2018-01-17 12:17:00

यौन दुराचार के प्रति सन्त पापा फ्राँसिस ने दर्द और लज्जा व्यक्त की


सान्तियागो, बुधवार, 17 जनवरी 2018 (रेई, वाटिकन रेडियो): चिली की राजधानी सान्तियागो में सन्त पापा फ्राँसिस ने मंगलवार को पुरोहितों द्वारा बच्चों के विरुद्ध यौन दुराचार के प्रति "दर्द और लज्जा" व्यक्त करते हुए इस कलंक के लिये क्षमा की याचना की जिसने कलीसिया की विश्वसनीयता को ठेस पहुँचाई है। 

सार्वभौमिक काथलिक कलीसिया के परमधर्मगुरु सन्त पापा फ्राँसिस इस समय चिली एवं पेरु की सात दिवसीय प्रेरितिक यात्रा पर हैं। इटली से बाहर सन्त पापा फ्राँसिस की यह 22 वीं विदेश यात्रा है।

मंगलवार को चिली में अपनी प्रेरितिक यात्रा के प्रथम दिन सन्त पापा फ्राँसिस ने सान्तियागो स्थित राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति मिशेल बैखलेट के साथ वैयक्तिक मुलाकात की, तदोपरान्त उन्होंने  राष्ट्रपति सहित चिली के वरिष्ठ अधिकारियों, कार्डिनलों, धर्माध्यक्षों एवं विदेशी राजनयिकों को सम्बोधित किया। उन्होंने कहा, "कलीसिया के कुछेक पुरोहितों द्वारा बच्चों को पहुँचाई गई असुधार्य क्षति के लिये मैं अपना दर्द और शर्म" व्यक्त करने के लिये बाध्य हूँ। मैं अपने धर्माध्यक्ष भाइयों के साथ हूँ इसलिये कि क्षमा की याचना करना, यौन दुराचार के शिकार बने लोगों को समर्थन प्रदान करना तथा ऐसी घटनाएं फिर कभी न हों इसके लिये वचनबद्ध रहना न्यायोचित और सही है।"   

काथलिक धर्मानुयायी सन्त पापा फ्राँसिस द्वारा 2015 में धर्माध्यक्ष हुआन बार्रोस को ओज़ोरनो धर्मप्रान्त का अध्यक्ष नियुक्त किये जाने पर अत्यधिक नाराज़ हैं। बार्रोस पर आरोप है कि उऩ्होंने अपने पूर्व संरक्षक फादर फेरनानदो काराडिमा का बचाव किया था जिन्हें 2011 में वाटिकन द्वारा हुई जाँचपड़ताल में किशोरों के साथ दुराचार का दोषी पाया गया था। काराडिमा ने आरोपों से इनकार किया है तथा धर्माध्यक्ष बार्रोस ने कहा है कि वे किसी भी प्रकार के अनाचार से अनभिज्ञ हैं। इसके बावजूद, इस अपकीर्ति ने सम्पूर्ण चिली को घेर लिया है और इसके साथ धर्म के प्रति बढ़ती उदासीनता ने उस कलीसिया की मज़बूत नींवों हिला दिया है जो, 1973 से 1990 तक जारी रहे अगोस्तो पिनोशेत की तानाशाही के दौरान, मानवाधिकार और न्याय के प्रति अपनी आवाज़ बुलन्द करने के लिये सराही जाती रही थी।

चिली में सन्त पापा फ्राँसिस की यात्रा से पूर्व विगत सप्ताह से अब तक आठ काथलिक गिरजाघरों पर हमले किये गये जिसमें बमबारी, आगजनी और तोड़-फोड़ सभी शामिल हैं। किसी के घायल होने की ख़बर नहीं मिली है और न ही किसी ने हमलों की ज़िम्मेदारी अपने ऊपर ली है।

चिली के "वर्कर्स सोशलिस्ट फ्रंट" नामक संगठन के फिलिप मॉरिस ने पत्रकारों से कहा कि अनेक सन्त पापा तथा चिली में कलीसिया के ऐतिहासिक प्रभाव से रुष्ट हैं। उन्होंने कहा, "कलीसिया की भूमिका घृणित रही है। यौन दुराचार के मामलों पर पर्दा डाल दिया गया है तथा इसके अलावा लोग कई अन्य मुद्दों पर कलीसिया से नाराज़ हैं।"

मंगलवार को चिली की कलीसिया दो निश्चित्त खण्डों में विभाजित नज़र आई जब एक ओर कलीसिया के विरोधी गिरजाघरों पर हमले कर रहे थे, विरोध प्रदर्शनों द्वारा अपकीर्तिकर वाक्यों का प्रदर्शन कर रहे तो दूसरी ओर अधिकांश लोगों ने चिली में उऩका हार्दिक स्वागत किया है। हज़ारों युवा सन्त पापा की एक झलक पाने के लिये सड़कों पर कतारों में घण्टों खड़े रहे तथा करतल ध्वनि एवं जयनारों से उन्होंने अपने बीच कलीसिया के परमाध्यक्ष का स्वागत किया। चार लाख श्रद्धालुओं ने राजधानी सान्तियागो के विशाल उद्यान में आयोजित भव्य ख्रीस्तयाग समारोह में भाग लिया।

चिली की दस करोड़ सत्तर लाख की कुल आबादी में 70 प्रतिशत जनता काथलिक धर्मानुयायी है किन्तु काथलिक धर्मानुयायियों में धर्म के प्रति उदासीनता बढ़ती जा रही है। सान्तियागो स्थित लातीनोबारोमेत्रो नामक प्रबुद्ध मंडल द्वारा इस माह प्रकाशित आँकड़ों के अनुसार, काथलिकों की संख्या जो 1995 में 74 प्रतिशत थी अब 45 प्रतिशत तक नीचे गिर गई है।

चिली के धर्माध्यक्षों को सन्त पापा फ्राँसिस की इस प्रेरितिक यात्रा से बहुत सी आशाएँ एवं आकाँक्षाएं हैं। उनकी आशा है कि सन्त पापा की यात्रा कलीसिया में नवीन ऊर्जा का संचार कर  चिली की कलीसियामें सुधारों की बहाली करेगी। यह भी आशा है कि यात्रा के दौरान सन्त पापा फ्राँसिस की आप्रवासियों एवं क़ैदियों, चिली की मापुचे जनजातियों और साथ ही 1973 से 1990 तक जारी पिनोशेत के दमनचक्र का शिकार बने लोगों के साथ मुलाकात, कलीसिया में लोगों के विश्वास को पुनर्जागृत करेगी।








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