2017-10-09 16:44:00

संत पापा द्वारा बांग्लादेश की यात्रा लोगों को ईश्वरीय कृपा का अनुभव कराएगा, कार्डिनल डी’रोजारियो


वाटिकन सिटी, सोमवार, 9 अक्टूबर 2017 (एशिया न्यूज) : संत पापा फ्राँसिस की बांग्लादेश की आगामी प्रेरितिक यात्रा के बारे में बांग्लादेश के कार्डिनल पैट्रिक डी-रोजारियो का मानना है कि संत पापा की यह यात्रा बांग्लादेश की कलीसिया के लिए ईश्वर की विशेष कृपा का सच्चा अनुभव होगा। संत पापा फ्राँसिस के साथ लोगों का सीधा संपर्क होगा।  

‎28 अगस्त को वाटिकन ने घोषणा की कि संत पापा फ्राँसिस एशिया के दो राष्ट्रों की प्रेरितिक यात्रा करेंगे। 27 से 30 नवम्बर तक म्यांमार की प्रेरितिक यात्रा के बाद वे बांग्लादेश के लिए प्रस्थान करेंगे और 30 से 2 दिसम्बर तक बांग्लादेश प्रेरितिक यात्रा करेंगे।

लोगों के साथ संत पापा का संपर्क

 बांग्लादेश के पहले कार्डिनल ने एशियान्यूज से कहा कि संत पापा की यह यात्रा लोगों को उन्हें प्रत्यक्ष देखने, उनके साथ रहने, उन्हें छूने और एक ही जमीन पर खड़े होने का अवसर प्रदान करेगा। एसा लगता है कि संत पापा से मुलाकात कर व्यक्तिगत रुप से अनुभव करना देश की छोटे ख्रीस्तीय समुदाय की तत्काल आवश्यकता का उत्तर है।  संत पापा की बांग्लादेश की यात्रा दुनिया के "दूर-दराज क्षेत्रों में जाने" की अपनी इच्छा का एक ठोस अभिव्यक्ति है।

कार्डिनल ने कहा कि बांग्लादेश में शरण लेने के लिए म्यांमार के अल्पसंख्यक रोहिंग्या मुसलमानों के संबंध में संत पापा बांग्लादेश की सरकार को शरण देने हेतु प्रशंसा करते हैं परंतु अभी तक कुछ कहा नहीं जा सकता कि वे शिविर में रहनेवाले रोहिंग्या मुसलमानों से मिलेंगे।

परमधर्मपीठ और बांग्लादेश के बीच संबंध

कार्डिनल डी'रोजारियो ने कहा कि वाटिकन और बांग्लादेश ने बांग्लादेश की स्वतंत्रता के एक वर्ष के भीतर 1971 में राजनयिक संबंध स्थापित किए थे। तब से, मुख्य रूप से मानवीय हितों और आध्यात्मिक मूल्यों पर आधारित संबंध बढ़े हैं।

उन्होंने कहा कि सन् 2016 के शुरु में ही बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना और बांग्लादेश की काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन ने औपचारिक तौर पर संत पापा के देश में आने हेतु आमंत्रित किया था।

30 नवम्बर से 2 दिसम्बर तक संत पापा फ्राँसिस के लिए बांग्लादेश की पहली यात्रा होगी। 31 वर्ष पहले नवम्बर 1986 में संत पापा जोन पॉल द्वितीय ने प्रेरितिक यात्रा की थी और इसके पहले धन्य पापा पौल छठे ने 27 नवम्बर 1970 में देक्का (वर्तमान में ढ़ाका) हवाईअड्डे पर कुछ समय के लिए रुके थे। उस समय बांग्लादेश पाकिस्तान का हिस्सा था।








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