2017-10-23 16:54:00

मिशनरी काम हर एक के साथ शुरू होता है, कार्डिनल फिलोनी


वाटिकन सिटी, सोमवार 23 अक्टूबर 2017( सीएनए) : विश्व मिशन दिवस के अवसर पर एक प्रेस कोंन्फ्रेंस में कार्डिनल फेरनांदो फिलोनी ने संवाददाताओं से मिशनरी कार्यों की महत्ता पर जोर देते हुए कहा कि यह ईसाई धर्म का एक आवश्यक पहलू है और यह हम में से प्रत्येक के साथ शुरू होना चाहिए।

"ख्रीस्तीय विश्वास में एक नाड़ी है जो शरीर को जीवन देता है यदि नाड़ी बंद हो जाती है, तो हम संकट में प्रवेश करते हैं। ख्रीस्तीय विश्वास की नाड़ी है मिशनरी कार्य और यह नाड़ी भी हम प्रत्येक से शुरु होती है।"

सुसमाचार प्रचार हेतु परमधर्मपीठीय सम्मेलन के अध्यक्ष कार्डिनल फिलोनी इस बात पर जोर दिया कि सभी काथलिक मिशनरी बनने के लिए बुलाये गये हैं न केवल धर्मसंधी पुरुष और महिलाएं और पुरोहित, बल्कि युवा और सभी लोकधर्मी भी।

कार्डिनल फिलोनी ने मिशनरियों के रक्षक संतों का उदाहरण देते हुए कहा कि संत फ्राँसिस जेवियर और बालक येसु की संत तेरेसा दोनों मिशनरी थे लेकिन दोनों के मिश्नरी जीवन जीने का तरीका एकदम अलग था।

संत फ्राँसिस जेवियर सुसमाचार प्रचार के लिए भारत और जापान की यात्रा की जबकि संत तेरेसा अपने मठ की चारदिवारी में ही रहीं, फिर भी दोनों महान मिशनरियों के मिशनरी कार्य करने का अपना तरीका था।

कार्डिनल फिलोनी ने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि किसी दिन हमें तीसरे मिशनरी रक्षक संत के रुप में धन्य पौलिन-मेरी जारिकोट एक लोकधर्मी महिला मिलेगी जिन्होंने 19वीं सदी में विश्वास के प्रचार हेतु सोसाइटी की स्थापना की। "जारिकोट एक ऐसी महिला थी जिसने मिशनरी जीवन में लोकधर्मियों की भूमिका को पहचाना और मिशनरी कार्यों को निभाया और मिशन की सफलता के लिए प्रार्थना की।″

सबसे पहले उन्होंने मिशनरियों के लिए  "प्रार्थना का मुकुट" नामक ‘प्रार्थना की कड़ी’ की पहल की। उन्हें पता था कि मिशनरियों को समाज में कठिन परिस्थितियों और जोखिमों का सामना करना पड़ता है। वे प्रार्थना के नेटवर्क के बिना जीवित नहीं रह सकते।








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