वाटिकन सिटी, शुक्रवार,10 नवम्बर 2017 (रेई, वाटिकन रेडियो): रोम स्थित सन्त जोसफ को समर्पित यूक्रेन के परमधर्मपीठीय महाविद्यालय की 85 वीँ वर्षगाँठ पर सन्त पापा फ्राँसिस ने प्राध्यापकों, पुरोहितों एवं गुरुकुल छात्रों को एक सन्देश प्रेषित कर शांति की संस्कृति को सर्वत्र आरोपित करने का आह्वान किया।
सन्त जोसफ परमधर्मपीठीय महाविद्यालय की नींव 85 वर्षों पूर्व सन्त पापा पियुस 11 वें द्वारा रखी गई थी। सन्देश में सन्त पापा ने स्मरण दिलाया कि उक्त संस्था की स्थापना का उद्देश्य उत्पीड़न एवं प्रताड़ना के शिकार काथलिक विश्वासियों के प्रति सामीप्य एवं प्रेम प्रदर्शित करना था।
सन्त जोसफ परमधर्मपीठीय महाविद्यालय में अध्ययनरत गुरुकुल छात्रों को सन्त पापा फ्राँसिस ने आमंत्रित किया कि वे सन्त पापा पियुस के पदचिन्हों पर चल, काथलिक कलीसिया की सामाजिक धर्मशिक्षा में प्रशिक्षण प्राप्त कर स्वतः को अपने प्रेरितिक मिशन के लिये तैयार करें। उन्होंने कहा कि सन्त पापा पियुस 11वें ने "सदैव विश्वास, कलीसिया की स्वतंत्रता और मानव प्रतिष्ठा के पक्ष में अपनी आवाज़ उठाई थी तथा 20 वीं शताब्दी को रक्तरंजित करनेवाली नास्तिक एवं अमानवीय विचारधारा का खण्डन किया था।"
यूक्रेन राष्ट्र के सन्दर्भ में सन्त पापा ने कहा, "आज भी विश्व युद्धों एवं हिंसा के घावों से भरा है, जहाँ से आप आयें हैं तथा जहाँ आपको, रोम में अपने प्रशिक्षण के उपरान्त, लौटना है।"
ख्रीस्त के सुसमाचार के शब्दों को उद्धृत कर शांति की संस्कृति को समर्थन देते हुए सन्त पापा ने कहा, "यूक्रेन की ग्रीक काथलिक कलीसिया के पुरोहितों एवं गुरुकुल छात्रों ,आपको ये चुनौतियाँ आपकी पहुँच से परे प्रतीत हो सकती हैं, किन्तु हमें सन्त योहन रचित सुसमाचार के इन शब्दों को याद रखना चाहिये जिसमें लिखा है "युवा पुरुषों, मैंने आपको इसलिये लिखा है कि आप सुदृढ़ हैं तथा ईश्वर का वचन आपमें निवास करता है।"
सन्त पापा ने कहा कि सुसमाचारी प्रेम की उदघोषणा द्वारा वे उनके सिपुर्द किये गये समुदायों के यथार्थ मेषपाल बन सकते थे। उन्होंने कहा, "अपनी कलीसिया की परम्परा के अनुकूल, चाहें आप ब्रह्म्चर्य अथवा वैवाहिक जीवन व्यतीत करें, ईश वचन आपके हृदयों एवं आपके घरों को आलोकित करनेवाला दीप होगा।"
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