2018-01-16 09:21:00

चिली में सन्त पापा फ्राँसिस की प्रेरितिक यात्रा की पृष्ठभूमि


वाटिकन सिटी, मंगलवार, 16 जनवरी 2018 (वाटिकन रेडियो, रेई): सार्वभौमिक काथलिक कलीसिया के परमधर्मगुरु सन्त पापा फ्राँसिस चिली एवं पेरु की सात दिवसीय प्रेरितिक यात्रा के लिये सोमवार को रोम के फ्यूमीचीनो अन्तरराष्ट्रीय हवाई अडडे से रवाना हुए थे। 15 घण्टों की विमान यात्रा पूरी करने के उपरान्त सोमवार रात्रि वे चिली की राजधानी सान्तियागो पधारे।   इटली से बाहर सन्त पापा फ्राँसिस की यह 22 वीं विदेश प्रेरितिक यात्रा है। चिली में प्रथम तीन दिन स्थानीय काथलिकों के साथ व्यतीत कर सन्त पापा 18 जनवरी को पेरु के लिये प्रस्थान करेंगे।

चिली एंडिस और प्रशांत महासागर के बीच में बसा दक्षिण अमरीका के एक देश है। उत्तर में पेरु, उत्तर पूर्व में बोलिविया तथा पूर्व में आर्जेनटीना इसके सीमावर्ती राष्ट्र हैं।   

16 वीं शताब्दी में स्पानियों के आगमन से पूर्व उत्तरी चिली इन्का शासन के अधान था जबकि मापुचे जनजातियाँ चिली के केन्द्रीय एवं दक्षिणी क्षेत्रों में जीवन यापन किया करती थी। दक्षिण चिली में और भी जनजातियों का अस्तित्व था किन्तु महामारियों एवं युद्धों के कारण इनमें से अनेक मौत के शिकार हो गये। शेष बचे लोग यूरोपीय आप्रवासियों के संग घुल-मिल गये। 1810 ई. में हालांकि चीले ने स्वतंत्रता की घोषणा कर दी थी, स्पानी सैन्य बलों को 1818 में परास्त करने बाद ही चिली को यथार्थ स्वतंत्रता मिल पाई।    

वर्तमान कालिक इतिहास पर यदि एक दृष्टि डालें तो हालांकि लातीनी अमरीकी देश चिली तख्ता पलट आदि से अपेक्षाकृत मुक्त रहा तथापि 1973 ई. से 1990 तक उसे, संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा समर्थित, चिली के तानाशाह अगस्तो पिनोशेत के दमनचक्र का सामना करना पड़ा। 17 वर्षों तक जारी दमनकाल के दौरान  3,000 से 5000 लोग मौत के घाट उतार दिये गये थे अथवा लापता हो गये थे। इनमें अधिकांश वाम पंथी विचारधारा रखनेवाले तथा प्रजातंत्रवादी शामिल थे। अपनी जनता पर कड़ा नियंत्रण रखने के लिये पिनोशेत ने क्रमबद्ध ढंग से लोगों को प्रताड़ित किया। दूसरी ओर, पिनोशेत के 17 वर्षीय शासन ने चिली को आर्थिक रूप से हालांकि स्थायित्व प्रदान किया तथापि तानाशाही शासन भ्रष्टाचार तथा धनियों एवं निर्धनों के बीच गहरी खाई को पाट नहीं सका।

धर्म और विश्वास की दृष्टि से चिली की 70 प्रतिशत जनता काथलिक धर्मानुयायी है हालांकि पुरोहितों के यौन दुराचार की घटनाओं के कारण काथलिकों की संख्या में अपेक्षाकृत कमी आई है। शेष जनता प्रॉटेस्टेण्ट अथवा अन्य ख्रीस्तीय धर्मपन्थों के सदस्य हैं। काथलिक लोग राष्ट्र याजकवर्ग से नाराज़ हैं इसलिये कि कई आरोपी पुरोहितों को दण्ड देने के बजाय उनका केवल स्थानान्तरण कर दिया गया। यही कारण है कि विगत दिनों सन्त पापा की यात्रा से पूर्व चिली में विरोध प्रदर्शन हुए तथा गिरजाघरों में तोड़-फोड़ मचाई गई। कुछेक काथलिक दलों ने यात्रा के दौरान भी विरोध प्रदर्शनों को जारी रखने की धमकी दी है। विशेष रूप से, धर्माध्यक्ष हुआन बार्रोस को ओज़ोरनो धर्मप्रान्त का अध्यक्ष नियुक्त किये जाने का लोग विरोध कर हैं। बार्रोस पर आरोप है कि उऩ्होंने अपने पूर्व संरक्षक फादर फेरनानदो काराडिमा का बचाव किया था जिन्हें 2011 में वाटिकन द्वारा हुई जाँचपड़ताल में किशोरों के साथ दुराचार का दोषी पाया गया था। वाटिकन के प्रवक्ता ग्रेग बुर्के ने कहा है कलीसिया यौन दुराचार के विरुद्ध प्रदर्शनों की योजना बनाने वाले लोगों का सम्मान करती है। उन्होंने इस सम्भावना से भी इनकार नहीं किया कि सन्त पापा फ्राँसिस अपनी यात्रा के दौरान यौन दुराचार के शिकार बने कुछ लोगों से मिलें। सन्त पापा फ्राँसिस तानाशाह पिनोशेत के दमनचक्र का शिकार बने कुछेक व्यक्तियों से भी मुलाकात करेंगे।

चिली की कलीसिया जो तानाशाह पिनोशेत के शासनकाल में न्याय के साहसिक कार्यों और मानवाधिकारों की रक्षा के लिये विख्यात रही थी अब दुराचार की घटनाओं की वजह से उसने अपनी विश्वसनीयता को खो रही है। सान्तियागो स्थित लातीनोबारोमेत्रो नामक प्रबुद्ध मंडल द्वारा इस माह प्रकाशित आँकड़ों के अनुसार, काथलिकों की संख्या जो 1995 में 74 प्रतिशत थी अब 45 प्रतिशत तक नीचे गिर गई है।

इसके अतिरिक्त, राजनीति में भ्रष्टाचार एवं मानवाधिकारों के अतिक्रमण विषय पर सन्त पापा फ्राँसिस की यात्रा केन्द्रित रहेगी जिन्होंने भ्रष्टाचार को समाज का प्लेग एवं गैंगरीन बताया है। चिली एवं पेरु दोनों ही राष्ट्रों में सन्त पापा जनजातियों की संस्कृति एवं परम्परा को कायम रखने का आह्वान करेंगे। चिली में निवास कर रही मापुचे जनजातियों ने सरकार एवं निजी कम्पनियों पर आरोप लगाया है कि वे उनसे उनकी पैतृक भूमि छीन रहे हैं। चिली के राष्ट्रपति मिखेल बैखलेट ने विगत वर्ष मापुचे समुदाय के विरुद्ध हुए अन्यायों के लिये क्षमा याचना की थी। वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पियेत्रो पारोलीन ने हाल में पत्रकारों से कहा था कि मापुचे जनजातीय मुद्दा, विशेष रूप से, सन्त पापा फ्राँसिस के दिल के करीब है।

चिली के काथलिक धर्माध्यक्षों की आशा है कि राष्ट्र में सन्त पापा फ्राँसिस की तीन दिवसीय यात्रा काथलिकों के विश्वास को नवीकृत कर उनमें क्षमा एवं दया का भाव जागृत करेगी।








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