2017-12-21 16:20:00

"पाद्रे नोस्त्रो" कार्यक्रम का अंतिम अंक प्रसारित


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 21 दिसम्बर 17 (रेई): "पाद्रे नोस्त्रो" (हे हमारे पिता) का नवाँ एवं अंतिम अंक 20 दिसम्बर बुधवार को संध्या 9.05 बजे टीवी 2000 में प्रस्तुत किया गया।

वाटिकन प्रेस कार्यालय द्वारा जारी वक्तव्य में कहा गया कि इस अंतिम अंक में संत पापा फ्राँसिस एवं पादुवा के कैदखाने में नियुक्त पुरोहित मार्को पोत्सो के साथ उस बातचीत को प्रस्तुत किया जिसमें उन्होंने ईश्वर को सचमुच पिता स्वीकार कर पाने पर बल दिया है।

संत पापा ने कहा, "हम कहते हैं कि हम ख्रीस्तीय हैं, हमारे एक पिता हैं किन्तु हम ऐसे जीते हैं मानो कि हम न तो ईश्वर पर विश्वास करते और न ही पड़ोसियों पर। हम बिना विश्वास के, बुराई करते हुए जीते हैं। हम प्रेम से नहीं किन्तु घृणा, प्रतिस्पर्धा एवं संघर्ष की भावना में जीते हैं। क्या यह उन ख्रीस्तीयों के लिए पवित्र कार्य है जो सत्ता के लिए संघर्ष करते हैं? क्या यह उन लोगों का अच्छा कार्य है जो अपने शत्रुओं को समाप्त करने के लिए सुपारी देते हैं? क्या यह उन लोगों का कर्तव्य सही है जो अपने बच्चों की अच्छी देखभाल नहीं करते। संत पापा ने कहा कि जी नहीं इन कार्यों के द्वारा ईश्वर का नाम पवित्र नहीं होता।    

संत पापा ने कहा कि "हे हमारे पिता" प्रार्थना करने के लिए साहस की आवश्यकता है। जब मैं पिता कहता हूँ तो मुझे सचमुच विश्वास करना चाहिए कि ईश्वर एक पिता हैं जो मेरा साथ देते, मुझे क्षमा करते, मुझे भोजन प्रदान करते तथा उन सभी बातों पर ध्यान देते हैं जिनकी मैं उनसे याचना करता हूँ। उन्होंने कहा कि विश्वास करना भी एक बड़ा जोखिम उठाना है यदि यह सच न हो किन्तु एक साथ इसके लिए साहस करने से यह आसान हो जाता है। संत पापा ने कहा कि यही कारण है कि हम एक साथ प्रार्थना करते हैं। संत पापा ने परिवार का उदाहरण देते हुए कहा कि जब परिवार में बच्चों को रोटी परोसा जाता है तो उन्हें ग्रहण करने और कभी नहीं फेंकने के लिए सिखाया जाता है। रोटी मानवीय एकता का प्रतीक है, हमारे लिए ईश्वर के प्रेम का चिन्ह जो हमें तृप्त करते हैं। संत पापा ने रोटी को नहीं फेंकने की सलाह देते हुए उन माताओं का उदाहरण दिया जो रोटी सूख जाने पर उसे फेंकते नहीं वरन दूध में डूबो कर नरम बनाते हैं। 

संत पापा ने ईश्वर की क्षमाशीलता पर प्रकाश डालते हुए एक घटना का जिक्र कर कहा कि एक बार फातिमा की माता मरियम की प्रतिमा को बोयनोस आएरेस लाया गया था। इस अवसर पर बीमारों के लिए ख्रीस्तयाग अर्पित किया गया। स्टेडियम जहाँ ख्रीस्तयाग अर्पित किया गया लोगों से भरा था। संत पापा उस समय एक धर्माध्यक्ष थे अतः वे ख्रीस्तयाग के पूर्व एवं मिस्सा के आरम्भ में पाप स्वीकार संस्कार के लिए बैठे। कुछ देर के बाद पापस्वीकार हेतु कोई नहीं था तब वे उठ कर जाने के लिए तैयार हुए क्योंकि उन्हें दृढ़ीकरण संस्कार का अनुष्ठान करना था। उसी समय एक छोटी साधारण महिला आयी। संत पापा उनसे थोड़ा परेशान हुए किन्तु उसकी आँखों में चमक देखकर पूछा, "क्या वह पापस्वीकार करना चाहती है। तुम्हारे कोई पाप नहीं हैं।" वह महिला पुर्तगाली थी जिसने उत्तर दिया "हम सभी पापी हैं....संत पापा ने कहा कि यदि ईश्वर हमें क्षमा नहीं करते, किन्तु महिला ने दृढ़ता से जवाब दिया "वे प्रत्येक को क्षमा कर देते हैं।" संत पापा ने पूछा आप उसे किस तरह जानते हैं?" यदि ईश्वर क्षमा नहीं करते तो यह संसार ही नहीं होता। संत पापा ने उस महिला जवाब से प्रभावित होकर पूछना चाहा कि क्या उसने ग्रेगोरियन विश्व विद्यालय में ईशशास्त्र की पढ़ाई की है? संत पापा ने कहा कि यह साधारण लोगों की प्रज्ञा है जो जानते हैं कि उनके एक पिता हैं जो सदा उनका इंतजार करते हैं।  

हे हमारे पिता के इस कार्यक्रम की शुरूआत संचार के लिए वाटिकन परमधर्मपीठीय सचिवालय तथा टीवी 2000 के संयुक्त पहल पर हुई थी, जिसमें नौ अंक थे जिन्हें हर बुधवार को प्रसारित किया गया।








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