2018-01-06 15:53:00

मुलाकात की संस्कृति का निर्माण करें, संत पापा फ्राँसिस


वाटिकन सिटी, शनिवार, 6 जनवरी 2018 ( वीआर, रेई) : संत पापा फ्राँसिस शुक्रवार 5 जनवरी को वाटिकन में इटली के प्राइमरी शिक्षक संध के सदस्यों से मुलाकात की और बच्चों को दूसरों के प्रति खुले रहने और पर्यावरण की देखभाल करने हेतु शिक्षित करने के महत्व को उजागर किया।

संत पापा ने सभी शिक्षकों से मुलाकात की संस्कृति को बढ़ावा देने हेतु आग्रह किया, चाहे वे शिक्षक काथलिक स्कूलों में या सरकार द्वारा संचालित स्कूलों में क्यों न पढ़ाते हों। शिक्षकों के सामने एक बहुत बड़ी चुनौती है कि वे बच्चों को दूसरों के प्रति खुलापन और अन्य लोगों में रुचि रखने के लिए शिक्षित करना है, उनके अलग-अलग संस्क़ति और इतिहास का सम्मान करना, उनकी ताकत और कमजोरियों, उनके संसाधनों और सीमाओं को स्वीकार करना सिखाना है।

उदंड संस्कृति का मुकाबला

संत पापा ने जोर देकर कहा कि स्कूल में उदंड बनने के बजाय बच्चों को एक ऐसी संस्कृति से उत्पन्न होने वाले पूर्वाग्रहों से मुक्त होने की शिक्षा देनी चाहिए जो दूसरों के प्रति प्रतिस्पर्धा और आक्रामक है, विशेष रूप से विदेशियों को या किसी को व्यक्तिगत उपलब्धि के लिए बाधक के रूप में देखा जाता है।

परिवारों के साथ संबंधों को फिर से बनाना

संत पापा ने स्कूल, परिवार और राज्य के बीच शैक्षिक गठबंधन के पुनर्निर्माण की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।उन्होंने शिक्षकों से कहा कि यह शैक्षिक गठबंधन का समझौता संकट में है और कुछ स्थानों में तो पूरी तरह से टूट गया है इसलिए पेशेवर विशेषज्ञों की सलाह पर, रचनात्मक सहयोग के पुनर्निर्माण की दिशा में काम करना महत्वपूर्ण और जरुरी है।

सृष्टी की समग्र देखभाल की शिक्षा दें

अंततः संत पापा ने उन्हें बच्चों को समग्र, पर्यावरण की देखरेख करने हेतु शिक्षित करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। संत पापा ने कहा कि बच्चों को सिर्फ पाठ्यपुस्तक के ज्ञान तक ही सीमित न रखें बल्कि उन्हें हमारे आमघर की देखरेख करने हेतु प्रेरित करें। यह एक स्किज़ोफ्रेनी जीवन शैली नहीं होनी चाहिए, जैसे बुजुर्गों की दुर्दशा की अनदेखी करते हुए विलुप्त होने वाले जानवरों की देखभाल करना, जीवित रहने के लिए संघर्ष करने वालों की अनदेखी करते हुए वनों को वर्षा से बचाना।

संत पापा ने कहा कि बच्चों में एकीकृत ख्रीस्तीयता एवं पर्यावरणीय नैतिकता के प्रति जागरुकता को विकसित करने की शिक्षा देनी चाहिए जो उनके दैनिक जीवन के विकल्पों और संकेतों से उभरेगा।








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