वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 6 अक्टूबर 2017 (रेई-वाटिकन रेडियो): रोम में अपनी दो दिवसीय आम सभा से पूर्व "जीवन सम्बन्धी परमधर्मपीठीय अकादमी" के सदस्यों ने गुरुवार को वाटिकन में सन्त पापा फ्राँसिस का साक्षात्कार कर उनका सन्देश सुना। इस अवसर पर सन्त पापा ने अनैतिक भौतिक वाद से मानव प्रतिष्ठा की सुरक्षा का आह्वान किया।
उन्होंने कहा, "ऐसे "अनैतिक भौतिकवाद" के समक्ष चुप नहीं रहा जा सकता जो अर्थव्यवस्था और प्रौद्योगिकी के बीच गठबंधन को दर्शाता तथा जीवन को एक ऐसे संसाधन के रूप में देखता है जिसका शोषण किया जा सकता और लाभ उठा लेने के बाद फेंक दिया जा सकता है। सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा, "दुर्भाग्यवश, विश्व के तमाम स्त्री, पुरुष और बच्चे इस "तकनीकी भौतिकवाद" के "भ्रामक वादों" की कटुता एवं दर्द का सामना कर रहे हैं।"
रोम में 05 एवं 06 अक्टूबर को जारी दो दिवसीय कार्य शिविर के दौरान "जीवन सम्बन्धी परमधर्मपीठीय अकादमी" के सदस्य "तकनीकी युग में नवीन ज़िम्मेदारियाँ" विषय पर विशद-विचार विमर्श कर रहे हैं।
जैव विज्ञान के क्षेत्र में हुई तकनीकी प्रगति तथा जीवन में व्यापक हेरफेर करने की, जैव प्रौद्योगिकी में निहित, अपार शक्ति के समक्ष सन्त पापा फ्राँसिस ने ऐसे व्यवहार का आग्रह किया कि जो मानव व्यक्ति तथा जीवन के मूल्य एवं उसके अर्थ की गरिमा के अनुरूप हो।
सन्त पापा फ्राँसिस ने इस बात की ओर ध्यान आकर्षित कराया कि "तकनीकी भौतिकवाद" ने जनकल्याण के कई वादे किये थे किन्तु इसके परिणाम विपरीत रहे हैं और बाज़ार एवं अर्थव्यवस्था के विस्तार ने ग़रीबी दूर करने के बजाय और अधिक निर्धनता, संघर्ष, अपशिष्ट एवं परित्याग तथा असन्तोष एवं निराशा के क्षेत्र का विस्तार किया है। इसके बजाय, उन्होंने कहा, "यथार्थ वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति को और अधिक मानवीय नीतियों को प्रेरित करना चाहिए।"
बाईबिल धर्मग्रन्थ में निहित सृष्टि एवं मानव की रचना के वृतान्त पर चिन्तन का सन्त पापा ने आग्रह किया और कहा कि यह ईश्वर के प्रेम का ही परिणाम है जिन्होंने पूर्ण मानव गरिमा सहित स्त्री और पुरुष की रचना की। इस सन्दर्भ में उन्होंने दोनों लिंगों के बीच विद्यमान अन्तर को हटा देने की कोशिशों का भी खण्डन किया और कहा कि सृष्टि के विधान के विरुद्ध जाने से ही मनुष्य को कष्ट और पीड़ा सहनी पड़ती है।
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