2017-09-29 11:57:00

सेन्ट विन्सेन्ट दे पौल परिवार को सन्त पापा फ्राँसिस ने भेजा सन्देश


वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 29 सितम्बर 2017 (रेई,वाटिकन रेडियो): सन्त पापा फ्राँसिस ने फ्राँस के काथलिक पुरोहित फादर विन्सेन्ट दे पौल द्वारा स्थापित धर्मसमाज की चौथी शताब्दी के उपलक्ष्य में बुधवार को विन्चेन्सियन परिवार के सदस्यों के नाम एक सन्देश प्रेषित किया।

सन् 1617 ई. में, उदारता की बेटियाँ नामक पेरिस के धनवान परिवारों की महिलाओं के समर्थन से फादर विन्सेन्ट ने निर्धनों और कृषि में लगे परिवारों की सहायता का बीड़ा उठाया था। युद्ध के शिकार लोगों के लिये अस्पतालों की स्थापना तथा उत्तरी अफ्रीका से वापस लौटने वाले गुलामों की रिहाई के लिये फिरौती राशि एकत्र करने हेतु पेरिस की इन महिलाओं ने धन इकट्ठा किया ताकि फादर  विन्सेन्ट अपनी प्रेरिताई सुचारू रूप से कर सकें।

हाशिये पर जीवन यापन करनेवालों के पक्ष में उक्त धर्मसमाज द्वारा सम्पादित कार्यों के लिये सन्त पापा फ्राँसिस ने विन्चेन्सियन परिवार को सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया तथा स्मरण दिलाया कि अपने सम्पूर्ण जीवन के दौरान फादर विन्सेन्ट दे पौल सदैव निर्धनों में ईश्वर के उपस्थिति की खोज करते रहे थे। 

सन्त पापा ने कहा कि ज़रूरतमन्दों के बीच ईश्वर के प्रेम का प्रसार करने हेतु अपना जीवन समर्पित रखनेवाले फादर विन्सेन्ट दे पौल ने कईयों को उनके पदचिन्हों पर चलने की प्रेरणा दी। उन्होंने पुरोहितों के प्रशिक्षण पर विशेष ध्यान दिया तथा उनसे आग्रह किया कि वे सादगी, उदारता एवं एक प्राकृतिक जीवन शैली सम्बन्धी उनकी पद्धति को अपना आदर्श मानें।     

सन्त पापा ने कहा कि उदारता की बेटियाँ नामक "राई का दाना" जो उन्होंने चार शताब्दियों पूर्व आरोपित किया था अब विन्चेन्सियन परिवार की तमाम संस्थाओं एवं संगठनों की उपस्थिति से   एक "महान वृक्ष" में परिणत हो गया है। उन्होंने, विशेष रूप से, विन्चेन्सियन परिवार की सह-संस्थापिका लूईज़े मारीलैक के आध्यात्मिक वरदानों एवं संवेदनशीलताओं के प्रति फादर विन्सेन्ट के "भविष्यवाणिक अंतर्ज्ञान" को याद किया जिसने धर्मसमाज को सदैव निर्धनों के प्रति अभिमुख रखा।

सन्त पापा फ्राँसिस ने आशा व्यक्त की कि विन्चेन्सियन परिवार के सदस्य चौथी शताब्दी समारोह के वर्ष में अपने संस्थापकों के करिशमाई कार्यों की याद कर, कृपा के स्रोत प्रभु येसु ख्रीस्त तक लौटेंगे तथा उन निर्धनों की आवाज़ बन सकेंगे जिनकी आवाज़ सुनी नहीं जाती है।








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