2017-11-28 11:49:00

म्यानमार में सन्त पापा ने की आर्मी चीफ से मुलाकात


याँगून, मंगलवार, 28 नवम्बर 2017 (रेई,वाटिकन रेडियो): म्यानमार में सार्वभौमिक काथलिक कलीसिया के परमधर्मगुरु, सन्त पापा फ्राँसिस ने म्यानमार के प्रमुख सेना कमाण्ड तथा म्यानमार राज्य की परामर्शदाता एवं विदेश सचिव श्रीमती आऊन सान सूकी से मुलाकातें कीं। सार्वभौमिक काथलिक कलीसिया के परमधर्मगुरु, सन्त पापा फ्राँसिस 27 नवम्बर से 02 दिसम्बर तक म्यानमार एवं बंगलादेश की छः दिवसीय प्रेरितिक यात्रा पर हैं। इस यात्रा के प्रथम तीन दिन सन्त पापा म्यानमार में व्यतीत कर 30 नवम्बर को बंगलादेश के लिये प्रस्थान करेंगे।

सोमवार, 27 नवम्बर को सन्त पापा याँगून पधारे थे। यांगून हवाई अड्डे पर म्यानमार के वरिष्ठ अधिकारियों एवं कलीसियाई उच्चाधिकारियों सहित पारंपरिक पोशाकें धारण किये जातीय अल्पसंख्यकों तथा बच्चों ने गुलदस्ते अर्पित कर सन्त पापा फ्राँसिस का स्वागत किया। हवाई अड्डे से याँगून के मरियम महागिरजाघर तक लगभग 18 किलो मीटर की दूरी सन्त पापा ने अपनी साधारण हल्की नीली टोयोटा गाड़ी से पूरी की। इस अवसर पर कार की खिड़की से उन्होंने वाटिकन एवं म्यानमार के ध्वज फहराते, जयनारे लगाते तथा प्रेरितिक यात्रा के "प्रेम एवं शांति" आदर्श वाक्य से अंकित टी-शर्ट धारण किये प्रशंसकों को दर्शन दिये।

सोमवार को याँगून हवाई अड्डे से महाधर्माध्यक्षीय निवास पहुँचने के कुछ ही देर बाद सन्त पापा फ्राँसिस ने म्यानमार में सशस्त्र बलों के प्रमुख कमांडर सिनियर जेनरल मिन आऊँग हलियाँग से मुलाकात की। शिष्टाचार की यह भेंट लगभग 15 मिनट तक जारी रही जिसके उपरान्त उपहारों का आदान-प्रदान किया गया। सन्त पापा फ्राँसिस ने सेना कमाण्ड मिन आऊँग ह्लियाँग को अपनी यात्रा का स्मारक पदक पेश किया जबकि श्री हलियाँग ने नाव के आकारवाली एक वीणा तथा चावल का एक अलंकृत कटोरा भेंट स्वरूप सन्त पापा को अर्पित किया। इस मुलाकात के विषय में वाटिकन प्रेस कार्यालय के निदेशक तथा वाटिकन के प्रवक्ता ग्रेग बुर्के ने कहा, "उन्होंने पारगमन के इस समय में देश के अधिकारियों की महान ज़िम्मेदारी पर चर्चा की।"

इसी बीच, जेनरल ह्लियाँग ने मुलाकात के उपरान्त फेसबुक पर एक वकतव्य जारी कर कहा कि वे "अन्तरधार्मिक शांति, एकता एवं न्याय" के पक्ष में हैं और कहा कि म्यानमार में किसी प्रकार का जातीय एवं धार्मिक भेदभाव नहीं है। ग़ौरतलब है कि विगत वर्ष संयुक्त राष्ट्र संघ ने म्यानमार का आह्वान किया था कि वह देश की सैन्य कार्रवाईयों को रोके जिसके चलते राखिन राज्य के अल्पसंख्यकों के विरुद्ध क्रमबद्ध हिंसा एवं मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन होता रहा था। म्यानमार की सेना सुरक्षा बलों द्वारा ग़लत कार्रवाइयों एवं मानवाधिकारों के उल्लंघन से सदैव इनकार करती रही है। 








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