2017-12-08 12:05:00

निष्कलंक मरियम के महापर्व पर सन्त पापा फाँसिस का सन्देश


वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 8 दिसम्बर 2017 (रेई, वाटिकन रेडियो): सन्त पापा फ्रांसिस ने, शुक्रवार आठ दिसम्बर को निष्कलंक माँ मरियम के महापर्व के उपलक्ष्य में सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में उपस्थित तीर्थयात्रियों के साथ मध्यान्ह देवदूत प्रार्थना का पाठ कर अपना सन्देश दिया।

उन्होंने कहा...

"अति प्रिय भाइयो एवं बहनो,

आज हम माँ मरियम के सौन्दर्य पर चिन्तन करते हैं। देवदूत सन्देश का विवरण प्रकाशित करनेवाला सुसमाचारी पाठ हमें इस महापर्व का मर्म समझाता है, विशेष रूप से, दूत के प्रणाम में निहित शब्दों के द्वारा। वह मरियम को एक ऐसे शब्द से सम्बोधित करता है जिसका अनुवाद  करना कठिन है और जिसका अर्थ है, "अनुग्रह से परिपूर्ण", "कृपा से सृजित", सन्त लूकस के पहले अध्याय के 28 वें पद के अनुसार, "कृपा से परिपूर्ण"। मरियम पुकारने से पहले देवदूत उन्हें "कृपा से परिपूर्ण" कहकर सम्बोधित करता है और इस प्रकार उस नाम की प्रकाशना करता है जिसे ईश्वर ने उन्हें प्रदान किया है और जो उस नाम से श्रेष्ठकर है जो उन्हें उनके माता-पिता से मिला था। हम भी हर बार प्रार्थना करते समय मरियम को इसी नाम से पुकारते हैं, प्रणाम मरिया।"  

सन्त पापा ने कहा कि "कृपा से परिपूर्ण" होने का अर्थ है कि मरियम ईश्वर की उपस्थिति से परिपूर्ण हैं और चूँकि वे पूरी तरह ईश्वर की उपस्थिति से पूर्ण हैं इसलिये उनमें "पाप" के लिये कोई जगह नहीं है।

उन्होंने स्मरण दिलाया कि विश्व में कोई भी ऐसा मनुष्य नहीं है जिसमें बुराई अथवा पाप समाहित नहीं है। "सभी में कहीं न कहीं अन्धकार छिपा हुआ है किन्तु मरियम पाप रहित हैं। मनुष्यों में मरियम एकमात्र व्यक्ति हैं जो पाप के बिना हैं, वे मानवजाति का "हरित मरुद्यान"  हैं जिनका सृजन इसलिये हुआ कि वे अपनी "हाँ" से धरती पर आनेवाले ईश्वर का स्वागत कर सकें और ऐसा कर एक नवीन इतिहास का सूत्रपात कर सकें।" 

सन्त पापा ने कहा, "जब-जब हम याद करते हैं कि मरियम कृपा से परिपूर्ण हैं तब-तब हम यह भी स्वीकार करते हैं कि वे सदैव यौवन से भरी रहीं इसलिये कि पाप से वे कभी बूढ़ी नहीं हुई। कलीसिया आज मरियम को "तूता पुलक्रा" अर्थात् पूर्ण सुन्दर कहकर पुकारती है, जिनका सौन्दर्य बाहरी न होकर आन्तरिक है। जैसा कि सुसमाचार बताते हैं: वे एक सर्वसाधारण स्त्री थीं, विनम्रतापूर्वक नाज़रेथ में जीवन यापन किया करती थीं तथा विख्यात नहीं थीं। जिस दिन देवदूत ने उन्हें सन्देश दिया उस दिन भी किसी ने उन्हें नहीं जाना क्योंकि उस समय रिपोर्टर्स नहीं हुआ करते थे। उनका जीवन सरल नहीं था बल्कि वह चिन्ताओं से भरा था। देवदूत की बात सुनकर भी वे घबरा उठती हैं।

तथापि, सन्त पापा ने कहा, "देवदूत सन्देश की हर तस्वीर में हम मरियम को हाथ में पुस्तक लिये देखते हैं, यह पुस्तक है पवित्र बाईबिल जिससे उन्हें जीवन की कठिनाइयों को पार करने का साहस मिलता रहा। पवित्र धर्मग्रन्थ द्वारा मरियम अनवरत ईश्वर के वचनों को सुनती रहीं, उनके साथ वार्तालाप करती रहीं तथा उनके अनुकूल जीवन यापन करती रहीं।"

सन्त पापा ने कहा, "हम भी ईश्वर के शब्दों पर कान दें तथा मरियम की तरह सुन्दर बनें क्योंकि ईश्वर की ओर अभिमुख हृदय ही हमें सुन्दरता प्रदान करता है।"

इतना कहकर सन्त पापा ने अपना सन्देश समाप्त किया तथा सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया। ...

इस अवसर पर सन्त पापा फ्राँसिस ने यह भी घोषणा की शुक्रवार सन्ध्या प्रतिवर्ष की तरह वे रोम के पियात्सा स्पान्या में मरियम की प्रतिमा के समक्ष प्रार्थना कर पुष्पांजलि करेंगे।








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