है कि हम एक साथ आ सकें, हमारे जन्म स्थान की चिंता किये बिना, मुलाकात की संस्कृति का निर्माण करने जो हमें आशा में नवीकृत करता है।"

संत पापा ने उस क्षेत्र पर गौर करते हुए कहा कि उस क्षेत्र का एक सुन्दर नाम है, ईश्वर की माता। मैं मरियम के बारे कैसे चुप रह सकता, एक युवती जो एक सुदूर पृथक गाँव में रहती थी। मरियम के लिए भी यह एक मानव रहित भूखंड के समान था। जहाँ उन्होंने ईश्वर की माता बनने के लिए एक महान अभिवादन एवं निमंत्रण को स्वीकार किया। संत पापा ने कहा कि कुछ ऐसे भी आनन्द हैं जिन्हें केवल दीन-हीन लोग प्राप्त कर सकते हैं। (मती. 11:25)

संत पापा ने माता मरियम को उनके आदर्श के रूप में प्रस्तुत करते हुए कहा, "आपके लिए मरियम न केवल एक आदर्श के रूप में है जिनको आप देख सकती हैं किन्तु वे एक माता भी हैं।" जब तक हमारे साथ माँ रहती है हमें एकाकीपन के उस भयावह एहसास से कभी गुजरना नहीं पड़ता है। एकाकी पन की भावना हम पर तभी हावी होती है जब एक परिवार, एक जानता, एक भूमि और हमारे ईश्वर के साथ हमारा संबंध कुम्हलाने लगता है।  

संत पापा ने जोर देते हुए कहा, "यह अनाथों की भूमि नहीं है बल्कि एक ऐसी भूमि है जिसकी माता है और यदि इसकी माता है तो इसके पुत्र-पुत्रियाँ, परिवार और समुदाय भी हैं और जहाँ माता, परिवार एवं समुदाय हैं समस्या समाप्त नहीं हो जाती बल्कि समस्याओं का सामना करने के लिए बल मिलता है।"     

यह सोचना दुःखद है कि कोई इस निश्चितता का बहिष्कार करना तथा ईश्वर की माता की भूमि को नाम हीन, निःसंतान तथा बंजर भूमि बनाना चाहता है ताकि उसे आसानी से व्यवसाय एवं शोषण का शिकार बनाया जा सके। संत पापा ने कहा कि यही कारण है कि हमारे घरों, समुदायों और हरेक के दिल की गहराई में यह दुहराया जाए- कि यह अनाथों की भूमि नहीं है, इसकी एक माता है और इस शुभ समाचार को पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित किया जाना है। संत पापा ने उन सभी लोगों के प्रति आभार प्रकट किया जो इस ज्ञान के वरदान को बांटते हैं कि हम ईश्वर की संतान हैं और वे हमें एक-दूसरे को भाई-बहन के रूप में जानने में मदद करते हैं।

संत पापा ने फेंकने की संस्कृति से बचने हेतु पुनः सचेत करते हुए कहा कि हमने कई बार इस संस्कृति के बारे चर्चा की है। एक ऐसी संस्कृति जो बहिष्कार से संतुष्ट नहीं होती, जैसा कि हम इसे देखने के आदी हो गये हैं यह चुप कराती, अनदेखा करती और उन सभी चीजों को फेंक देती है जो उसकी रूचि के अनुकूल नहीं होतीं जैसा कि कुछ अलगाववादी उपभोक्तावाद दूसरों की उदासीन पीड़ा से बिल्कुल अनजान होते हैं।

संत पापा ने कहा कि फेंक देने की संस्कृति बिना संबंध और बिना चेहरा का एक गुमनाम संस्कृति है। यह एक माँ रहित संस्कृति है जो केवल उपभोग करना चाहती है। पृथ्वी के साथ इसी तरह से व्यवहार किया जाता है। जंगल, नदी और झरने का दोहन निर्दयता से किया जाता, उसके बाद उसे बंजर और बेकार छोड़ दिया जाता है। लोगों के साथ भी इसी तरह का व्यवहार किया जाता है। वे तब तक प्रयोग किये जाते हैं जब तक कि उनसे न ऊब गये हों, उसके बाद उन्हें बेकार की वस्तु के समान छोड़ दिया जाता है। संत पापा ने कहा कि यही फेंकने की संस्कृति है यह बच्चों को फेंक सकती है, वयोवृद्ध का परित्याग कर सकती है। उन्होंने बुजुर्गों का सम्मान करने की सलाह दी क्योंकि वे प्रज्ञा से पूर्ण होते हैं।

संत पापा ने मानव तस्करी के दुखद मामले पर प्रकाश डालते हुए कहा, "हम मानव तस्करी शब्द के आदी हो गये हैं। मैंने पुएरतो माल्दोनादो पहुँचे समय हवाई अड्डे पर एक चिन्ह देखा जिसने मुझे छू लिया, "मानव तस्करी से सावधान।" यह जागृति लाने का चिन्ह है किन्तु वास्तव में गुलामी की बात करती है, काम के लिए गुलामी, यौन अथवा फायदा के लिए गुलामी। यह देखना सचमुच दुखद है कि इस धरती में जिसमें ईश्वर की माता का संरक्षण प्राप्त है कई महिलाओं को महत्वहीन समझा जाता, उन्हें कलंकित एवं शोषित किया जाता तथा उन्हें हिंसा का शिकार होना पड़ता है। हमारे समुदायों में अंधी संस्कृति को बनाये रखने के लिए महिलाओं के विरूद्ध हिंसा को सामान्य संस्कृति माना नहीं जा सकता। संत पापा ने कहा कि यह हमारे लिए उचित नहीं है कि हम महिलाओं विशेषकर, युवतियों की प्रतिष्ठा को रौंदे जाते हुए देखें।

संत पापा ने पेरू में मृत्यु के शिकार लोगों की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि कई लोग घर, जमीन एवं रोजगार की खोज में अमेजन की ओर पलायन करते हैं। वे अपने तथा अपने परिवार के बेहतर भविष्य की तलाश में जाते हैं। कई लोग नौकरी की उम्मीद से वहां गये हैं और सोने की खान में काम करते हैं किन्तु हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि सोना उस झूठे देवता का रूप ले सकता है जो मानव बलि की मांग करता है। झूठा देवता, लालच, धन और सत्ता का देवता सब कुछ को भ्रष्ट कर देता है। वह लोगों एवं संस्थाओं को भ्रष्ट बनाता, वह जंगलों को भी नष्ट कर देता है। येसु ने कहा था कि कुछ अपदूत ऐसे हैं जिन्हें निकालने के लिए अधिक प्रार्थना की आवश्यकता होती है। संत पापा ने कहा कि यह उन्हीं अपदूतों में से एक है। उन्होंने उन सभी संगठनों एवं समुदायों को प्रोत्साहन दिया जो इस परिस्थिति से बाहर निकलने में मदद कर रहे हैं। उन्हें विश्वास एवं सक्रिय कलीसियाई समुदाय के लोगों के समान एक साथ येसु के पास आने की सलाह दी। उन्होंने कहा, "हृदयस्पर्शी प्रार्थना एवं ख्रीस्त से आशापूर्ण मुलाकात द्वारा हम मन परिवर्तन कर सकते हैं जो हमें सच्चे जीवन की ओर ले चलती है। येसु ने हमें सच्चे और अनन्त जीवन की प्रतिज्ञा की है।

संत पापा ने ख्रीस्तीय समुदाय को स्वर्ग राज्य के साक्षी बनने की सलाह देते हुए कहा कि मुक्ति कोई अनुवांशिक अथवा अस्पष्ट चीज नहीं है। पिता ने इसे प्रदान करने के लिए सच्चे लोगों, वास्तविक चेहरों एवं ठोस इतिहास को चुना। हर ख्रीस्तीय को इस निगाह का प्रतिबिम्ब बनना चाहिए जो परिवार एवं समुदाय का निर्माण करता है। यह स्वर्ग राज्य को प्रकट करने का रास्ता है जहाँ हर कोई उसके सदस्य होने, नाम से बुलाये जाने तथा दूसरों के जीवन के निर्माता बनने हेतु प्रोत्साहित किये जाने का एहसास कर सकें।

संत पापा ने अपने क्षेत्र की रक्षा करने की प्रेरणा देते हुए कहा कि वहाँ के युवाओं से उन्हें विशेष उम्मीद है। वे वहाँ उस जीवन की तलाश में आये हैं जो हमारे ग्रह पर जीवन के सबसे विपुल विकास में से एक है। आप इस भूमि को प्यार करें तथा इसे अपना स्वीकार करें। इस धरती से प्रेम करते हुए उसे ईश्वर की माता पुकारें इसकी रक्षा एवं देखभाल हेतु अपने को समर्पित करें। इस भूमि का उपयोग महज वस्तु की तरह न करें बल्कि एक सच्चे खजाने की तरह अपने बच्चों के लिए सुरक्षित सौंप दें।

हम अपने आप को माता मरियम के संरक्षण में समर्पित करें।








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