वाटिकन सिटी, बुधवार 08 नम्बर 2017 (रेई) संत पापा फ्राँसिस ने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में जमा हुए हज़ारों विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को “पवित्र यूखारिस्त” पर अपनी धर्मशिक्षा माला की शुरूआत करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो सुप्रभात।
आज हम एक नये विषय “पवित्र यूखारिस्त” पर अपनी धर्मशिक्षा माला की शुरूआत करते हैं जो कलीसिया का केन्द्र-विन्दु है। इसका अर्थ और उसके महत्व की समझ हम ख्रीस्तीयों के लिए अति महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके द्वारा हम ईश्वर से अपने संबंध की स्थापना और अधिक गहराई से करते हैं।
संत पापा ने कहा कि हम दो हजार वर्षों के इतिहास में विश्व के उन असंख्य ख्रीस्तीयों को नहीं भूल सकते हैं जिन्होंने पवित्र बलिदान के प्रति अपने समर्पित जीवन के कारण अपने प्राणों की आहूति दी है। आज भी हमारे कितने भाई-बहने हैं जो इसमें सहभागी होने हेतु अपने प्राणों को जोखिम में डालते हैं। सन् 306 ई. में डाइकलेटियन द्वारा धर्म सतावट के समय उत्तरी अफ्रीका में एक समुदाय के लोगों को मिस्सा बलिदान अर्पित करने के दौरान गिरफ्तार किया गया था। रोमन प्रशासक के द्वारा यह पूछे जाने पर कि इस प्रतिबंधित कार्य को उन्होंने क्यों किया, विश्वासी समुदाय के उत्तर दिया. “रविवारीय मिस्सा बलिदान के बिना हमारा जीवन अधूरा है।” उनके कहने का अर्थ यही था यदि हम मिस्सा बलिदान में सहभागी नहीं होते तो अपने को जीवित नहीं पाते, हमारा ख्रीस्तीय जीवन हमें मृतप्राय-सा लगता।
संत पापा ने कहा कि येसु ने अपने शिष्यों से कहा, “यदि तुम मानव पुत्र का मांस नहीं खाते और उसके रक्त का पान नहीं करते हो तो तुम्हें जीवन प्राप्त नहीं होगा। जो मेरा मांस खाता और मेरा रक्त पीता है उसे अनंत जीवन प्राप्त है मैं उसे अंतिम दिन पुनर्जीवित करूँगा। (यो.6.53-54)उन्होंने कहा कि उत्तरी अफ्रीका के वे ख्रीस्त मार डाले गये। अपनी शहादत में उन्होंने हमारे लिए यह साक्ष्य छोड़ा कि ख्रीस्त के बलिदान हेतु हम इस पृथ्वी पर अपने जीवन का परित्याग कर सकते हैं क्योंकि यह हमें अनंत जीवन प्रदान करता है, और हम इसके द्वारा येसु के मृत्यु पर विजयी होने के अंग बनते हैं। उन विश्वासियों के द्वारा दिया गया साक्ष्य हम सभों को अपने में सम्मिलित करता और हम प्रत्येक से एक उत्तर की माँग करता है कि येसु ख्रीस्त के बलिभोज में सहभागी होने का अर्थ हमारे लिए क्या है। क्या हम इसके द्वारा अपने लिए “जीवन झरने” की खोज करते हैं, जो हमें अनंत जीवन प्रदान करता हैॽ क्या यह हमारे लिए आध्यात्मिक बलि बनता जिसके द्वारा हम ईश्वर की स्तुति और उनका धन्यवाद करते हुए उनके शरीर के अंग बनते हैंॽ यूखारिस्त बलिदान का मूलभूत अर्थ “कृतज्ञता” है। इसके द्वारा हम पिता ईश्वर, पुत्र ईश्वर और पवित्र आत्मा ईश्वर को अपना धन्यवादी हृदय अर्पित करते हैं जो हमारे जीवन को अपने प्रेम से पोषित करते हैं।
संत पापा फ्रांसिस ने कहा की आगामी धर्म शिक्षा में मैं पवित्र मिस्सा बलिदान के कुछ सवालों का उत्तर प्रस्तुत करुंगा जो विश्वास के रहस्य में ईश्वर के प्रेम की अनुभूति से हम सबों को सराबोर कर देता है।
वाटिकन द्वितीय महासभा का मुख्य उद्देश्य ख्रीस्तीयों में विश्वास की समझ को एक गहराई प्रदान करते हुए येसु ख्रीस्त से मेल करना था। इसके लिए सर्वप्रथम पवित्र आत्मा के दिशा निर्देश में कलीसिया की धर्म विधि में नवीनीकरण की आवश्यकता थी क्योंकि कलीसिया इसके द्वारा जीवन को प्रोषित करती है। इस संदर्भ में धर्माचार्यों ने विश्वासी के लिए धर्मविधि की संरचना पर बल दिया जो सच्चे नवीनीकरण का एक अपरिहार्य अंग था। संत पापा ने कहा कि हमारी धर्मशिक्षा जिसका शुभारंभ आज हम कर रहे हैं इसका उद्देश्य, ईश्वर के द्वारा दिये गये उपहार पवित्र यूखारिस्त बलिदान के ज्ञान में बढ़ना है।
संत पापा ने कहा कि यूखारिस्त एक अति सुन्दर अवसर है जहाँ येसु ख्रीस्त जो हमारे जीवन के अंग हैं अपने को हमारे लिए प्रस्तुत करते हैं। मिस्सा में सहभागी होना, “ख्रीस्त के मुक्तिदायी दुःखभोग, मरण को अपने में पुनः एक बार जीना है।” यह ईश्वर का प्रकटीकरण है, जहाँ हम येसु को बलिबेदी में पिता को दुनिया की मुक्ति के लिए अपने को समर्पित करते हुए पाते हैं।
संत पापा ने कहा कि हम अपने आप से यह साधारण सवाल पूछें, मिस्सा के शुरू में क्रूस का चिन्ह और पश्चाताप की धर्मविधि क्यों होती हैॽ हम पाठों को क्यों सुनते हैंॽ मिस्सा बलिदान अर्पित कर रहा पुरोहित क्यों हमें प्रभु में मन लगने का आहृवान करते हैंॽ
उन्होंने कहा कि यह हमारे लिए अति महत्वपूर्ण है कि हम इनकी गहराई तक जायें और इन बातों की खोज करें कि यूखारिस्त धर्मविधि में किन-किन चीजों को देखते और संपन्न करते हैं। प्रेरित संत थोमस की बातें जहाँ वे येसु को देखने, उनकी घावों के निशानों को अपनी उंगलियों से स्पर्श करने की बात कहते हैं हमारे विश्वास में ईश्वर से मिलन की चाह को दिखलाता है। संत थोमस ने जिन बातों की चर्चा की वो हमारे लिए जरूरी हैं हमें मुक्तिदाता येसु को देखने, उनका स्पर्श करने और उन्हें पहचानने की जरूरत है। संस्कार हमारे लिए ईश्वर के प्रेम को व्यक्त करते हैं, विशेष रुप से पवित्र यूखारिस्त संस्कार द्वारा हमारा मिलन अपने ईश्वर से होता है।
संत पापा ने कहा कि इन धर्म शिक्षाओं के माध्यम से मैं पवित्र यूखारिस्त संस्कार के सुन्दर रहस्य को आप सभी के साथ साझा करने की चाह रखता हूँ जो हम प्रत्येक के जीवन को और भी अर्थपूर्ण बनायेगा। माता मरियम इस नये मार्ग में हम सभी के साथ रहे।
इतना कहने के बाद संत पापा फ्राँसिस ने अपनी धर्मशिक्षा माला समाप्त की और विश्व के विभिन्न देशों से आये सभी तीर्थयात्रियों और विश्वासियों का अभिवादन किया तथा सबों पर ईश्वर के प्रेम और खुशी की कामना करते हुए सभों को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।
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