2018-01-15 13:30:00

उस स्थान की खोज करें जहाँ येसु रहते हैं


वाटिकन सिटी, सोमवार, 15 जनवरी 2018 (रेई): वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 14 जनवरी को, संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया, देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

प्रभु प्रकाश एवं येसु के बपतिस्मा महापर्व के समान आज के सुसमाचार (यो.1:35-42) पाठ का पृष्ट प्रभु की प्रकाशना की विषयवस्तु को प्रस्तावित करता है। इस बार योहन बपतिस्ता अपने शिष्यों के लिए "ईश्वर के मेमने" के रूप में उनकी ओर इशारा करते हैं, (पद.36) तथा उन्हें उनका अनुसरण करने का निमंत्रण देते हैं। यह हमारे लिए भी है, क्रिसमस के रहस्य में हमने जिनपर चिंतन किया है, अब हम अपने दैनिक जीवन में उनका अनुसरण करने के लिए बुलाये जा रहे हैं। इसलिए आज का सुसमाचार पाठ हमारे लिए पूजन पद्धति के सामान्य काल को उत्तमता से प्रस्तुत करता है कि यह एक ऐसा समय है जो हमारे विश्वास की यात्रा को सामान्य जीवन में सजीव बनाता और सत्यापित करता है, उसी गतिशीलता में जो प्रभु प्रकाश एवं शिष्यत्व तथा प्रकाशना एवं बुलाहट के बीच चलता है।

संत पापा ने सुसमाचार पाठ पर चिंतन करते हुए कहा, "सुसमाचार की कहानी विश्वास की यात्रा की खास विशेषताओं की ओर संकेत करता है। विश्वास एक यात्रा है जो हर युग के शिष्यों की यात्रा है और यह हमारी भी है जो उस सवाल से आरम्भ होती है जिसको येसु उन दो लोगों को सम्बोधित करते हुए करते हैं, क्या चाहते हो? (पद. 38) यह वही सवाल है जिसको पास्का की प्रातः पुनर्जीवित प्रभु मरिया मगदलेना को सम्बोधित करते हैं। "भद्रे किसे ढूँढ़ती हैं।" (यो. 20,15) संत पापा ने कहा कि हम प्रत्येक जन एक मानव प्राणी के रूप में आनन्द की खोज कर रहे हैं, प्रेम की, एक अच्छा एवं पूर्ण जीवन की तलाश कर रहे हैं। ईश्वर ने अपने पुत्र येसु में यह सब कुछ प्रदान किया है।

इस खोज में, सच्चे साक्षी के रूप में उस व्यक्ति की भूमिका आधारभूत है जिसने पहले यात्राकर प्रभु से मुलाकात की है, सुसमाचार में योहन बपतिस्ता वही साक्षी हैं। यही कारण है कि वे शिष्यों को येसु की ओर संकेत कर सकते हैं। जो उन्हें यह कहते हुए एक नया अनुभव प्रदान करते हैं, "आओ और देखो।" (पद.39) ये दोनों मुलाकात की इस सुन्दरता को कभी नहीं भूल सकते। सुसमाचार लेखक यहाँ समय का भी जिक्र करते हैं, "उस समय शाम के लगभग चार बज रहे थे।"

संत पापा ने येसु के साथ मुलाकात के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा, "येसु के साथ व्यक्तिगत मुलाकात, विश्वास की यात्रा एवं शिष्यत्व उत्पन्न कर सकता है। हमने कई अनुभव किये होंगे, कई चीजों को पूरा किया होगा, अनेक लोगों के साथ संबंध स्थापित किये होंगे किन्तु येसु के साथ निर्धारित समय जिसको केवल ईश्वर जानते हैं, वही हमारे जीवन को अर्थ प्रदान कर सकता है तथा हमारी योजनाओं एवं प्रयासों को सफल बना सकता है।"

संत पापा ने येसु की खोज करने का प्रोत्साहन देते हुए कहा कि "यह काफी नहीं है कि हम ईश्वर की तस्वीर को स्थापित करें बल्कि व्यक्ति को चाहिए कि वह प्रभु की खोज करे तथा वहाँ तक जाये जहाँ वे रहते हैं। येसु के दो शिष्यों का आग्रह, आप कहाँ रहते हैं? (पद.38) इसका एक गहरा आध्यात्मिक अर्थ है, यह स्वामी के निवास स्थान को जानने की चाह को व्यक्त करता है ताकि वे उनके साथ रह सकें। विश्वास का जीवन प्रभु के साथ रहने की तेज इच्छा से उत्पन्न होता है अतः यह उनके निवास स्थान की खोज करता है।" इसका मतलब है कि हमें आदतन धार्मिक अभ्यासों से बाहर आने एवं प्रार्थना, ईशवचन पर मनन-चिंतन, संस्कारों में सहभागिता, उनके साथ रहने एवं उनके लिए फल उत्पन्न करने तथा उनकी कृपाओं के द्वारा येसु के साथ मुलाकात को जागृत करने की जरूरत है। येसु को खोजना, उनसे मुलाकात करना एवं उनका अनुसरण करना एक यात्रा है।

संत पापा ने येसु का अनुसरण करने में सहायता पाने हेतु माता मरियम से प्रार्थना की। "धन्य कुँवारी मरियम येसु का अनुसरण करने में हमारी सहायता करे, उनके पास जाने एवं उनके साथ रहने, उनके जीवन वचन को सुनने, उनका पालन करने जो संसार के पाप हर लेते हैं, उनसे आशा प्राप्त करने और उनसे आध्यात्मिक प्रेरणा प्राप्त करने के लिए।

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

देवदूत प्रार्थना के उपरांत संत पापा ने देश-विदेश से एकत्रित सभी तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों का अभिवादन किया।

उन्होंने विश्व शरणार्थी एवं विस्थापित दिवस के अवसर पर कहा कि यह इस समय का चिन्ह है। उन्होंने कहा, "हर अजनबी जो हमारे द्वार पर दस्तक देता है वह येसु के साथ मुलाकात करने का अवसर है जो अपने को एक विदेशी के रूप में प्रकट करते हैं जिन्हें हर युग में स्वीकारा अथवा उपेक्षित किया जाता है। संत पापा ने उनके स्वागत, सुरक्षा, प्रोत्साहन एवं एकीकरण पर पुनः जोर दिया।

संत पापा ने चिली एवं पेरू में अपनी प्रेरितिक यात्रा की सफलता हेतु प्रार्थना का आग्रह करते हुए कहा, "कल मैं चिली और पेरू की यात्रा पर जा रहा हूँ। मैं इस प्रेरितिक यात्रा में प्रार्थना के द्वारा आपके साथ की कामना करता हूँ।"  

तत्पश्चात संत पापा ने रोम तथा विश्व के विभिन्न परिवारों, पल्ली दलों एवं संगठनों का अभिवादन किया। उन्होंने कहा, "मैं खासकर, रोम में संत लूका के लातीनी अमरीकी समुदाय का अभिवादन करता हूँ जो इसकी स्थापना की 25वीं जयन्ती मना रहे हैं। उन्होंने उनके समुदाय पर ईश्वर के आशीष की कामना की तथा उन्हें कठिन समय में भी येसु का साक्ष्य देते रहने का प्रोत्साहन दिया।

अंत में उन्होंने प्रार्थना का आग्रह करते हुए सभी को शुभ रविवार की मंगलकामनाएँ अर्पित की। 








All the contents on this site are copyrighted ©.