2017-12-11 16:12:00

कलीसिया द्वारा दिन-रात आंदोलन करने की शुरुआत


तिरूवनंतपुरम, सोमवार,11 दिसम्बर 2017 (मैटर्स इंडिया) : लैटिन काथलिक कलीसिया ने अपने आंदोलन को तेज करने का निर्णय लिया है जब तक ओक्खी चक्रवात में फंसे सभी मछुआरों को बाहर निकाला नहीं जाता है। महाधर्माध्यक्ष सूसा पाक्यम द्वारा बुलाये गये तिरुवनंतपुरम महाधर्मप्रांत के प्रेरितिक परिषद की बैठक में 11 दिसंबर को तिरूवनंतपुरम, कोच्चि और तुतीकोरिन सहित विभिन्न स्थानों पर दिन-रात आंदोलन शुरू करने का फैसला लिया गया।

लापता लोगों को बचाने में देरी के विरोध में प्रदर्शन राज भवन के बाहर भी किया जाएगा।

सचिवालय की घेराबंदी

विकार-जनरल यूजीन एच. परेरा ने मीडियाकर्मियों को बताया कि भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल समुद्र के बाहर में अपनी खोज के विस्तार के बारे में झिझक रहे थे। कलीसिया की मांग है कि केंद्र बचाव के प्रयास में रक्षा विमान तैनात करे। आखिरी व्यक्ति को बचाए जाने तक आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने कहा,"हम 13 दिसंबर से पीड़ितों के शव के साथ सचिवालय को घेरे रहेंगे जबतक कि हमारी मांगें पूरी नहीं होती।"

उन्होंने कहा कि इस जिले से 285 मछुआरों को बचाया जाना है। कलीसिया ने इस घटना को राष्ट्रीय आपदा के रूप में घोषित करने की अपनी मांग को दोहराया है।

मंत्रियों का दौरा

इससे पहले, राजस्व मंत्री ई चंद्रशेखरन और पर्यटन मंत्री कडकमपल्ली सुरेंद्रन ने कलीसिया की चिंताओं को शांत करने के लिए महाधर्माध्यक्ष से मुलाकात की। वित्त मंत्री टीएम थॉमस आइजैक ने अदिमालाथूरा और पोजियूर  सहित विभिन्न तटीय क्षेत्रों दौरा किया।

यात्रा के दौरान, राज्य सरकार द्वारा घोषित पैकेज में कथित अपर्याप्तता के खिलाफ महिलाओं ने विरोध प्रदर्शन किया।

शवों की पहचान

शुक्रवार को विझिनाजम से दे मछुवारों की लाश सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल, तिरुवनंतपुरम लाई गयी। डीएनए जाँच के आधार पर एक लाश तुतीकोरिन के 42 वर्षीय जूड और दूसरी अदिमालाथूरा के 41 वर्षीय अंतोनी की थी। अब तक 18 शव अस्पताल लाये गये हैं। 9 शवों की पहचान करना अभी तक बाकी है।

30 नवंबर से शुरू होने वाले तीन दिवसीय  ओक़ी चक्रवात ने तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक के तटीय क्षेत्रों में कहर बरकरार रखा है। इससे इन राज्यों के तटीय इलाकों में दुःख और परेशानी पैदा हुई है। भारतीय मजदूर संध की 8 से 10 दिसम्बर की बैठक के अंत में एक प्रेस विज्ञप्ति में अध्यक्ष ने कहा, "यह वास्तव में चौंकाने वाला है कि केरल और तामिलनाडू में 3000 से भी ज्यादा मछुआरे लापता हैं।″








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