वाटिकन सिटी, सोमवार, 11 दिसम्बर 2017 (वाटिकन रेडियो, रेई): परमधर्मपीठ मध्य पूर्व देशों में विकासशील स्थिति पर अपना ध्यान केंद्रित किये हुए है विशेष कर यरूशलेम के संदर्भ में जो दुनिया भर के ख्रीस्तीयों, यहूदियों और मुसलमानों का पवित्र शहर है।
रविवार 10 दिसम्बर को वाटिकन प्रेस द्वारा प्रकाशित एक बयान में कहा गया कि संत पापा फ्राँसिस ने येरूसलेम और उसके आस-पास की अस्थिर स्थिति के बारे में अपनी चिंता प्रकट की है और येरुसलेम पर विवेक और सूझ-बूझ की अपील को दोहराया और उनकी प्रार्थना है कि राष्ट्र के नेतागण, गंभीर स्थिति में, हिंसा के इस नए पेचीदे मसले को टालने के लिए हर संभव प्रयास करें तथा शांति, न्याय और सुरक्षा की इच्छा करने वाले उस देश वासियों को प्रत्युत्तर मिल सके।
बयान में कहा गया कि इन दिनों चिंता का विषय शांति की संभावनाओं के विभिन्न पहलों का हैं, जिसमें अरब लीग और इस्लामी सहयोग संगठन के बीच महत्वपूर्ण बैठकें भी शामिल हैं। संत पापा की अपील है कि वे संयुक्त राष्ट्र के संकल्पों के अनुरूप, येरूसलेम शहर की स्थिति को मानने के लिये अपनी प्रतिबद्धता प्रकट करें।"
साथ ही, परमधर्मपीठ अपनी दृढ़ विश्वास को दोहराती है कि केवल इसरायल और फिलिस्तीनियों के बीच वार्ता के समाधान से स्थिर और स्थायी शांति कायम की जा सकती है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर दो राज्यों के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की गारंटी है।
संयुक्त राष्ट्र की दलील है कि वे द्विराष्ट्र समाधान के पक्ष में हैं। उनके अनुसार इससे सन् 1967 से पहले युद्धविराम के वक्त, पश्चिमी तट, ग़ज़ा पट्टी और पूर्वी येरूसलेम के लिए निर्धारित सीमाओं के अनुसार, एक नवीन और स्वतंत्र फिलिस्तीन का जन्म हो सकेगा जो इसराइल के साथ शांति से एक पड़ोसी की तरह रह सकेगा।
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