2017-12-06 15:47:00

परमधर्मपीठीय अकादमी को संत पापा का संबोधन


वाटिकन सिटी, बुधवार, 6 दिसम्बर 2017 ( वीआर,रेई) : संत पापा फ्राँसिस ने मंगलवार को परमधर्मपीठीय अकादमी के सदस्यों का अभिवादन कर उनसे अपील की कि वे युवाओं के हृदय में अपने ज्ञान और विवेक को बांटें। संत पापा ने परमधर्मपीठ अकादमी के 22वे आम सभा को अपना संदेश दिया जिसका विषय था "आंतरिक घर में"

यह आमसभा प्रतिवर्ष रोम के कानचेलेरिया भवन में संपन्न किया जाता है। इस सभा का सभापतित्व परमधर्मपीठ अकादमी परिषद के समन्वयक और संस्कृति हेतु बनी परमधर्मपीठीय सम्मेलन के अध्यक्ष कार्डिनल जॉनफ्रांको रवासी ने की। इसमें प्रतिभागियों के कामकाज प्रस्तुत किए जाते हैं और विभिन्न श्रेणियों के पुरस्कार दिये जाते हैं।

पुरस्कार देने से पहले राज्य सचिव कार्डिनल पियेत्रो परोलिन ने संत पापा फ्राँसिस के संदेश को पढ़ सुनाया।

संत पापा फ्राँसिस ने पहली बार इस सभा में भाग लेने वाले ‘परमधर्मपीठीय लैटिन अकादमी’ का हार्दिक स्वागत किया जिसकी स्थापना 2012 में संत पापा बेनेदिक्त सोलहवें द्वारा "कलीसियाई और व्यापक संस्कृति में " लैटिन के अधिक सक्षम उपयोग और  अधिक जागरूकता के लिए प्रतिबद्धता के समर्थन हेतु शुरु की गई।

संत पापा ने कलीसिया के धर्माचारियों और लैटिन लेखकों को याद किया जिन्होंने पहली ख्रीस्तीय सहस्राब्दी पर विशेष रूप से संत अगुस्टिन की भूमिका पर ध्यान केंद्रित किया था। संत अगुस्टिन के ‘पाप-स्वीकार’ पुस्तक में हम पाते हैं कि उन्होंने अपने व्यक्तिगत अनुभव का ″अविस्मरणीय पृष्ठों" का ज्ञान प्रस्तुत करता है।

संत अगुस्टीन के ″ द वेरा रेलीजोने″ (एक सच्चा धर्म) से उद्धरित कर संत पापा ने खुद को जानने के महत्व पर परिलक्षित किया है, यह अवधारणा कई अन्य शास्त्रीय लेखकों और दार्शनिकों के लिए भी महात्वपूर्ण है और यह वर्तमान में हर व्यक्ति के लिए भी एक अनिवार्य विषय बन गया है।

संत पापा ने कहा, ″प्रिय मित्रो, संत अगुस्टीन के समान मैं भी आप अकादमिक लोगों और उस सभी से आग्रह करता हूँ जो धर्माचारियों के ज्ञान को बांटने का उतरदायित्व मिला है जो लैटिन संस्कृति के किताबों में मिलती हैं। आप युवा लोगों के हृदयों में अपने ज्ञान को बांटे तथा लैटिन परंपरा की अविश्वसनीय खजाने की रक्षा करते हुए उन्हें जीवन की यात्रा में शिक्षित करें। आशा और विश्वास में समृद्ध मार्गों में चलने हेतु उनका साथ दें।″








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