2017-10-04 17:00:00

काथलिक अधिकारियों के लिए ख्रीस्तीय स्कूलों पर हमला एक रणनीति


उत्तर प्रदेश, बुधवार, 4 अक्तूबर 2017 (ऊकान): कलीसिया के धर्मगुरूओं ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में एक छात्र की आत्महत्या के बाद काथलिक स्कूल पर हुआ हालिया हमला, देश में ईसाई मिशनरियों को कलंकित करने की योजना के तहत की गयी हिंसा की नवीनतम मिसाल है।

15 सितम्बर को 11 वर्षीय एक बच्चे की आत्महत्या के बाद गोरखपुर के संत अंतोनी कॉन्वेंट स्कूल पर एक उत्तेजित भीड़ ने हमला किया था। आत्महत्या करने वाले लड़के ने एक चिट्ठी रख छोड़ी थी जिसमें लिखा था कि उसने यह कदम अपने एक गुरूजी के उत्पीड़न के कारण लिया। जानकारी के अनुसार एक उत्तेजित भीड़ द्वारा पत्थर फेंके जाने और स्कूल की संपत्ति को क्षतिग्रस्त करने के बाद पुलिस ने शिक्षक को गिरफ्तार किया।

जबलपुर के धर्माध्यक्ष जेराल्ड अलमेईडा ने कहा, ″यह पहली घटना नहीं है। उत्तर भारत में जहाँ ख्रीस्तीय अल्पसंख्यक हैं, ख्रीस्तीय स्कूलों को हिंसक भीड़ द्वारा अकसर हमला हेतु निशाना बनाया जाता रहा है।″   

उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ में कई स्कूलों एवं मिशनरियों पर हाल में हमले हुए हैं। ये हमले हिंदू राष्ट्रवादी समूहों द्वारा एक संगठित अभियान का हिस्सा हैं, जिसमें ईसाईयों की छवि को धूमिल करना तथा मिशनरियों के खिलाफ झूठा आरोप लगाया जाना शामिल है। इन राज्यों में ईसाईयों की संख्या बहुत कम है। भारत में जहाँ कुल आबादी 1.25 अरब है ईसाईयों की संख्या 2.3 प्रतिशत ही है।

धर्माध्यक्ष ने कहा कि हम हमेशा देहातों में बच्चों को गुणवत्तावूर्ण एवं सस्ती दर पर शिक्षा प्रदान करने का प्रयास करते हैं, वहीं शहरों में गरीब और सामाजिक रूप से कमजोर तबक़े के लोगों पर अधिक ध्यान देने की कोशिश करते हैं किन्तु कई हिन्दू दल नीच जाति के लोगों को शिक्षा देने एवं उन्हें समाज के उच्च वर्ग के बराबर शिक्षा देने का विरोध करते हैं।

हिन्दू समूह, जो भारत को एक हिन्दू राष्ट्र बनाने के लिए काम कर रहा है, जाति वर्चस्व स्थापित करना चाहता है। वे ईसाई मिशनरियों की छवि को धूमिल करने और लोगों को ईसाइयों से दूर करने एवं मिशनरियों को डराने के लिए ईसाई संस्थाओं पर हमला करते हैं।








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