2017-11-16 16:44:00

जीवन के लिए परमधर्मपीठीय अकादमी को संत पापा का संबोधन


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 16 नवम्बर 2017 (रेई): संत पापा फ्राँसिस ने जीवन के लिए परमधर्मपीठीय अकादमी के तत्वधान में वाटिकन में, "जीवन के अंत" मुद्दे पर आयोजित विश्व मेडिकल संगठन के यूरोपीय क्षेत्रीय सभा को एक संदेश भेजा तथा कहा कि जब जीवन के अंत पर नई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है यह अत्यावश्यक है कि बीमारों को कभी न छोड़ा जाए।

 सभा में पृथ्वी पर जीवन के अंत के सवालों पर बहस किया जाएगा।

संत पापा ने कहा कि ये ऐसे सवाल हैं जिन्होंने मानवता को हमेशा चुनौती दी हैं किन्तु वे आज ज्ञान के विकास एवं नयी तकनीकी उपकरणों के आविष्कार के साथ नया रूप ले रहे हैं। मेडिकल विज्ञान में चिकित्सा की बढ़ती संभावनाएँ कई बीमारियों को दूर करने में सक्षम हैं तथा वे स्वास्थ्य के स्तर को बढ़ा रहे हैं एवं जीवन की अवधि को लम्बी कर रहे हैं। विज्ञान की इन संभावनाओं ने काफी सकारात्मक परिणाम प्रस्तुत किया है जिसको विगत दशकों में प्राप्त करना असंभव था। साथ ही साथ, चिकित्सकों की गुणवत्ता भी बढ़ गयी है किन्तु यह विकास हमेशा लाभदायक सिद्ध नहीं होता। यह बीमारी को दूर कर सकता है और उसके स्थान को भर सकता हैं किन्तु पूर्ण स्वास्थ्य को बढ़ावा नहीं दे सकता है। अतः संत पापा ने कहा कि आज विवेक की आवश्यकता है क्योंकि आज ऐसी चिकित्सा की ओर झुकाव बढ़ गया है जिसका प्रभाव शरीर पर गहरा पड़ता है और कई बार व्यक्ति को पूर्ण रूप से स्वस्थ भी नहीं कर सकता।  

संत पापा ने कहा, "ऐसी स्थिति से जुड़ी पीड़ा जो हमें मानव की नश्वरता की दहलीज पर लाती है तथा हमें कठिन निर्णय लेना पड़ता है, हमें रोगी से दूर कर सकता है। फिर भी, हम अपनी सीमाओं को स्वीकार करते हुए उनके साथ, सबसे बढ़कर अपना स्नेह, सामीप्य एवं एकात्मता प्रकट करने के लिए बुलाये गये हैं।"      

संत पापा ने इस बात को स्वीकार किया कि जटिल परिस्थितियों में सही निर्णय लेना कठिन है किन्तु इसके लिए नैतिक उद्देश्यों का सावधानी पूर्वक जाँच करना चाहिए एवं परिस्थितियों और इसमें जुड़े लोगों के मनोभवों का अवलोकन करना चाहिए।

संत पापा ने स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में बढ़ती असमानता की विधिगत प्रवृत्ति का मुद्दा भी उठाया, जहाँ विभिन्न महादेशों, विशेषकर, धनी देशों में स्वास्थ्य सेवा चिकित्सा की आवश्यकता से बढ़कर आर्थिक संसाधनों पर निर्भर करता है। 

संत पापा ने कहा कि इन संवेदनशील मुद्दों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि स्वीकृतिपूर्ण समाधान ढूँढ़ा जाए।

संत पापा ने सलाह दी कि एक ओर विश्व के दृष्टिकोणों, नैतिक प्रतिबद्धता एवं धार्मिक संबंधन को खुलापन एवं वार्ता के साथ ध्यान देने की आवश्यकता है, वहीं दूसरी ओर राष्ट्र उन लोगों की रक्षा करने की जिम्मेदारी से दूर नहीं हो सकता जो मौलिक गुणों की रक्षा करने में संलग्न हैं। संत पापा ने सबसे कमजोर लोगों और जरूरतमंदों पर खास ध्यान देने पर जोर दिया। 








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