2017-12-04 14:42:00

आगमन काल प्रभु के स्वागत हेतु तैयारी का समय


वाटिकन सिटी, सोमवार, 4 दिसम्बर 2017 (रेई): वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 3 दिसम्बर को आगमन काल आरम्भ करते हुए संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

"आज हम आगमन काल की यात्रा आरम्भ करते हैं जो क्रिसमस में समाप्त होगी। आगमन काल एक ऐसा समय है जो हमें दिया गया है ताकि हम प्रभु का स्वागत कर सकें जो हमसे मुलाकात करने आते हैं। साथ ही साथ, यह समय ईश्वर के प्रति हमारी अभिलाषा की जाँच करने तथा उनकी राह देखते हुए ख्रीस्त के पुनःआगमन की तैयारी करने के लिए है। वे ख्रीस्त जयन्ती महोत्सव के दिन पुनः आयेंगे जब हम मानवीय परिस्थिति में उनके ऐतिहासिक आगमन की याद करेंगे किन्तु वे हमारे पास हर घड़ी आते हैं जब कभी हम उनका स्वागत हेतु तैयार होते, वे अंत समय में जीवितों एवं मृतकों का न्याय करने पुनः आयेंगे। जिसके लिए हमें निरंतर तैयार रहना चाहिए तथा उनसे मुलाकात करने की आशा से इंतजार करना चाहिए। आज की धर्मविधि जागते रहने एवं इंतजार करने की इन्हीं खास विषयों का परिचय प्रस्तुत करता है।"  

संत मारकुस रचित सुसमाचार में येसु सावधान रहने एवं जागते रहने का परामर्श देते तथा उनके पुनः आगमन पर उनके स्वागत हेतु तैयार रहने की सलाह देते हैं। वे कहते हैं, "सावधान रहो। जागते रहो, क्योंकि तुम नहीं जानते कि वह समय कब आयेगा। ... इसलिए जागते रहो। कहीं ऐसा न हो कि वह अचानक पहुँचकर, तुम्हें सोता हुआ पाये।" (मार. 33-36)

संत पापा ने कहा, "जो व्यक्ति दुनिया की आवाज़ों के बीच भी सतर्क रहता है, वह बाधा अथवा छिछलापन के चंगुल में नहीं फंसता बल्कि पूर्ण एवं सचेत होकर जीता है तथा दूसरों की मदद करता है। इस मनोभाव द्वारा हम दूसरों के आँसू एवं आवश्यकताओं के प्रति जागरूक हो सकते हैं तथा हम मानवीय एवं आध्यात्मिक क्षमता और गुणवत्ता हासिल कर सकते हैं। इस तरह एक जागरूक व्यक्ति दुनिया में जाकर उसमें निहित उदासीनता एवं क्रूरता का सामना कर सकता है। उसकी सुन्दरता के खजाने से आनंदित होता एवं उसकी रक्षा करता है।

यह व्यक्तियों और समाज के दुःख और गरीबी को पहचानने के लिए समझ की एक नजर रखने के बारे में है तथा प्रतिदिन की छोटी चीजों में छिपी समृद्धि को वहीं पहचानना है जहाँ वह रखा गया है।

जागरूक व्यक्ति वह है जो जागते रहने के निमंत्रण को स्वीकार करता, जिसका मतलब है कि वह निरुत्साह रूपी नींद, आशा की कमी, निराशा तथा घमंड के लालच से अभिभूत नहीं होता जिसके पीछे दुनिया भागती है और जिसके कारण अपने व्यक्तिगत एवं परिवार के समय एवं शांति को गंवा देती है। यही इस्राएल के लोगों का दुखद अनुभव था जिसके बारे नबी इसायस बतलाते हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि ईश्वर ने अपनी प्रजा को भटकने के लिए छोड़ दिया था।(ईसा.63.17) किन्तु यह ऐसा नहीं था बल्कि उन लोगों का अपनी ओर से निष्ठा की कमी का परिणाम था। हम भी अकसर प्रभु के बुलावे के प्रति निष्ठावान नहीं बने रह सकते हैं। वे हमें सच्चे मार्ग, विश्वास के रास्ते तथा प्रेम के पथ दिखलाते हैं किन्तु हम अपना आनन्द अन्यत्र खोजते हैं।

सतर्क एवं जागते रहना, पापों एवं गलतियों में खोकर प्रभु के रास्ते से भटक नहीं जाने का पूर्व शर्त है। सावधान एवं जागते रहने का मतलब है हमारे जीवन में प्रभु को प्रवेश करने देना, उनकी अच्छी एवं कोमल उपस्थिति के अर्थ एवं मूल्य को पुनःस्थापित करना।

अति निष्कलंक मरियम जो ईश्वर की आशा तथा जागरूकता की आदर्श हैं, अपने पुत्र येसु से मुलाकात करने में हमारी अगवाई करे ताकि उनके प्रति हमारा प्रेम पुनः जागृत हो सके।

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

देवदूत प्रार्थना के उपरांत संत पापा ने देश विदेश से एकत्रित तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों का अभिवादन किया।

उन्होंने म्यानमार एवं बंगलादेश में अपनी प्रेरितिक यात्रा की याद करते हुए उन सभी लोगों के प्रति अपना आभार प्रकट किया जिन्होंने यात्रा की सफलता हेतु अपना बहुमूल्य योगदान दिया था।

उन्होंने कहा, "कल रात मैं म्यानमार एवं बंगलादेश की प्रेरितिक यात्रा से वापस लौटा। मैं उन सभी को धन्यवाद देता हूँ जिन्होंने अपनी प्रार्थनाओं से मेरा साथ दिया है मैं आप लोगों को ईश्वर के प्रति अपने धन्यवाद ज्ञापन में सहभागी होने के लिए आमंत्रित करता हूँ जिन्होंने मुझे वहाँ के लोगों से मुलाकात करने का अवसर प्रदान किया है, खासकर, वहाँ के काथलिक समुदाय। उन्हें जीवन में कई बार चुनौतियोँ का सामना करना पड़ता है किन्तु वे शांत एवं हंसमुख रहते हैं यह मुझे प्रभावित किया। मैं उन सभी को अपने हृदय में रखता एवं उन्हें प्रार्थना में याद करता हूँ। म्यानमार एवं बंगलादेश के लोगों को बहुत-बहुत धन्यवाद।"

संत पापा ने होंडुरस के लिए प्रार्थना की कि वह वर्तमान की समस्या का शांतिपूर्ण समाधान कर सके।

तत्पश्चात उन्होंने रोम तथा विभिन्न देशों से आये तीर्थयात्रियों को सम्बोधित किया।

अंत में संत पापा ने प्रार्थना का आग्रह करते हुए, सभी को शुभ रविवार एवं आगमन काल की मंगलकामनाएँ अर्पित की।








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