वाटिकन सिटी, मंगलवार, 19 सितम्बर 2017 (रेई): संत पापा फ्राँसिस ने मंगलवार 19 सितम्बर को, वाटिकन स्थित प्रेरित आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में ख्रीस्तयाग अर्पित कर प्रार्थना की कि प्रभु, पीड़ित लोगों पर दया की भावना रखने, लोगों का साथ देने के लिए उनके करीब आने तथा ईश्वर प्रदत्त उनकी प्रतिष्ठा की रक्षा करने हेतु हमें कृपा प्रदान करे।
संत पापा ने प्रवचन में संत लूकस रचित सुसमाचार से लिए गये पाठ पर चिंतन किया जहाँ येसु द्वारा नाईम के विधवा के मृत पुत्र को जीवन दान देने की घटना का जिक्र है। संत पापा ने पुराने व्यवस्थान की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि उसमें हम पाते हैं कि गुलाम, खास रूप से, विधवा, अनाथ, अजनबी और परदेशी लोग ही बनाये जाते थे। उन्होंने निमंत्रण दिया कि हम उनके प्रति दया भाव रखें और यह सुनिश्चित करें कि वे भी समाज के अंदर, उसके हिस्से बन सकें। येसु समाज की इन छोटी-छोटी चीजों को भी देख पाते थे क्योंकि वे हृदय से देखते थे उनमें सहानुभूति थी।
संत पापा ने कहा, ″करुणा एक भावना है जिसका संबंध हृदय से है। यह पूरे व्यक्तित्व को प्रभावित करता है यह हमारे उस पीड़ा (कथन) के समान नहीं है जिसको हम दयाभाव प्रकट करने के लिए कहते हैं- बेचारा, कितना दुखद आदि। जी नहीं, यह बिलकुल उसके समान नहीं है क्योंकि दया उस दुःख में शामिल होता है। येसु उस विधवा एवं उसके बेटे के दुःख में सहभागी हुए। हम सोच सकते हैं कि वहाँ भीड़ थी येसु किसी दूसरे व्यक्ति से भी बात कर सकते थे, उन्हें यों ही जाने दे सकते थे किन्तु उन्होंने ऐसा नहीं किया। येसु के लिए भीड़ की अपेक्षा विधवा और उनके मृत पुत्र महत्वपूर्ण थे।
संत पापा ने कहा कि करुणा की भावना हमें लोगों के करीब जाने हेतु प्रेरित करता है। हम बहुधा अनेक चीजों को देखते हैं किन्तु उन सबके करीब नहीं जाते।
उन्होंने कहा, ″नजदीक जाने का अर्थ है वास्तविकता का स्पर्श करना। छूना न कि दूर से देखना। येसु में दया की भावना थी जिसके कारण वे नजदीक गये और उन्होंने चमत्कार किया। चंगा करने के बाद येसु नहीं कहते हैं अब बहुत देर हो चुकी है मैं जाता हूँ बल्कि लड़के को उनकी माता के पास ले चलते हैं तथा उसकी माता को पुनः सौंप देते हैं। येसु ने उसकी माता को सौंपने के लिए उसे चंगाई प्रदान किया। ताकि वे अपने सही स्थान पर वापस लौट सकें। संत पापा ने कहा कि मुक्ति प्रदान करने के लिए ईश्वर ने यही किया। वे दया से द्रवित हुए मानव का रूप धारण कर मनुष्यों के बीच आये तथा ईश्वर के सभी संतानों की प्रतिष्ठा को वापस प्रदान किया। उन्होंने हम सभी को पुनः सृष्ट किया है।
संत पापा ने सभी विश्वासियों का आह्वान किया कि हम उसी ख्रीस्त के इस उदाहरण का अनुसरण करते हुए लोगों की मदद करें। हम जरूरतमंद लोगों के करीब जाएँ।
उन्होंने कहा कि कई बार हम टेलीविजन अथवा समाचार पत्रों में त्रासदी की खबरें देखते हैं।
संत पापा ने प्रश्न किया कि क्या हम उन खबरों को देखकर दया के द्रवित होते हैं, क्या हम उनके लिए प्रार्थना करते? क्या हम उन घटनाओं से पूरी तरह प्रभावित होते हैं? क्या हमारा हृदय उन लोगों के दुःख में सहभागी होता है क्या हम दर्द महसूस करते हैं? उन्होंने कहा कि यदि मुझ में उनके प्रति दया भाव उत्पन्न नहीं होता है तो हम इसके लिए प्रभु से कृपा की याचना करें।
संत पापा ने कहा कि एक ख्रीस्तीय के रूप में हमें ‘मध्यस्थ की प्रार्थना’ और हमारे कामों द्वारा उनकी मदद कर सकना चाहिए जो पीड़ित हैं ताकि वे समाज में पुनः लौट सकें परिवार के जीवन में शामिल हो सकें तथा दैनिक जीवन में जीविका के लिए काम कर सकें।
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