2017-12-26 15:17:00

ख्रीस्त के आने का अर्थ है मन-परिवर्तन


वाटिकन सिटी, मंगलवार, 26 दिसम्बर 2017 (रेई): वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में मंगलवार 26 दिसम्बर को ख्रीस्त जयन्ती के दूसरे दिन, संत स्तेफन के पर्व दिवस पर संत पापा फ्राँसिस ने देवदूत प्रार्थना का पाठ किया।

देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

येसु के इस धरा पर जन्म लेने का उत्सव मनाने के बाद, आज हम प्रथम शहीद संत स्तेफन का स्वर्ग में जन्म लेने का पर्व मना रहे हैं। पहली नजर में ये दो घटनाएं एक-दूसरे से जुड़ी बिलकुल दिखाई नहीं देतीं किन्तु वास्तव में, वे बहुत मजबूती से एक-दूसरे से जुड़ी हैं।

कल ख्रीस्त जयन्ती की धर्मविधि में हमने उस उदघोषणा को सुना, "शब्द ने शरीर धारण किया तथा हमारे बीच रहा।" (यो.1:14). संत स्तेफन ने जनता के नेताओं को संकट में डाल दिया था क्योंकि वह "विश्वास एवं पवित्र आत्मा से परिपूर्ण था।" (प्रे.च 6: 5) उन्होंने मनुष्यों के बीच ईश्वर की इस नयी उपस्थिति पर दृढ़ता से विश्वास किया तथा उनका साक्ष्य दिया। उन्हें मालूम था कि अब येसु ही ईश्वर के सच्चे मंदिर हैं जो अनन्त शब्द हैं और जो हमारे बीच आये एवं पाप को छोड़ हमारे समान बने। किन्तु स्तेफन पर आरोप लगाया गया कि वह येरूसालेम के मंदिर के विनाश का उपदेश दे कर रहा है। उसके खिलाफ आरोप यह था कि वे यह प्रचार कर रहे थे, "ईसा नाजरी यह स्थान नष्ट करेगा और मूसा के समय से चले आ रहे हमारे रिवाजों को बदल देगा।" (प्रे.च.6:14)

संत पापा ने कहा कि वास्तव में येसु का संदेश बेचैन और परेशान करने वाला है क्योंकि यह दुनियावी धार्मिक शक्तियों को चुनौती देता एवं अंतःकरण को उत्तेजित करता है। उनके आने के बाद मन-परिवर्तन करना आवश्यक है, पूर्व विचारधाराओं का त्याग करना है। स्तेफन अपनी मृत्यु तक येसु के संदेश में दृढ़ बना रहा। उनकी अंतिम प्रार्थना थी, "प्रभु ईसा मेरी आत्मा को ग्रहण कर।... प्रभु, यह पाप इन पर मत लगा।" (प्रे.च.7,59-60) यह उन शब्दों की प्रतिध्वनि है जिन्हें येसु ने क्रूस पर से उच्चरित किया था, "पिता मैं अपनी आत्मा तेरे हाथों सौंप देता हूँ। पिता, इन्हें क्षमा कर क्योंकि ये नहीं जानते कि क्या कर रहे हैं।" (लू.23:46)

स्तेफन यह कहने में इसलिए समर्थ हुआ जो पहले मानव की सोच के परे था क्योंकि ईश पुत्र इस धरा पर आये एवं हमारे लिए जी उठे।

स्तेफन ने येसु से उनकी आत्मा को ग्रहण करने हेतु प्रार्थना की। निश्चय ही, पुनर्जीवित ख्रीस्त प्रभु हैं और ईश्वर तथा मनुष्यों के बीच हमारे लिए एकमात्र मध्यस्थ। वे न केवल हमारे मरने के समय किन्तु हमारे जीवन के हर क्षण हमारी मध्यस्थता करते हैं। उनके बिना हम कुछ भी नहीं कर सकते। (यो.15,5) अतः हम भी बालक येसु की चरनी के पास, इस प्रकार प्रार्थना करें, "प्रभु येसु हम अपनी आत्मा तुझे समर्पित करते हैं इसे स्वीकार कर ताकि हमारा जीवन सुसमाचार के अनुरूप अच्छा बन सके।"   

संत पापा ने पड़ोसियों के प्रति प्रेम करने हेतु प्रेरित करते हुए कहा कि येसु हमारे मध्यस्थ हैं जिन्होंने न केवल हमारा मेल पिता से कराया बल्कि आपस में एक दूसरे से भी मेल कराया है। वे प्रेम के स्रोत हैं जो हमारे बीच हर तरह के संघर्ष एवं तनाव को दूर कर, हमें अपने भाई-बहनों के साथ सहभागी होने हेतु खोलता है।

उन्होंने बालक येसु से प्रार्थना करने का निमंत्रण देते हुए कहा कि हम बालक येसु से प्रार्थना करें कि पिता ईश्वर एवं पड़ोसियों पर भरोसा रखने के दोहरे मनोभाव को हम स्वीकार कर सकें। यह एक ऐसा मनोभाव है जो हमारे जीवन को बदल देता एवं इसे अधिक आकर्षक एवं फलप्रद बना देता है।

मुक्तिदाता की माता एवं शहीदों की महारानी से हम दृढ़विश्वास के साथ प्रार्थना करें कि वे हमें येसु को हमारे जीवन के मालिक स्वीकार करने में सहायता दें ताकि हम व्यक्तिगत रूप से सुसमाचार के प्रति निष्ठा की कीमत चुकाने हेतु तैयार उनके साहसी साक्षी बन सकें।

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

देवदूत प्रार्थना के उपरांत उन्होंने ख्रीस्त जयन्ती काल के आनन्द के साथ सभी का अभिवादन किया तथा उनकी उपस्थिति के लिए धन्यवाद दिया।

संत पापा ने इटली एवं विश्व के विभिन्न हिस्सों से एकत्रित तीर्थयात्रियों एवं पयर्टकों का अभिवादन करते हुए कहा, "मैं शांति एवं स्वास्थ्य की शुभकामनाओं को पुनः दुहराता हूँ। यह आपके और आपके परिवार के लिए है जब आप एक साथ रहने एवं येसु की उपस्थिति का आनन्द ले रहे हैं।"   

संत पापा ने यूक्रेन के तीर्थयात्रियों का विशेष रूप से अभिवादन किया तथा उन्हें एवं पूरे देश को आशीर्वाद दिया।

तत्पश्चात संत पापा ने उन सभी के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त की जिन्होंने उन्हें क्रिसमस की शुभकामनाएं अर्पित की हैं। उन्होंने कहा, "मैंने कई संदेश प्राप्त किये हैं जिनका मैं व्यक्तिगत रूप से उत्तर नहीं दे पाया। मैं प्रत्येक को हार्दिक धन्यवाद देता हूँ विशेषकर, प्रार्थना के उपहार के लिए। सभी को बहुत बहुत शुक्रिया। ईश्वर अपनी उदारता के साथ आपको उसका पुरस्कार प्रदान करे।"

अंत में उन्होंने प्रार्थना का आग्रह करते हुए पुनः पर्व की मंगल कामनाएं अर्पित की।








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