2018-01-18 11:35:00

तानाशाही के दौरान जनजातियों की प्रताड़न को सन्त पापा फ्राँसिस ने किया याद


तेमुको, चिली, गुरुवार, 18 जनवरी 2018 (रेई, वाटिकन रेडियो): चिली की राजधानी सान्तियागो से बुधवार को सन्त पापा फ्राँसिस, एक शताब्दी से चल रहे, चिली के संघर्षरत क्षेत्र तेमुको पहुँचे। सार्वभौमिक काथलिक कलीसिया के परमधर्मगुरु सन्त पापा फ्राँसिस इस समय चिली एवं पेरु की सात दिवसीय प्रेरितिक यात्रा पर हैं। इटली से बाहर सन्त पापा फ्राँसिस की यह 22 वीं विदेश यात्रा है।

चिली में अपनी प्रेरितिक यात्रा के दूसरे चरण में सन्त पापा फ्राँसिस ने तेमुको के उस भूतपूर्व माखुए सैन्य अड्डे पर ख्रीस्तयाग अर्पित किया जिसका उपयोग अगोस्तो पिनोशेत के क्रूर तानाशाही शासनकाल में कारावास और यातना केन्द्र रूप में किया जाता था। इस यातना केन्द्र में, तानाशाही के दौरान, लगभग 40,000 राजनैतिक क़ैदियों को क़ैद कर यातना दी गई थी तथा मार डाला गया था, हालांकि सरकारी आँकड़ों के अनुसार कुछ तान हज़ार लोग ही मारे गये थे तथा 1,200 लोग लापता हो गये थे।  

तेमुको का भूतपूर्व सैन्य अड्डा विवादास्पद भूमि पर निर्मित है। 20 वीं शताब्दी के दौरान यह भूमि मापुचे जनजातियों से छीन ली गई थी तथा इसे एक कारावास में परिणत कर दिया गया था। ख्रीस्तयाग समारोह के अवसर पर उपस्थित लगभग दस लाख श्रद्धालुओं के साथ सन्त पापा फ्राँसिस ने मौन प्रार्थना की अगुवाई की तथा जनजातियों द्वारा सहे गये अत्याचारों का स्मरण किया।

उन्होंने कहा, "हम यह मिस्सा बलिदान उन सबके आदर में अर्पित कर रहे हैं जिन्होंने दुःख भोगा तथा मार डाले गये। उन लोगों के लिये भी हम ईश्वर से आर्त याचना करते हैं जो आज भी अन्याय का बोझ अपने कन्धों पर उठाये हुए हैं।"

मापुचे जनजातियों से हड़पी गई ज़मीन के सन्दर्भ में सन्त पापा ने कहा, "आशा के निर्वनीकरण के विरुद्ध "एकात्मता" एकमात्र अस्त्र है।" मापुचे लोगों की संख्या चिली में लगभग छः लाख है जिनमें अधिकांश जंगलों, पहाड़ी क्षेत्रों तथा आराओकानिया की झील के इर्द-गिर्द जीवन यापन करते हैं।  

सन्त पापा फ्रांसिस ने हाल की हिंसा को भी संदर्भित किया जो दक्षिणी आराओकानिया में अपनी ज़मीन की वापसी के लिए कट्टरपंथी मापुचे दल द्वारा भड़काई गई थी। इस हिंसा में कई गिरजाघरों को भी आग हवाले कर दिया गया था। किसी ने भी हमलों की ज़िम्मेदारी नहीं ली है।

सन्त पापा फ्राँसिस ने कट्टरपंथी मापुचे दल से भी कहा कि हिंसा से उनकी समस्याओं का हल कभी भी पाया नहीं जा सकेगा। उन्होंने कहा, "हिंसा से और अधिक हिंसा भड़केगी तथा विनाशक आक्रमणों से पृथकता और विभाजन को प्रश्रय मिलेगा।"  

सन्त पापा ने चिली की सरकार से भी मांग की कि वह देशज जनजातियों के साथ केवल "सुरुचिपूर्ण" समझौते एवं संधियाँ नहीं करे अपितु इन्हें लागू भी करे।

अगोस्तो पिनोसेत के क्रूर तानाशाही शासनकाल में कारावास और यातना के केन्द्र रहे सैन्य अड्डे पर, तानाशाही के दौरान, लगभग 40,000 राजनैतिक क़ैदियों को क़ैद कर यातना दी गई थी तथा मार डाला गया था, हालांकि सरकारी आँकड़ों के अनुसार कुछ तान हज़ार लोग मारे गये थे तता 1,200 लोग लापता हो गये थे।

मानवाधिकारों के अतिक्रमण से रक्तरंजित इस भूमि पर सन्त पापा फ्रांसिस द्वारा ख्रीस्तयाग अर्पित किया जाना सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय की 1987 ई. की चिली यात्रा का स्मरण दिलाता है। सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय ने भी अपनी उस यात्रा के दौरान सान्तियागो के नेशनल स्टेडियम में युवाओं को सम्बोधित करते हुए कहा था कि "वे पीड़ा और उत्पीड़न के स्थल पर भी आशा की लौ प्रज्वलित कर आगे बढ़ें।" सान्तियागो का नेशनल स्टेडियम भी कारावास एवं यातना केन्द्र रूप में प्रयुक्त किया जाता रहा था।

बुधवार को यातना के केन्द्र रहे सैन्य अड्डे पर अपने पारम्परिक परिधान धारण कर मापुचे जनजाति के लोगों ने पारंपरिक सींग, ढोल, नगाड़ों एवं मान्दलों जैसे साज बजाकर अपने बीच सन्त पापा फ्राँसिस का हार्दिक स्वागत किया। मापुचे संगीत की धुनें, पारम्परिक जाप सहित प्रार्थनाएँ एवं गीत सम्पूर्ण ख्रीस्तयाग समारोह के दौरान सुनाई देते रहे।








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