2017-10-05 17:59:00

संत पापा फ्राँसिस का खालदेई कलीसिया के सदस्यों को संबोधन


वाटिकन सिटी, गुरुवार, 05 अक्टूबर 2017 (रेई) संत पापा फ्राँसिस ने खलदेई कलीसिया के सदस्यों को उनकी धर्मसभा के अवसर पर संबोधित किया।

संत पापा ने कहा कि यदि किसी देश के इतिहास में दुःखद घटनाओं का अंत हुआ है तो हमें इस बात को याद करने की आवश्यकता है कि हमें अपने देश के लिए  बहुत-सी चीज़ें करनी हैं। मैं आप से आग्रह करता हूँ कि आप सर्वप्रथम खलदेई कलीसिया के प्रेरितों के अलावे अन्य कलीसिया के प्रेरितों के बीच एकता स्थापना हेतु कार्य करें। आप समाज के निर्माताओं को वार्ता और आपसी सहयोग हेतु प्रोत्साहित करते हुए उनकी सहायता करें जिससे वे विस्थापितों को पुनःस्थापित कर सकें और आपसी विभाजन की स्थिति में मेल-मिलाप को बढ़ावा दे सकें। ईराक के संदर्भ में यह समर्पण पहले की तुलना में अभी और भी अधिक जरूरी है जिससे भविष्य की अनिश्चिताओं का सामना किया जा सके।

मेल-मिलाप एक प्रक्रिया है और इसके लिए समाज के सभी लोगों को एक साथ मिलकर कार्य करने की जरूरत है जिससे हम देश की भलाई हेतु समस्याओं का समाधान निकाल सकें। संत पापा ने कहा कि आप के पास बौद्धिक शक्ति, आशा और कार्याकर्ताओं की कमी नहीं है आप इसका उचित उपयोग कर सकते हैं, बशर्ते कि आप मुसीबतों से निराश न हो।

उन्होंने कहा कि प्राचीन समय से ही आप का देश प्रेरित संत थोमस की रीति अनुसार सुसमाचार की घोषणा करता आ रहा है जो विश्व से लिए एक सभ्यता, मिलन और वार्ता की मिसाल रही है। यह हमारे लिए अति महत्वपूर्ण है कि हम सभी ख्रीस्तीय, धर्मप्रचारक और विश्वासी जो अपने विश्वास में मजबूत हैं, अन्तरधार्मिक वार्ता पर बल देते हुए देश के अन्य नागरिकों के संग एक सम्मानजनक संबंध स्थापित करने की पहल करें।

बुलाहटीय जीवन के बारे में संत पापा ने कहा कि धर्मसमाजियों की कमी के कारण कलीसिया के कार्य प्रभावित होते हैं अतः उनका परित्याग करें जिन्हें ईश्वरीय बुलाहट नहीं मिली है साथ ही धर्मसमाजी जीवन को अंगीकृत करने के पूर्व युवाओं का उचित निरीक्षण हो।

पुरोहित और गुरुकुल के प्रशिक्षु आपकी निकटता का एहसास करें क्योंकि उनका प्रशिक्षण एक महत्वपूर्ण पड़ाव है जहाँ वे मानवता के संदर्भ में आध्यात्मिक, प्रेरिताई, और अपने बौद्धिक जीवन का चहुँमुखी विकास करते हैं। संत पापा ने कहा कि मैं आप से और लातीनी रीति की कलीसिया से भी यह निवेदन करता हूँ कि आप प्रवासी कलीसियाई समुदायों का संख्यात्मक और धार्मिक स्वतंत्रता के आधार पर खास ध्यान दें।

उन्होंने कहा कि हमारे प्रेरितिक कार्य का निष्पादन द्वितीय वाटिकन महासभा की माँग के अनुरूप संचालित हो जिससे हम एक-दूसरे का सम्मान कर सकें और अपने बीच के विभाजनों तथा आपसी असहमतियों को कम करते हुए विश्वास का साक्ष्य दे सकें। अन्तर कलीसियाई और अन्तर धार्मिक वार्ता हमारे समुदायों का अंग बने जिससे हम अपने संगठनों और पूर्वी रीति की कलीसियाओं को मदद कर सकें।

अपने संबोधन के अंत में संत पापा ने अपनी शुभकामनाएँ अर्पित करते हुए कहा कि ईश्वर की कृपा आप सभों के साथ रहे जिससे युद्ध के घाव जो आप के हृदयों में है चंगाई प्राप्त करे। आप की यह धर्मसभा भले चरवाहे की देखरेख में संपन्न हो जिससे आप खलदेई कलीसिया हेतु प्रेम और ईश्वरीय कृपा का स्रोत बन सकें। 








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