2017-10-17 17:31:00

कंधमाल के सात निर्दोष अभियुक्तों के लिए प्रार्थना अभियान की शुरूआत


कोची, मंगलवार, 17 अक्तूबर 2017 (ऊकान): कंधमाल मामले में दोषी ठहराए गए सात 'निर्दोष' ईसाइयों के लिए प्रार्थना करने तथा उन्हें नौ सालों तक जेल में रखे जाने के कारण उनकी रिहाई हेतु 15 अक्टूबर को कोच्चि में एक सम्मेलन आयोजित किया गया जिसका शीर्षक था, 'कंधमाल में क्या हुआ था?'

कंधमाल के निर्दोष लोगों के लिए न्याय हेतु अभियान चलाते हुए पत्रकार अंटो अक्कारा के साथ, जीसस यूथ प्रोफेशनल मंच के छह प्रतिभागी जो सफेद कमीज पहने हुए थे, डिजिटल स्क्रीन के चारों ओर प्रार्थना के पोस्टर को पकड़ रखा था, प्रार्थना के साथ-साथ उसमें मलयालम एवं अंग्रेजी में दोषी ठहराये गये सात लोगों के बारे दिखलाया जा रहा था।

पत्रकार अककारा ने कहा, ″विश्वास को कार्य में प्रकट होना चाहिए। प्रत्येक ख्रीस्तीय का कर्तव्य है कि वह अपनी आवाज ऊँची करे तथा उन सात निर्दोष लोगों के लिए प्रार्थना करे जो नौ सालों से जेल में बंद हैं।″ 

पत्रकार ने अपनी एक किताब ″हू किल्ड स्वामी लक्ष्मानन्दा?″ में उन ख्रीस्तीयों की निर्दोषता साबित की है। उन निर्दोष ख्रीस्तीयों में से छः अनपढ़ हैं जिनपर 23 अगस्त 2008 में उड़ीसा के कंधमाल में स्वामी लक्ष्मानन्दा स्वामी की हत्या का आरोप लगाकर गिरफ्तार किया गया था। उनपर 2013 में आरोप लगाया गया कि उन्होंने एक ईसाई साजिश के तहत उनकी हत्या की है।

हिन्दू नेता के रहस्यात्मक हत्या के बाद हिन्दूओं के एक विद्रोही दल ने करीब 100 ख्रीस्तीयों को मृत्यु के घाट उतारा, करीब 300 गिरजाघरों को जलाया एवं ख्रीस्तीयों के 6000 से अधिक घरों को जला दिया था। हिन्दूओं के उस हिंसक दल में अधिकतर लोग अशिक्षित थे जिन्हें हिन्दू नेता की हत्या का बदला लेने के लिए उकसाया गया था।  

निचली अदालत के तीसरे न्यायाधीश ने दो न्यायाधीशों के स्थानांतरित होने के बाद अभियुक्तों को एक मनगढ़ंत ईसाई साजिश के आधार पर आरोपी ईसाइयों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी, हालांकि अदालत के सामने कोई विश्वसनीय प्रमाण नहीं मिला था।

अक्कारा ने कहा, ″ख्रीस्त ने हमें सच्चाई का साक्ष्य देने की शिक्षा दी है, आवाजहीनों के लिए आवाज उठाने की जबकि निर्दोष जेल में बंद रखे गये हैं। कंधमाल धोखाधड़ी के पीछे अभियोजन पक्ष, उच्च कार्यालयों में लोकतंत्र का मजाक उड़ा रहे हैं।″








All the contents on this site are copyrighted ©.