2017-10-24 15:25:00

संत पापा ने तेल अविव विश्वविद्यालय के प्रतिनिधियों से मुलाकात की


वाटिकन सिटी, मंगलवार, 24 अक्टूबर 2017 (वीआर अंग्रेजी): संत पापा फ्राँसिस ने सोमवार को तेल अवीव विश्वविद्यालय के एक प्रतिनिधि मंडल से मुलाकात की तथा उन्हें प्रज्ञा की एक ऐसी संस्कृति के विकास पर जोर दिया जो भावी नेताओं को इस तरह प्रशिक्षित कर सके कि वे हमारे समाज द्वारा जूझ रहे गहरे नैतिक मुद्दों के प्रति संवेदनशील हो सकें।

संत पापा ने उन्हें संबोधित कर कहा, ″मैं युवाओं की शिक्षा में आपकी प्रतिबद्धता की सराहना करता हूँ जो समाज के वर्तमान एवं भविष्य को दर्शाते हैं। शिक्षण कार्य महत्वपूर्ण है जो महान अंतर्दृष्टि और कुशलता की मांग करता है क्योंकि यह व्यक्ति को पूरी तरह प्रशिक्षित करना चाहता है। इस महान सेवा को आगे ले जाना पेशेवर और तकनीकी ज्ञान तथा विशिष्टता तलब करता है किन्तु साथ ही साथ इसमें सहानुभूति और संवेदनशीलता की भी आवश्यकता है ताकि विद्यार्थियों के साथ वार्ता एवं उनके प्रशिक्षण को बढ़ावा दिया जा सके और उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में भावी विशेषज्ञ बनने में मदद दिया जा सके।″   

इसके चंद शब्दों में यों कहा जा सकता है कि ज्ञान एवं प्रज्ञा में एक साथ बढ़ना। बाईबिल के संदर्भ में प्रज्ञा हमसे अनुभवजन्य वास्तविकताओं से परे जाने का आग्रह करता है ताकि उनके असल अर्थ की खोज की जा सके। विश्वविद्यालयों को चुनौती दी जाती है कि वे प्रज्ञा की संस्कृति को बढ़ावा दें, जिससे कि व्यक्ति मानवीय दृष्टिकोण के साथ-साथ तकनीकी एवं वैज्ञानिक अनुसंधान के बीच सामंजस्य ला सके, इस विश्वास से कि सच्चे और अच्छे का लक्ष्य अंततः एक है।

संत पापा ने कहा कि हमारे विश्व को तत्काल प्रज्ञा की संस्कृति के विकास की आवश्यकता है। हमें ऐसे नेताओं को बढ़ाने की जरूरत है जो आज की आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु भावी पीढ़ी के प्रति पूर्वाग्रह की भावना रखे बिना नये उपायों को खोज सकें। संत पापा ने आशा व्यक्त की कि तेल अवीव विश्वविद्यालय इस कार्य को बखूबी निभायेगा एवं ऐसे नेताओं के निर्माण में अपना योगदान देगा जो गहरे नैतिक मुद्दों के प्रति संवेदनशील होते हुए सबसे कमजोर वर्ग की सुरक्षा एवं सेवा की आवश्यकता महसूस कर सकेगा क्योंकि समस्त मानव विकास की सेवा द्वारा ही विज्ञान एवं कला अपने पूर्ण प्रतिष्ठा को व्यक्त कर सकते हैं। 








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