2017-12-25 11:42:00

रोम शहर एवं विश्व के नाम सन्त पापा फ्राँसिस का क्रिसमस सन्देश


वाटिकन सिटी, सोमवार, 25 दिसम्बर 2017 (रेई, वाटिकन रेडियो): वाटिकन स्थित सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्रमुख झरोखे से, सोमवार को, ख्रीस्तजयन्ती महापर्व के उपलक्ष्य में, सन्त पापा फ्राँसिस ने रोम शहर एवं सम्पूर्ण विश्व के नाम अपना क्रिसमस सन्देश जारी किया। ...

"अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, आप सबको क्रिसमस मुबारक!

बेथलेहेम में कुँवारी मरियम से येसु ने जन्म लिया। मानवीय इच्छानुकूल नहीं अपितु पिता ईश्वर के प्रेम के वरदान स्वरूप उन्होंने जन्म लिया, जिन्होंने "संसार से इतना प्यार किया कि उसके लिये उन्होंने अपने एकलौते पुत्र को अर्पित कर दिया, जिससे जो उनमें विश्वास करता है, उसका सर्वनाश न हो बल्कि अनन्त जीवन प्राप्त करे" (योहन, 3:16)।

यह घटना आज, काल के अन्तराल में, तीर्थयात्रा करती कलीसिया में नवीकृत होती है: ख्रीस्तीय प्रजा का विश्वास, ख्रीस्तजयन्ती की धर्मविधि में, आनेवाले ईश्वर के रहस्य का अनुभव प्राप्त करती है, जो हमारे नश्वर शरीर को अपने ऊपर धारण करते और हमारे उद्धार हेतु स्वतः को निम्न एवं निर्धन बना लेते हैं और यह हमारे हृदय को गहराई से छू लेता है क्योंकि पिता ईश्वर की कोमलता महान है।

मरियम और योसफ के बाद, मुक्तिदाता की विनम्र महिमा का साक्षात्कार करनेवालों में, सबसे पहले थे बेथलेहेम के चरवाहे। उन्होंने स्वर्गदूतों द्वारा उदघोषित चिन्ह को पहचान लिया तथा जन्मजात शिशु की आराधना की। वे विनीत तथापि, जागरुक पुरुष युगयुगान्तर के लिये  विश्वासियों के आदर्श हैं जो येसु के रहस्य के समक्ष, उनकी दरिद्रता से विचलित नहीं होते अपितु, मरियम के सदृश, ईश वचन पर विश्वास करते तथा सरल आँखों से उनकी महिमा पर चिन्तन करते हैं। देहधारण करने वाले शब्द के रहस्य के समक्ष सभी ओर के ख्रीस्तीय धर्मानुयायी, सुसमाचार लेखक सन्त योहन के शब्दों में, अपने विश्वास की अभिव्यक्ति करते हैं: "हमने उसकी महिमा देखी। वह पिता के एकलौते की महिमा जैसी है अनुग्रह और सत्य से परिपूर्ण" (योहन, 1:14)।

वर्तमान विश्व में व्याप्त घटनाओं की ओर ध्यान आकर्षित कराते हुए सन्त पापा फ्राँसिस ने आगे कहा, "आज, जब विश्व में युद्ध की हवाएँ ज़ोरो से चल रही हैं तथा मानवीय, सामाजिक एवं पर्यावरणीय ह्रास को जन्म देने वाला विकास का एक मॉडल आगे निकल चुका है, तब क्रिसमस हमें शिशु के संकेत की याद दिलाता है और बच्चों के चेहरों में उसे पहचानने का आग्रह करता है, विशेष रूप से, उन लोगों में जिनके लिये, येसु की तरह ही, "सराय में जगह नहीं है" (लूक. 2:7)।      

मध्य पूर्व के देशों के बच्चों में हम येसु के दर्शन करें, जो इस्राएलियों एवं फिलीस्तियों के बीच अनवरत जारी तनावों के कारण दुःख भोग रहे हैं। पर्व के इस दिन हम जैरूसालेम तथा सम्पूर्ण पवित्र भूमि में शांति के लिये प्रभु को पुकारें; हम प्रार्थना करें ताकि विभिन्न पक्षों के मध्य दोबारा वार्ताएं आरम्भ करने की इच्छा प्रबल रहे और अन्ततः, बातचीत के आधार पर, समाधान ढूँढ़ा जा सके जो अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त एवं पारस्परिक रूप से सहमत सीमाओं के भीतर दो राज्यों के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को सम्भव बनाये। प्रभु ईश्वर अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के उन लोगों के प्रयासों को भी समर्थन दें जो, गंभीर बाधाओं के बावजूद, उस उत्पीड़ित भूमि पर दीर्घ काल से प्रतीक्षित, सद्भाव, न्याय और सुरक्षा की दिशा में सहायता प्रदान करने के मनोरथ से अनुप्राणित हैं।"    

युद्धग्रस्त सिरिया के प्रति ध्यान आकर्षित कराते हुए सन्त पापा फ्राँसिस ने आगे कहा, "सिरिया के बच्चों में हम येसु के दर्शन करें, अभी भी इनमें उस युद्ध के निशान बने हुए हैं जिसने इन वर्षों में देश को रक्तरंजित कर रखा है। हमारी मंगलयाचना है कि प्रिय देश सिरिया, जाति एवं धर्म का भेद किये बिना, सामाजिक संरचना के पुनर्निर्माण हेतु सामान्य प्रतिबद्धता द्वारा, अन्ततः, प्रत्येक व्यक्ति की प्रतिष्ठा के सम्मान की पुनर्खोज कर सके। विगत 15 वर्षों से शत्रुता के कारण अभी भी घायल एवं विभाजित ईराक के बच्चों में हम येसु के दर्शन करें, यमन के बच्चों में हम उन्हें देखें जहाँ बड़े पैमाने पर, अधिकांशतः भुला दिया, संघर्ष जारी है और जिसके गहरे मानवतावादी दुष्परिणाम जनता पर पड़ रहे हैं जो क्षुधा एवं रोगों के प्रकोप से पीड़ित है।"

अफ्रीका के प्रति अभिमुख होते हुए उन्होंने कहा, "अफ्रीका के बच्चों में हम येसु के दर्शन करें, विशेष रूप से, उनमें जो दक्षिणी सूडान, सोमालिया, बुरुण्डी, कॉन्गो प्रजातांत्रिक गणतंत्र, केन्द्रीय अफ्रीकी गणतंत्र एवं नाईजिरिया में प्रताड़ित हैं।

सम्पूर्ण विश्व के बच्चों में हम येसु के दर्शन करें जहाँ तनावों एवं नये संघर्षों के कारण शांति और सुरक्षा ख़तरे में पड़े हैं। हम प्रार्थना करें कि कोरियाई प्रायद्वीप में टकरावों एवं विरोधों को अभिभूत किया जा सके तथा सम्पूर्ण विश्व के हित में आपसी विश्वास को बढ़ावा दिया जा सके। वेनेज्यूएला को हम बालक येसु के सिपुर्द करें ताकि वेनेज्यूएला की समस्त प्रिय जनता के हित में विभिन्न सामाजिक पक्षों के मध्य शांतिपूर्ण विचार-विमर्श की बहाली हो सके। यूक्रेन के बच्चों में हम येसु को देखें जो, अपने परिवारों सहित, यूक्रेनी संघर्ष की हिंसा तथा उसके साथ आनेवाले घोर मानवतावादी दुष्परिणामों के शिकार बन रहे हैं, हम प्रार्थना करें कि प्रभु ईश्वर शीघ्रातिशीघ्र उस प्रिय राष्ट्र को शांति प्रदान करें।"   

उन बच्चों में हम येसु को देखें जिनके माता-पिता बेरोज़गार हैं तथा अपनी सन्तानों को सुरक्षित एवं शांतिपूर्ण भविष्य का आश्वासन देने हेतु अथक परिश्रम कर रहे हैं। साथ ही उन बच्चों में भी जिनसे उनका बाल्यकाल छीन लिया गया है, उन बच्चों में जो छोटी उम्र से ही मज़दूरी के लिये बाध्य हैं अथवा बेईमान भाड़े के सैनिकों द्वारा बलपूर्वक बाल सैनिकों के सदृश सूचीबद्ध किये जा रहे हैं।

येसु को हम उन बच्चों में देखें जो स्वदेशों का परित्याग करने और अमानवीय परिस्थितियों में यात्रा करने के लिये बाध्य हैं तथा मानव तस्करों के आसान शिकार बन रहे हैं।

उनकी आंखों के जरिये हम उन कई मजबूर आप्रवासियों का दुखद नाटक देखते हैं, जो थकाऊ यात्रा का सामना करने के लिए अपना जीवन तक जोखिम में डाल देते हैं, जो कभी-कभी त्रासदी में ख़त्म हो जाते हैं।

म्यानमार और बंगलादेश में अपनी हाल की यात्रा का स्मरण कराते हुए सन्त पापा फ्राँसिस ने आगे कहा, "उन बच्चों में मैं येसु को पुनः देख रहा हूँ जिनसे मैं अपनी पिछली यात्रा के दौरान मिला था। मुझे उम्मीद है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय यह सुनिश्चित करने के लिए अपने प्रयासों को स्थगित नहीं करेगा कि उस क्षेत्र में मौजूद अल्पसंख्यकों की गरिमा को उपयुक्त रूप से सुरक्षित रखा जा सके। स्वागत नहीं किये जाने के दर्द को येसु अच्छी तरह से समझते हैं, वे सिर रखने की जगह न मिलने की थकावट से भी भली भाँति परिचित हैं। हमारे हृदय कभी बंद न रहें जिस प्रकार बेथलेहेम के घर बन्द रहे थे।"    

उन्होंने आगे कहा, 

"अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, हमें भी ख्रीस्तजन्म का संकेत दिखाया गया है: "कपड़ों में लपेटा हुआ बालक..." (लूक. 2: 12)। कुँवारी मरियम एवं सन्त योसफ के सदृश, बेथलेहेम के चरवाहों के सदृश, हम शिशु येसु में हमारे लिये मनुष्य बने ईश्वर के प्रेम का स्वागत करें तथा उनकी कृपा से हमारे इस विश्व को अधिक मानवीय बनाने के प्रति कृतसंकल्प रहें, ऐसा विश्व जो आज के और आनेवाले कल के बच्चों के योग्य हो।"

इतना कहने के उपरान्त सन्त पापा फ्राँसिस ने सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में उपस्थित तथा रेडियो, टेलेविज़न एवं इन्टरनेट के माध्यम से रोम शहर एवं सम्पूर्ण विश्व के नाम उनका क्रिसमस सन्देश सुनने वालों को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।

अन्त में ख्रीस्तजयन्ती की हार्दिक शुभकामनाएँ अर्पित करते हुए उन्होंने कहा, "आप सबको, अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, विश्व के प्रत्येक क्षेत्र से इस प्राँगण में उपस्थित और साथ ही रेडियो, टेलेविज़न एवं अन्य सम्प्रेषण माध्यमों द्वारा विभिन्न देशों से जुड़े सभी लोगों को मैं सदभावना से परिपूर्ण शुभकामनाएँ अर्पित करता हूँ।

मुक्तिदाता प्रभु येसु ख्रीस्त का जन्म हृदयों को नवीकृत करे, और अधिक भ्रातृत्वपूर्ण एवं एकात्म भविष्य के निर्माण की इच्छा को जागृत करे, सभी में हर्ष औऱ आशा का संचार करे। क्रिसमस मुबारक हो!"








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