2017-12-09 15:19:00

संत पापा ने येसु के पवित्र हृदय के मिशनरियों से मुलाकात की


वाटिकन सिटी, शनिवार 09 दिसम्बर 2017 (रेई) : संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन के क्लेमेंटीन सभागार में संत फ्रान्सिस्का कब्रीनी की पुण्यतिथि की पहली शताब्दी के अवसर पर येसु के पवित्र हृदय के मिशनरियों से मुलाकात की।

संत पापा ने वाटिकन में उनका सहर्ष स्वागत करते हुए कहा, ″मैं बड़ी प्रसन्नता के साथ आप कब्रिनियानी परिवार के प्रतिनिधियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ जो संत फ्रांसिस्का सवेरियो कब्रीनी के पुन्यतिथि की शताब्दी के उत्सव के समापन हेतु एकत्रित हुए हैं। इस संत ने अमेरिका में प्रवासियों की सहायता करने के लिए चौबीस बार समुद्र पार किया था और वे अनजाने में एंडिस और अर्जेन्टीना तक भी चली गई थी। शिकागो की यात्रा के दौरान अचानक 17 दिसम्बर 1917 को उन्होंने इस संसार से विदा लिया ।

संत कब्रीनी एक सच्ची मिशनरी थीं। उन्होंने पूर्वी देशों में सुसमाचार प्रचार के लिए अग्रणी संत फ्राँसिस जेवियर को अपना आदर्श माना था। वे चीन में सुसमाचार के प्रचार हेतु जाना चाहती थी। उन्होंने कभी न प्रवासियों के बारे में नहीं सोचा जो हजारों की संख्या में भूख के कारण काम की खोज में तथा एक सुरक्षित भविश्य की आशा में अमेरिका की यात्रा कर रहे थे। जैसा कि हम जानते हैं, संत पापा लियो तेरहवीं की दृष्टि कब्रीनी पर थी उन्होंने एक बार मजाक में कहा था "पूर्व के लिए नहीं कब्रीरी, लेकिन पश्चिम में!" कब्रीनी अपनी इच्छा नहीं पर ईश्वर की इच्छा अनुसार मिशन कार्य के लिए आगे बढी। उन्होंने पवित्र हृदय मिशनरी समाज की स्थापना की। संत पापा ने कहा, ″वे एक सच्चे बुलावे का उदाहरण हैं: उन्होंने अपने आप को पूरी तरह से भूलकर ईश्वर के प्यार में आत्म समर्पण किया।″

संत फ्राँसिस्का ने अपना पूरा जीवन प्रवासियों की सेवा में समर्पित कर दिया। गरीबी और हिंसा के शिकार कई पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को मदर कब्रीनी ने दिल से स्वागत किया और उनकी मदद की।

संत पापा ने उन्हें अपनी संस्थापिका के पदचिन्हों पर चलते रहने और उसके कारिस्मा को आगे बढ़ाने की प्रेरणा दी। उनका करिस्मा वास्तव में असाधारण था, क्योंकि वे प्रवासियों के करीब आती, उनकी बातें सुनती, उनका साथ देती और उनकी जरुरत अनुसार उनकी मदद करने हेतु कार्यक्रमों को निश्चित करती थीं। प्रवासी उनमें एक बहन और माता के रुप में ईश्वर के प्रेम का अनुभव करते थे। संत कब्रीनी ने येसु के पवित्र हृदय की आध्यात्मिकता का जीवन जीया था। उसने अपना जीवन पूरी तरह से येसु के पवित्र हृदय को जानने और प्रेम करने में समर्पित किया था।

संत पापा ने कहा, प्रभु आपलोगों को मदर कब्रीना के समान हमारे देश और शहरों में रहने वाले गरीबों और प्रवासियों के प्रति चौकस और दयालु बने रहने की कृपा प्रदान करें। आप भी अपनी योग्यता और प्रतिभाओं का अच्छा उपयोग करते हुए उनकी सेवा में अपने आप को समर्पित करें। (सीएफ, मत्ती 25:14-23)।

 संत पापा ने उपस्थित प्रतिभागियों को उनकी उदारता के लिए धन्यवाद देते हुए संस्थापिका के कारिस्मा को जारी रखने हेतु शुभकामनाएँ दी।








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