प्रिय हिंदू मित्रो,
परमधर्मपीठीय अन्तरधार्मिक परिसम्वाद परिषद की ओर से, हम सहृदय आप सब को, 19 अक्टूबर को मनाये जानेवाले दीपावली महापर्व की शुभकामनाएँ अर्पित करते हैं। दीपों का यह महोत्सव आपके मनोमस्तिष्क और जीवन को आलोकित करे, आपके दिलों और घरों में हर्षोल्लास लाये तथा आपके परिवारों एवं समुदायों को सुदृढ़ करे।
वस्तुतः, समस्त विश्व में हो रही असंख्य अद्भुत घटनाओं को हम स्वीकार करते हैं और उनके लिये आभारी हैं। साथ ही हम उन कठिनाइयों से भी परिचित हैं जिनका सामना हमारे समुदायों को करना पड़ता है और जिनके बारे हम अत्यधिक चिन्तित हैं। असहिष्णुता की वृद्धि और विश्व के कई हिस्सों में अनवरत पनपती हिंसा, एक ऐसी चुनौती है जिसका सामना हम आज कर रहे हैं। इसीलिये, इस शुभअवसर पर, हम, ख्रीस्तीय एवं हिन्दू धर्मानुयायी, किस प्रकार एक साथ मिलकर लोगों के बीच परस्पर सम्मान को प्रोत्साहित कर सकते हैं – तथा, प्रत्येक समाज में, और अधिक शांतिपूर्ण एवं सामंजस्यपूर्ण युग के सूत्रपात हेतु सहिष्णुता के परे जा सकते हैं, विषय पर चिन्तन करना चाहते हैं।
निश्चित रूप से, सहिष्णुता का अर्थ, हमारे बीच अन्यों की उपस्थिति को पहचानते हुए, उनके साथ उदार एवं धैर्यवान बने रहना होता है। हालांकि, यदि हम स्थायी शांति एवं यथार्थ सामंजस्य के लिये काम करना चाहते हैं तो सहिष्णुता मात्र पर्याप्त नहीं होती। सहिष्णुता के अतिरिक्त, हमारे अपने समुदायों की संस्कृतियों एवं रीति-रिवाज़ों की विविधता के प्रति यथार्थ सम्मान और क़दरदानी की भी नितान्त आवश्यकता है, जो सम्पूर्ण समाज के स्वास्थ्य एवं उसकी एकता में योगदान प्रदान करते हैं। बहुलवाद एवं विविधता को एकता के लिये ख़तरा मानने की मानसिकता, दुखद रूप से, असहिष्णुता एवं हिंसा की ओर अग्रसर करती है।
अन्यों के प्रति सम्मान असहिष्णुता का एक महत्वपूर्ण प्रतिकारक है क्योंकि यह मानव व्यक्ति एवं उसमें अन्तरनिर्हित गरिमा की यथार्थ गुण पहचान का परिचायक है। समाज के प्रति अपने कर्तव्य के सन्दर्भ में, इस तरह के सम्मान को बढ़ावा देने का आशय विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक तथा धार्मिक रीति-रिवाजों एवं प्रथाओं के प्रति सम्मान की वृद्धि करना होता है। इसी प्रकार, यह जीवन के अधिकार तथा अपनी पसन्द के धर्म की अभिव्यक्ति एवं पालन के अलंघनीय अधिकारों को मान्यता प्रदान करने की भी मांग करता है।
अस्तु, विभिन्न समुदायों के आगे बढ़ने का रास्ता सम्मान से चिह्नित रास्ता ही है। एक ओर जहाँ सहिष्णुता केवल दूसरों की सुरक्षा करती है वहीं दूसरी ओर सम्मान इससे भी आगे तक जाता हैः सम्मान सब के लिये शांति, सहअस्तित्व एवं सामंजस्य का पक्षधर है। सम्मान प्रत्येक व्यक्ति के लिए जगह बनाता और हमारे भीतर अन्य लोगों के संग सहजता की अनुभूति को पोषित करता है। विभाजित एवं पृथक करने के बजाय सम्मान हमें अपने मतभेदों को एक मानव परिवार की विविधता और समृद्धि के संकेत के रूप में देखने के लिये उत्प्रेरित करता है। इस प्रकार, जैसा कि सन्त पापा फ्राँसिस ने इंगित किया है, "विविधता अब ख़तरे के रूप में नहीं बल्कि संवृद्धि के स्रोत के रूप में देखी जाती है" (कोलोम्बो अन्तरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर सम्बोधन, 13 जनवरी, 2015)। एक अन्य अवसर पर, सन्त पापा फ्राँसिस ने धार्मिक नेताओं और विश्वासियों से आग्रह किया था कि वे "मतभेदों को स्वीकार करने का साहस रखें क्योंकि जो लोग, सांस्कृतिक अथवा धार्मिक रूप से भिन्न होते हैं उन्हें शत्रु के रूप में न तो देखा जाना चाहिये और न ही उनके साथ ऐसा व्यवहार किया जाना चाहिये बल्कि यह दृढ़ विश्वास रखते हुए कि प्रत्येक की भलाई में ही सबकी भलाई है, सहयात्रियों के रूप में उनका स्वागत किया जाना चाहिये" (अन्तरराष्ट्रीय शांति सम्मेलन के प्रतिभागियों को सम्बोधन, अल-अज़हर कॉनफ्रेन्स सेन्टर, काहिरा, मिस्र, 28 अप्रैल, 2017)।
हमारे समक्ष चुनौती है कि हम सभी व्यक्तियों और समुदायों के प्रति सम्मान दिखाते हुए सहिष्णुता के दायरे से परे जायें क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति की इच्छा और उसका अधिकार होता है कि उसकी सहजात प्रतिष्ठा के अनुकूल उसका मूल्यांकन किया जाये। यह सम्मान की यथार्थ संस्कृति के निर्माण का आह्वान करता है, ऐसी संस्कृति जो संघर्ष का समाधान ढूँढ़ने, शांति निर्माण करने तथा सामंजस्यपूर्ण जीवन यापन को प्रोत्साहित करने में सक्षम हो।
अतः आइये, हम, ख्रीस्तीय एवं हिन्दू धर्मानुयायी, अपनी-अपनी आध्यात्मिक परम्पराओं में मूलबद्ध होकर तथा एकता एवं सभी लोगों के कल्याण हेतु अपनी साझा चिन्ता को दर्शाते हुए, अन्य विश्वासियों एवं शुभचिन्तकों के साथ मिलकर, अपने-अपने समुदायों एवं परिवारों में, अपनी धर्मशिक्षाओं एवं संचार मीडिया के माध्यम से हर व्यक्ति के प्रति सम्मान को प्रोत्साहित करें, विशेष रूप से, हमारे बीच रहनेवाले उन लोगों के प्रति जिनकी संस्कृतियाँ एवं विश्वास हमारे अपने से भिन्न हैं। इस प्रकार, हम एक सामंजस्यपूर्ण और शांतिपूर्ण समाज के निर्माण हेतु सहिष्णुता के परे आगे बढ़ सकेंगे, जहाँ सभी का सम्मान किया जाता हो तथा सभी को, उनके अपने अनूठे योगदान द्वारा, मानव परिवार की एकता के लिये प्रोत्साहित किया जाता हो।
एक बार फिर, हम, आपको दीपावली महोत्सव की शुभकामनाएँ अर्पित करते हैं!
कार्डिनल जाँ लूई तौराँ
अध्यक्ष
+ मिगेल आन्गेल अयुसो गिक्सो, एमसीसीजे सचिव
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