2017-10-26 17:01:00

टीवी 2000 के एक कार्यक्रम में संत पापा ने ईश्वर की महानता प्रकट की


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 26 अक्तूबर 2017 (रेई): ईश्वर महान हैं वे महिमा के ईश्वर, वे हमारे साथ चलते हैं और जरूरत पड़ने पर वे आईसक्रीम भी देते हैं। उक्त बात संत पापा फ्राँसिस ने टीवी 2000 में, डॉन मार्को पोत्सा द्वारा संचालित कार्यक्रम ″हमारे पिता″ के प्रथम अंक में कही। बुधवार को प्रकाशित इस अंक में संत पापा ने अपने जीवन की उस घटना का जिक्र किया जब टॉन्सिल की सर्जरी के बाद उन्हें खाने के लिए तत्काल आईस्क्रीम दिया गया था।

इस कार्यक्रम के आरम्भ में संत पापा पादुवा के कैदखाने में नियुक्त युवा पुरोहित मार्को पोत्सा से वार्तालाप करते हैं। यह कार्यक्रम वाटिकन संचार सचिवालय एवं टीवी 2000 के संयुक्त पहल पर आरम्भ किया गया है जो नौ अंकों में हर बुधवार को प्रस्तुत किया जाएगा, जिसमें फादर मार्को, संस्कृति एवं मनोरंजन जगत में एक प्रसिद्ध व्यक्ति से भी मुलाकात करेंगे।

फादर मार्को के साथ बात करते हुए संत पापा ने कहा, ″स्वर्ग, ईश्वर की महानता का प्रतीक है उनके सर्वशक्तिमान होने का चिन्ह। वे प्रथम हैं, सबसे महान और उन्होंने ही हमें बनाया है। आकाश उनकी शक्ति, उनके प्रेम और सुन्दरता की प्रचुरता का बखान करता है किन्तु अब्राहम के ईश्वर जो अपने लोगों के पास आकर कहते हैं- उठो, मेरे सामने चलो, पाप मत करो, देखो, आगे बढ़ो, विश्वास करो, आशा बनाये रखो एवं कभी मत छोड़ो, यह उनका हमारे करीब होने का चिन्ह है। हम सिनाई पर्वत की याद करें, महिमा, प्रकाश, धुआँ और बादल हमें उनके प्रताप को दिखलाता है हालांकि यह समझना कठिन है। हम कह सकते हैं कि पिता जो स्वर्ग में हैं उनमें किसी को नीच दृष्टि से देखने की भावना नहीं है।

संत पापा ने कहा, ″मैं याद करता हूँ कि एक बार, जब मैं करीब पाँच-छः साल का था मेरे गले में टोन्सिल हो गया था और जिसका ऑपरेशन किया गया।″ संत पापा ने बतलाया कि वह ऑपरेशन बेहोशी के बगैर किया गया था। उन्हें ऑपरेशन के पूर्व आइसक्रीम दिखलाया गया जिसको उन्हें बाद में मिलने वाला था, फिर मुँह खोलने को कहा गया जब उसने मुँह खोला को डॉक्टर ने मुँह के अंदर हाथ डाला, वे डॉक्टर को देखते रह गये और मुँह बंद नहीं कर सके, तब डॉक्टर ने उनके टोन्सिल को कैंची से काट डाला। उसके तुरन्त बाद उन्हें आइस्क्रीम दिया गया इस तरह ऑपरेशन समाप्त हो गया।″ संत पापा ने बतलाया कि जब वे बाहर निकले तो दर्द के मारे बात भी नहीं कर सके और पिताजी ने तुरन्त एक टैक्सी बुलायी तथा उन्हें घर ले गये किन्तु जब वे घर पहुँचे तो पिताजी ने टैक्सी का भाड़ा चुकाया जिसने उन्हें विस्मित कर दिया। दो दिनों बाद जब वे बात करने लगे तो उनका पहला सवाल पिताजी से था कि उन्होंने उस व्यक्ति को पैसा क्यों दिया? पिता जी ने कहा, क्योंकि वह उसका टैक्सी था। एक बालक के रूप में संत पापा सोचते थे कि शहर में जितने भी कार थे वे सभी उनके पिताजी के थे। उन्होंने कहा कि बचपन का यह अनुभव उन्हें पिता के साथ उनके संबंध की महानता को समझने में मदद करता है और उनकी नजदीकी को भी। ईश्वर महान हैं वे महिमावान हैं किन्तु हमारे साथ चलते तथा जरूरत पड़ने पर आइस्क्रीम भी देते 








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