वाटिकन सिटी, मंगलवार, 3 अक्तूबर 2017 (रेई): संत पापा फ्राँसिस ने ख्रीस्तीयों को निमंत्रण दिया कि वे येसु का अनुसरण करने हेतु साहस और बल पाने के लिए प्रार्थना करें।
संत पापा ने प्रवचन में संत लूकस रचित सुसमाचार से लिए गये पाठ पर चिंतन करते हुए कहा, ″अपने स्वर्गारोहन का समय निकट आने पर ईसा ने येरूसालेम जाने का निश्चय किया।″ यह येसु के दुखभोग एवं क्रूस पर चढ़ाये जाने के कुछ ही दिनों पूर्व की घटना थी।
संत पापा ने कहा कि येसु ने दो चीजें कीं – पहली कि उन्होंने चलने का पक्का निश्चय किया और पिता की इच्छा को स्वीकार किया, दूसरी, उन्होंने इसकी घोषणा अपने शिष्यों के बीच की।
संत पापा ने याद किया कि जैतून की उद्यान में येसु ने पिता से प्रार्थना करते हुए कहा था कि पिता यदि हो सके तो यह प्याला मुझसे हटा ले किन्तु मेरी नहीं तेरी इच्छा पूरी हो। उन्होंने कहा कि पिता निर्णयात्मक और आज्ञाकारिता पसंद करते हैं अतः येसु अंत तक धीर बने रहे, वे न केवल क्रूस पर दुःख सहकर मरे किन्तु वे धीरज के साथ चले भी।
इस निर्णय के पूर्व, येरूसालेम की यात्रा करने एवं क्रूस पर उठाये जाने से पहले शिष्यों ने उन्हें रोकने की कोशिश की। शिष्य कई बार उन्हें नहीं समझ पाते थे क्योंकि वे भयभीत थे अथवा सच्चाई को स्वीकार करना नहीं चाहते थे या मन को भटकाने का प्रयास करते थे जैसा कि आज के सुसमाचार में कहा गया है, शिष्यों ने लोगों को हानि पहुँचाने की बात सोची, जब लोग येसु का स्वागत करने से इंकार किये, इस प्रकार, उन्होंने प्रभु के विपरीत विचार किया।
इस तरह येसु के निर्णय का साथ किसी ने नहीं दिया क्योंकि उनके रहस्य को कोई नहीं समझ पाया और येसु अकेले ही येरूसालेम में प्रवेश किये, इतना ही नहीं अंत में पेत्रुस ने उन्हें अस्वीकार कर धोखा दिया।
संत पापा ने विश्वासियों को परामर्श दिया कि हम चिंतन करने हेतु कुछ समय निकालें कि येसु जो हमें बहुत अधिक प्यार करते हैं वे क्रूस के रास्ते पर अकेले चले।
संत पापा ने स्वीकार किया कि कई बार हम अनेक चीजों में व्यस्त होने के कारण, उन्हें नहीं देखते, उन्होंने हमारे लिए जो किये है उसकी याद हम नहीं करते, उन्होंने हमारे पापों को बड़े धीरज से सहा। येसु जो हमेशा आगे चलते हैं उन्हें देखने एवं कृतज्ञता अर्पित करने हेतु कुछ समय हम अवश्य निकालें।
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