2017-10-28 16:54:00

इतालवी सेकुलर संस्थानों के सम्मेलन को संत पापा का संदेश


वाटिकन सिटी, शनिवार, 28 अक्टूबर 2017 (रेई) : समर्पित जीवन की संस्थाओं के लिए बने संघ और प्रेरिताई जीवन संबंधी संघों के लिए बने परमधर्मपीठीय समिति के सहयोग से इतालवी सेकुलर संस्थानों के सम्मेलन द्वारा (28 और 29 अक्टूबर) दो दिवसीय सेमिनार का आयोजन अगस्तीनियम पैट्रिस्टिक इंस्टीट्यूट रोम में किया गया है। जिसका विषय है,″सेकुलर संस्थान : ईश्वर और दुनिया के लिए जुनून की कहानियाँ और भविष्यवाणियाँ।″

संत पापा फ्राँसिस ने इतालवी सेकुलर संस्थानों के सम्मेलन की 70वीं वर्षगाठ पर एकत्रित सम्मेलन के प्रतिभागियों को संबोधित अपने संदेश में कहा, ″आप सभी ″सेकुलर संस्थान: ईश्वर और दुनिया के लिए जुनून की कहानियाँ और भविष्यवाणियाँ।″ विषय पर विचार मंथन हेतु एकत्रित हुए हैं।″  

संत पापा पियूस बारहवें का अपोस्टोलिक संविधान ″प्रोविदा मातेर एक्लेसिया″ निश्चित रुप से क्राँतिकारी था जो लोकधर्मियों और धर्मप्रांतीय पुरोहितों को सुसमाचारी जीवन को जीने के लिए एक नये तरह के समर्पण हेतु मार्गदर्शन देता है। सेकुलर संस्थाओं की नवीनता लोकधर्मियों के जीवन और समर्पण जीवन के बीच संबंध जोड़ता है जिससे कि लोकधर्मी व्यक्तिगत जीवन और सामाजिक जीवन में ख्रीस्तीय प्रतिबद्धता विशेषकर भाईचारे का जीवन जी सकें। आप सभी पवित्र आत्मा से प्रेरित होकर उदारता के साथ येसु ख्रीस्त की गवाही देने हेतु बुलाये गये हैं। येसु के प्रेम से प्रेरित होकर आप, लोगों के जीवन में प्रवेश करने, उन्हें मदद करने और ईश्वर के प्रेम को बांटने का उत्तम रास्ता अपनाया है। दुनिया में आपका ‘होना’ केवल सामाजिक ही नहीं अपितु धार्मिक वास्तविकता है जो आपको दूसरों के प्रति सतर्क, दयालु, दूसरों को खुश रखने और दूसरों की जरुरतों को समझने का अवसर देती है। अतः आपकी बुलाहट और आपका मिशन एक तरफ आपके परिवेश, आपके चारों ओर हो रही घटनाओं के प्रति सतर्क रहने, उसकी गहराई और सच्चाई तक पहुँचाता है तथा दूसरी तरफ दैनिक कार्यकलापों और दिन प्रति दिन की धटनाओं में ईश्वर के रहस्य उनकी इच्छा और योजना को समझने तथा उसे अमल कराता है।

संत पापा ने कहा, ″आपके आध्यात्मिक जीवन की यात्रा के सहायतार्थ 5 क्रियाओं को करने का सुझाव देता हूँ, प्रार्थना करना, आत्मसात करना, साझा करना, साहस रखना और सहानुभूति रखना। प्रार्थना द्वारा आप ईश्वर से जुड़े रहें। उनकी आवाज सुनें। नियमित रुप से सुसमाचार का पाठ करें और उसे हमेशा अपने पास रखें जो सही और महत्वपूर्ण है उसे जानने के लिए हमेशा आत्मसात करें। मनन चिंतन को अपने जीवन का अंग बनायें। अपने जीवन के सुख-दुःख, कठिनाईयों और चुनौतियों को एक दूसरे के साथ साझा करें। आप साहस के साथ जीवन की हर परिस्थितियों का सामना करें और दूसरों के साथ सहानुभूति रखें। सहानुभूति का गुण ईश्वर की ओर से आता है जो आपको नमक और खमीर बनने के लिए प्रेरित करता है जिससे कि आप अपना जीवन दूसरों की भलाई के लिए समर्पित कर सकें। अंत में संत पापा ने सभी प्रतिभागियों को कलीसिया के कार्यों को साहस के साथ जारी रखने की शुभ कामनायें दीं।








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